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Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
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यादवों का बोलबाला / राजेश प्रताप सिंह

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पूर्वांचल मने ऊपी बिहार में अहीरों(यादवों)का बोलबाला है। इस कौम ने समाज के हर क्षेत्र में जबरदस्त grow किया है । आज यादव हमारे समाज की सबसे ज़्यादा progressive कौम है । ये समाज मे तेजी से सम्पन्न हो रहे हैं , इनका living Standard बहुत तेजी से बढ़ा है , ये गांव -- समाज के सबसे ज़्यादा प्रभावशाली वर्ग बन के उभरे हैं और Politically भी बहुत प्रभावशाली हैं । इसके अलावा बिज़नेस , माफियागिरी , गुंडागर्दी , दबंगई हरेक फील्ड में ये top पे पहुंच रहे हैं । आज से 30 -- 40 साल पहले ये स्थिति नही थी । इनमे ये सामाजिक बदलाव सिर्फ और सिर्फ इनके अथक परिश्रम के कारण आया है . 70 के दशक में जब यादवों ने घर से बाहर कदम बढ़ाया और मुम्बई हाबड़ा सूरत लुधियाना दिल्ली पहुंचे,तो किसी भी किस्म का श्रम करने से पीछे न रहे । अपने गांव में भी रहे तो गांव में पान लगाने से ले के छोटी मोटी चाय मकुनी घुघुनी की दुकान करने से नही चूके ........ किसी अहीर ने कभी ये नही सोचा कि पान बेचना तो बरई चौरसिया लोगों का काम है , या फिर बर्फी लौंगलता बेचना तो हलवाइयों का काम है , या सैलून खोल के बार बनाना तो नाइयों का काम है ......... इन्होंने बेहिचक ये काम किये और पैसा कमाया ।

मुम्बई में ये सड़क किनारे गन्ने का जूस और वड़ा पाव बेचते नज़र आते हैं , और फिर साल भर बाद जब घर वापस आते हैं तो suitcase में रुपया भर के लाते हैं । पूर्वांचल में जमीनों के दाम इन्ही अहीरों ने मुम्बई सूरत में इसी तरह Roadside छोटे छोटे काम ( जिन्हें शुरू करने में पूंजी नही सिर्फ श्रम लगता है ) करके पैसा कमा के बढ़ाये हैं । जहां अहीरों ने जातिगत पेशे की जड़ता को तोड़ काम किया वहीं इसके विपरीत ठाकुर ,बाभन इसी सोच में डूबे रहे कि हाय , लोग क्या कहेंगे ......... और उन्होंने अपना खुद का काम न कर किसी सेठ के पास 5000 रुपल्ली की नौकरी करना ज़्यादा श्रेयस्कर समझा ।
अपने इर्द गिर्द नज़र दौड़ाइये , हर वो काम जिसमे हाथ का हुनर और परिश्रम चाहिए , उसपे मुसलमान काबिज है । आप बेशक़ उन्हें पंचर लगाने वाला कह के बेइज़्ज़त करें , पर उनका अनपढ़ होना ही उनके लिए वरदान साबित हो रहा है , वो अनपढ़ हैं इसलिए Skill सीख के परिश्रम करके मोटा पैसा कमा रहे हैं और आप तो भाई Convent Educated Highly Qualified डिग्रीधारी हैं इसलिए बेरोजगारों की लाइन में खड़े मोदी को गरिया रहे हैं ......... अब वो समय आ गया है कि अपनी डिग्री की बनाओ बत्ती .......और
 अबे सड़क पे निकलो , कोई Skill सीखो , हाथ काले करो और पैसा कमाओ । वरना कल को रोते रहना की पूरी economy पे तो इन अनपढ़ मगर skilled परिश्रमी लोगों ने कब्जा कर लिया और हमको गुलाम बना लिया ।
Dinesh Singhजी

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