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भारतीय जनता की आवाज़ थे प्रेमचंद / अनूप शुक्ला

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ये हैं - भारतीय जनता के सच्चे प्रतिनिधि और सही अर्थों में #भारतीय_लेखक मुंशी #प्रेमचंद , जो पराधीनता काल और स्वाधीनता संग्राम के #गाँधी_युग में #साम्राज्यवादी_शक्तियों और #भारतीय_सामंतवाद से एक साथ लड़े 

.... आज अपनी जयंती (31 जुलाई) पर प्रेमचंद #सदेह होते , तो 140 साल के हो गए होते .... और शायद आज भी अपने सपनों का भारत बनाने के लिए #मशाल_वाली_कलम हाथ में लिए - अपनी #गंवई वेशभूषा , #फटे_जूते और पत्नी की जर्जर #चट्टियों के साथ - लड़ रहे होते ....

              महात्मा गाँधी के #समकालीन और #समानधर्मा प्रेमचंद में आदर्श और यथार्थ का मणिकांचन संयोग परिलक्षित होता है .... वह सिद्धांतवादी , नैतिक , सुधारक और परम्पराभंजक  एक साथ हैं .... 

            स्वाधीनता संग्राम के दौर में राजनीतिक धरातल पर भारतीय जनता से जुड़ने का जो काम महात्मा गाँधी कर रहे थे , कथा साहित्य के माध्यम से भारतीय जनता से जुड़ने और उसके यथार्थ को अभिव्यक्त करने का वही काम प्रेमचंद कर रहे थे .... 

             अकारण नहीं है कि भारतीय राजनीति और स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में जो #गाँधी_युग है , हिन्दी कथा साहित्य के इतिहास में वही  #प्रेमचंद_युग है .... 

                 इस चित्र में मुंशी प्रेमचंद अपनी धर्मपत्नी #शिवरानी_देवी के साथ मूर्तमान हैं , जो खुद भी अत्यन्त महत्वपूर्ण कथाकार , प्रखर लेखिका और यशस्वी संपादिका थीं .... और हाँ , प्रेमचंद की प्रेरक (#शिव-रानी)#शक्ति भी .... प्रेमचंद ने उन्हें #गढ़ा और उन्होंने प्रेमचंद को #संवारा ....

                    वैसे तो लेखक #देश_काल की सभी सीमाओं से ऊपर होता है और स्थानीयता उसे बाँध नहीं पाती .... लेकिन #फतेहपुरवासी इस बात पर गर्व करना चाहें , तो कर सकते हैं कि शिवरानी देवी फतेहपुर की ही थीं .... साधारण में असाधारण - प्रेमचंद और शिवरानी देवी दोनों .... जैसे चित्र में , वैसे जीवन में .... लेकिन लेखन में अप्रतिम , असाधारण !

                            #अनूप_शुक्ल

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