आज सहसा मुझे 1975 की अपनी पहली प्रमुख विदेश यात्रा की याद आ गयी।
प्रमुख इसलिए क्योंकि इस से पहले नेपाल की तराई बिराट नगर कुछ घंटों के लिए हो आया था अपनी एक बिहार यात्रा के दौरान ।
यह प्रमुख यात्रा संघीय जर्मन गणराज्य यानी पश्चिम जर्मनी की थी। उस समय दो जर्मनी थीं। दूसरी का नाम था जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य यानी GDR यानी पूर्व जर्मनी। एक दिन पश्चिम जर्मनी के प्रेस कॉउंसलकर मिस्टर पुटकर्मर को शाम करीब चार बजे फोन आया कि हमारी सरकार ने आपको दो हफ्ते के लिए आमंत्रित किया है।
कुछ दिनों के बाद विदेश मंत्रालय के माध्यम से पश्चिम जर्मनी के भारत में राजदूत Guenter Diehl ने औपचारिक निमंत्रण पत्र भेजते हुए आशा व्यक्त की कि मेरी इस यात्रा से भारत और जर्मनी में मैत्री संबंध सुदृढ़ होंगे तथा दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी समझदारी और भाईचारा बढ़ेगा। विदेश मंत्रालय के नत्थी पत्र में यह बताया गया था कि वित्त मंत्रालय को इस निमंत्रण के बारे में जानकारी देते हुए 'पी'फॉर्म भेजा गया है ताकि वह रिज़र्व बैंक को मुझे यथोचित विदेशी मुद्रा देने का परमिट जारी कर सके।
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