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जहां बापू थे मास्टर जी
मॉडर्न स्कूल के प्रिंसिपल रूम में एक चित्र टंगा है। उसमें महात्मा गांधी स्कूल के कुछ विद्यार्थियों से प्रेम से बात कर रहे हैं। वे यहां सन 1935 में आए थे। इससे पहले, उन्होंने इसकी 20 अक्तूबर 1920 को आधरशिला रखी थी।
उन्होंने म़ॉडर्न स्कूल के संस्थापक और स्वाधीनता सेनानी लाला रघुबीर सिंह को सलाह दी थी कि वे एक इस तरह का स्कूल खोलें जहां भारतीय परम्पराओं के अनुसार शिक्षा दी जाए। दिल्ली में स्तरीय स्कूल खुलते रहे पर एडविन लुटियन के डिजाइन किए मॉर्डन स्कूल के रुतबे पर असर नहीं हुआ।
और मॉडर्न स्कूल से करीब तीन-चार किलोमीटर दूर मंदिर मार्ग के सेंट थॉमस स्कूल की छात्राओं के तो गांधी जी मास्टर जी ही थे। ये उन दिनों की बातें जब बापू 1 अप्रैल 1946 से 10 जून 1947 तक वाल्मिकी मंदिर में रहे। सेंट थॉमस स्कूल और वाल्मिकी मंदिर एक-दूसरे से सटे हैं। संयोग से मॉडर्न स्कूल इस साल अपनी स्थापना का शताब्दी और सेंट थॉमस स्कूल अपने 90 वर्ष पूरे कर रहा है।
बेशक, कोई भी स्कूल या कॉलेज अपने शिक्षकों की अपने पेशे के प्रति निष्ठा के चलते ही श्रेष्ठ बनता है। मॉडर्न स्कूल भाग्यशाली रहा कि उसे एम.एन. कपूर, एस.पी बख्शी जैसे धीर-गंभीर प्रिसिंपल और ख्वाजा इफ्तिखार अहमद (कॉमर्स), सोहनलाल आहलूवालिया ( ज्योग्राफी),आर.डी.गोयल ( इतिहास), पदमश्री ओ.पी.शर्मा ( फोटोग्राफी), विशंभर खन्ना ( चित्रकला) जैसे दर्जनों समर्पित अध्यापक मिलें।
और राजधानी में लड़कियों को उत्तम शिक्षा देने में सेंट थॉमस स्कूल का अभूतपूर्व योगदान रहा है। इसे ब्रिटिश मिशनरी हेलेन जेरवुड ने 1930 में स्थापित किया था। तब इधर गोल मार्किट, इरविन रोड, करोल बाग वगैरह की बेटिया पढ़ने आती थीं।
बापू के पौत्री तारा गांधी भी यहां पढ़ीं। वे कहती हैं कि जब वे सेंट थॉमस स्कूल में थीं उन दिनों बापू वाल्मिकी मंदिर में ही रहते थे। उस दौरान वह उनसे अपनी सहेलियों के साथ मिलने चली जाती थीं।
बापू की वाल्मिकी मंदिर में लगने वाली कक्षाओं में सेंट थॉमस की छात्राएं भी आया करती थीं। बापू से सेंट थॉमस स्कूल की अध्यापिकाएं और छात्राएं उनके यहां आते-जाते वक्त रोककर बातें भी करने लगती थीं।
सेंट थॉमस स्कूल का कैंपस म़ॉडर्न स्कूल जितना विशाल नहीं है, पर इसकी लाल ईंटों से बनी इमारत बेहद सुंदर और आकर्षक है।इसे आर्थर गार्डन शूस्मिथ ने डिजाइन किया था।
सेंट थॉमस स्कूल में पढ़ने का मतलब है कि आपके व्यक्तित्व का चौमुखी विकास होना तय है। आप विश्वास से लबरेज होंगी। सेंट थॉमस स्कूल की छात्राएं मैडम हैरिसन, मैडम गॉर्डन, मैडम जॉय माइकल, सी.मनोहरन, संगीता हजेला जैसी अध्यापिकाओं को कृतज्ञता के भाव से याद करती हैं। इन सबने सेंट थॉमस को एक श्रेष्ठ स्कूल के रूप में खड़ा किया।
उधर, जरा सोचिए म़ॉडर्न स्कूल 100 साल पहले को-एजुकेशन स्कूल के रूप में शुरू हुआ था। तब तक दिल्ली में इस तरह का कोई स्कूल नहीं था।
इधर हर साल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के 25 बच्चों को दाखिला मिलता है। ये तथ्य जाहिर नहीं किया जाता कि किसे विशेष परिस्थितियों में लाभ मिला।
क्या ये सामान्य बात है? पर मॉडर्न स्कूल में तो ये होना ही था आखिर ये गांधी जी के आशीर्वाद से जो शुरू हुआ था।
ये लेख 16 जुलाई 2020 को छपा है ।
Caption- Gandhi ji at Modern school. 2. Modern school students. 3. Students of st. Thomas school.