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कोरोना के बाद की दुनिया में भारत
'इंडिया ग्लोबल वीक'उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया को यह समझाने का प्रयास किया कि कोरोना काल में लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, हम अर्थव्यवस्था पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने जहाँ एक ओर देश के इस आत्मविश्वास को प्रकट किया कि कोरोना वैक्सीन मिलने के बाद इसके उत्पादन और विकास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, वहीं कोरोना उत्तर काल में दुनिया की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में भी भारत के रोल की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित किया।
कोरोना अभी भूमंडल भर में अपने विकरालतम रूप में तांडव कर रहा है। दुनिया भर की स्वास्थ्य से लेकर अर्थ तक की व्यवस्थाओं को उसने तहस नहस कर रखा है। ऐसे में ब्रिटेन में ऑनलाइन आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन 'इंडिया ग्लोबल वीक 2020'में दुनिया के 30 देशों के प्रतिनिधियों का 'भारत और एक नया विश्व : पुनरोद्धार हो'विषय पर मंथन करना इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि दुनिया के सामने कोरोना के बाद फिर से खड़े होने की चुनौती मुँह बाये खड़ी है। कोरोना के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था की बहाली और भारत में इससे जुड़े अवसरों पर चर्चा भारत के अपने लिहाज से भी ज़रूरी है, ताकि दुनिया को 'आत्मनिर्भर भारत'के अभियान से जोड़ा जा सके। उनके इस कथन से देश का आत्मविश्वास झलकता है कि भारतीय स्वाभाविक सुधारक हैं और कि इतिहास बताता है, भारत ने हर चुनौती को पार किया है- चाहे वह सामाजिक हो या आर्थिक।
आज जब दुनिया के बहुत से बड़े देश विदेशियों को देश निकाला देने की मुहिम में मुब्तिला हैं, भारत के प्रधानमंत्री ने यह संदेश दिया है कि हम आपका स्वागत करते हैं। कोरोना उत्तर काल में विदेशी निवेश को अग्रिम निमंत्रण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना बहुत अर्थपूर्ण है कि "भारत दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हम भारत में आने और अपनी उपस्थिति स्थापित करने के लिए सभी वैश्विक कंपनियों के लिए रेड कार्पेट बिछाए हुए हैं। बहुत कम देश ऐसा अवसर प्रदान करेंगे, जैसा आज भारत कर रहा है।"यह स्पष्ट करना ज़रूरी भी था, क्योंकि 'आत्मनिर्भर भारत'और 'लोकल के लिए वोकल'जैसे अभियानों की यह भ्रामक व्याख्या संभव है कि भारत अब विदेशी निवेश को उतना प्रोत्साहित नहीं करेगा। इसीलिए प्रधानमंत्री ने यह बताना जरूरी समझा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मतलब यह नहीं है कि विश्व के लिए दरवाजे बंद हो गए। इसी के साथ उन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए गए भारत के कदमों की विस्तृत जानकारी देते हुए, वैश्विक समुदाय से यहाँ निवेश करने की भी अपील की।
गौरतलब है कि अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने पुनरुद्धार की भारतीय धारणा की व्याख्या करते हुए यह स्पष्ट किया कि जब भारत पुनरुद्धार की बात करता है तो उसके लिए देखभाल के साथ पुनरुद्धार, करुणा के साथ पुनरुद्धार और पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए टिकाऊ पुनरुद्धार मायने रखता है। यही कारण है कि हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार दिखने लगा है। इसी आधार पर यह कहा जा सकता है कि वैश्विक पुनरुत्थान की कहानी में भारत की अग्रणी भूमिका होगी। भारत को 'प्रतिभा का पॉवर हाउस'कहते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि 'दुनिया भर में, आपने भारत की प्रतिभा के योगदान को देखा है। भारतीय टेक उद्योग और तकनीकी पेशेवरों को कौन भूल सकता है? वे दशकों से रास्ता दिखा रहे हैं। भारत प्रतिभा का एक शक्ति-घर है, जो योगदान देने के लिए उत्सुक है।'उम्मीद की जानी चाहिए कि उनके इस भाषण से पूरी दुनिया, खासकर तकनीकी और औद्योगिक जगत में सकारात्मक संदेश जाएगा और आर्थिक पुनरुद्धार के लिए उसका भारत पर भरोसा जमेगा।
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