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एक पुलिस कर्मी की पीड़ा

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यूपी पुलिस के सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिहं की बेटियों को स्कूल से निकाला

पिछले पांच सालों से सलाखों के पीछे बंद है उत्तर प्रदेश पुलिस का एक सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिहं। इस वर्दीवाले का कसूर बस इतना था कि इसने अपने बचाव में अपनी सर्विस रिवाल्वर से नबी अहमद नाम के एक वकील को गोली मार दी थी। ये वो समय था जब ना सिर्फ इलाहाबाद के बल्कि देशभर के वकील सड़कों पर उतर आए थे। दिल्ली से लेकर बैंग्लोर तक बस एक ही आवाज सुनाई दे रह थी कि शैलेंद्र सिंह को फांसी हो । वकीलों ने इस वर्दीवाले का केस तक लड़ने से मना कर दिया था और जिस वकील ने पैरवी की कोशिश भी कि उसे भी डरा-धमाकर पीछे हटवा दिया गया। वहीं पुलिस महकमे ने भी अपने इस वर्दीवाले की टोह लेना मुनासिब नहीं समझ हैरानी की बात तो ये है कि जिस देश में आतंकी अजमल कसाब और कातिल याकूब को वकील नसीब हो गया वहां आज तक जेल में बंद इंस्पेक्टर शैलेंद्र अपने केस के लिए वकील की बाट ही जोह रहे हैं। आज इस वर्दीवाले का भरा-पूरा घर बर्बाद हो चुका है। शैलेंद्र के जेल जाने के गम में इनके घर से कितने ही अपनों की अर्थियां उठ चुकी है। लेकिन इस वर्दीवाले की सुध लेने वाला कोई नहीं।

 आत्मरक्षा के लिए गोली चलाना शैलेंद्र सिंह की बर्बादी की कहानी बन गया

उत्तर प्रदेश पुलिस  के सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह ने कभी सोचा भी नहीं था कि जिस वर्दी को उन्होने राष्ट्र सेवा के लिए पहना था उसे पहने ही उन पर हत्यारा होने का दाग लग जाएगा। कभी नारी बारी पुलिस चौकी के इंचार्ज शैलेंद्र पर कोर्ट में ही जानलेवा हमला हुआ था। इस हमले में उसकी जान जाने की पूरी आशंका थी हमला करने वाला था एक वकील नबी अहमद जिस पर कम से कम आधा दर्जन मुकदमे दर्ज होंगे। बताया जाता है कि जब सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह पर हमला हुआ तो इस वर्दीवाले ने आत्मरक्षा की खातिर अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली चला दी थी ये गोली नबी अहमद को लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई इस पूरी घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमे साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उस समय दर्जनों हमलावरों से घिरा अकेला सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह मोब लिंचिंग का  शिकार हो रहा था जिसका नेतृत्व नबी अहमद कर रहा था। नबी अहमद साफतौर पर सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह की पिटाई करते हुए देखा जा सकता था। लेकिन आत्मरक्षा के लिए शैलेंद्र सिंह का गोली चलाना उनकी जिंदगी को तहस-नहस कर गया। वकील तो उनके खिलाफ हो ही गए थे उनके खुद के महकमे ने उनका साथ नहीं दिया । हैरान कर देने वाली बात थी कि इलाहाबाद परिक्षेत्र की पुलिस ने अपने ही विभाग के सब इंस्पेक्टर को सलाखों के पीछे भेजने के लिए दिन रात एक कर दिया था और आत्मरक्षा करने वाले उस सब इंस्पेक्टर को हत्यारा घोषित कर कई धाराए लगाकर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। आज तक ये सब इंस्पेक्टर जमानत के लिए तरस रहा है लेकिन उम्मीद की किरण कोसो दूर भी नजर ऩहीं आ रही।

भरा-पूरा परिवार हो गया बर्बाद

शैलेंद्र के जेल जाने के बाद से उनका भरा-पूरा परिवार तबाही के समंदर में गोते खातकर डूबने के कागार पर आ चुका है। इन चार सालों में  सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह के माता पिता की मृत्यु हो गई और जेल में बंद इस बेटे की बदकिस्मती तो देखिए कि वो अपने मां-बाप की चिता को मुखाग्नि भी ना दे पाया। वहीं उसका एक छोटा भाई इसी के चलते पागल हो गया। किस्मत का खेल यही नहीं थमा  फिर उनकी पैरवी करता उनका साला भी एक एक्सीडेंट में सदा के लिए खामोश हो गया और उसी  दुःख में सब इंस्पेक्टर की सास भी चल बसी। और एक भरा-पूरा परिवार खत्म सा हो गया लेकिन अब भी बदकिस्मती शैलेंद्र और उसके परिवार का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं दिख रही है। उसकी बेबस पत्नी सुहागन होते हुए भी विधवा सी जिंदगी बसर कर रही है। दो मासूम बच्चियो को साथ लिए इस बेचारी ने कोई दर-चौखट नहीं छोड़ी होगी जहां इसने पति कि रिहाई के लिए गुहार ना लगाई हो लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा उल्टा  इलाहाबाद पुलिस के अधिकारी तो अपने वर्दी के सितारे बढ़वाते नजर आए कि देखो कैसे हमने अपने ही विभाग के सब इंस्पेक्टर को सलाखो के पीछे पहुंचा दिया

ना पैसा रहा है और ना उम्मीद ही बची है

आज सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह की धर्मपत्नी सपना सिंह अपने पिता के साथ उनके ही घर पर अपनी 2 बेटियों इशिता सिंह और सौम्या सिंह के साथ नाम के लिए जिंदगी काट रही है। क्योंकि खुशियां तो उनसे कब का नाता तोड़ चुकी है। बड़ी बेटी इशिता कक्षा 3 में पढ़ती है और सौम्या अभी नर्सरी में है। सौम्या ने तो अपने पिता को ठीक से देखा भी नहीं है क्योकि उसके जन्म के कुछ दिन बाद ही सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह जेल चले गए थे। बर्बाद हो चुके परिवार को पड़ौसियों ने भी नहीं छोड़ा और इनकी सारी जमीन-जायदाद हड़प ली। शैलेंद्र की पत्नी ने पति के मुकदमे के लिए अपना एक –एक गहना बेच दिया धीरे-धीरे सब खत्म हो गया है ना पैसा रहा और उम्मीद तो कब का साथ छोड़ चुकी है।

बेटियों के स्कूल से नाम काट दिए गए हैं

आज हालात ये हैं कि शैलेंद्र सिंह का परिवार खाने के लिए भी मोहताज है। जब घर में अन्न का दाना नहीं है तो बेटियों की फीस कहां से भरी जाए। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि फीस ना भर पाने के चलते बेटियों के नाम तक कटने की नौबत आ चुकी है।  बेटी बचाओ बेटी पढाओ के नारे देने वाली केंद्र और राज्य सरकार को तो इन मासूमों के हालात देखकर शर्म आनी चाहिए।  लगभग 5 साल से जेल में बंद उत्तर प्रदेश पुलिस का सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह  सब कुछ अपनी आँखों से देख रहा है लेकिन ये मजबूर बाप और पति कैसे अपनी पत्नी और बेटियों को दुनिया की सारी खुशियां दे।  लेकिन अफसोस की जेल की सलाखों पर सर पटकने और आंसू बहाने के अलावा वो कुछ कर भी नहीं सकता।

क्यों पुलिस विभाग ही अपने जवान के साथ दिखा रहा बेरूखी

लेकिन यहां सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्यों उत्तर प्रदेश पुलिस अपने ही जवान का साथ नहीं दे रही।

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