#मरना_जिसे_आता_है_जीने _का_अधिकार_उसी_को_है..
० अभिनेता सुशांत राजपूत मामले में CBI जांच के लिए पटना हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट पवन प्रकाश ने की जनहित याचिका
@ अरविंद सिंह
जब ये बातें लिख रहा हूँ तो जिंदगी और मौत के बीच अदृश्य फासले पर सोच रहा हूँ. जो मरने के लिए हमेशा तैयार रहता हो, उसे मौत से कौन सा भय.
दरअसल जिंदगी का असली मजा़ तो उसी ने लिया और महसूस किया होगा, जो निर्भय होकर जिया होगा.ड़र ड़र कर तो जिंदगी घसीटी जा सकती है. जी नहीं जा सकती. सच पूछें तो जीवन सदियों में नहीं, बल्कि एकपल में है. एक पल का जीवन कई बार सदियों से भी बड़ा हो जाता है. और यह जीवन जब दूसरों के लिए न हो तो, वह जीवन भी, जीवन न होकर चलती फिरती लाश बन जाती है. कुछ इन्हीं दार्शनिक और मौलिक विचारों को आत्मसात करने वाले ही समय की रेखा पर तहरीर लिखा करते हैं और दुनिया उन्हें इतिहास पुरूष और महामानव बना देती है. सुकरात से लेकर मसीहा तक को, अपने सिद्धांतों और वैचारिकता से समझौता कर, जीवन बचाने के विकल्प हमेशा खुले रहें, लेकिन इन महापुरुषों ने मानवता की सेवा और संदेशों के लिए जीवन नहीं, बल्कि मौत का वरण किया. ज़हर का प्याला पीना और शूली पर लटक जाना स्वीकार किया लेकिन सिद्धांतों से समझौता कर जीवन बचाना नहीं. इन्हीं सिद्धांतों और वैचारिकता की ज़मीन पर हमारे समय में भी चलने वाले हैं, जिनके लिए मानवता की सेवा और न्याय की स्थापना करना ही जीवन का एकमेव लक्ष्य है. सच कहें तो इस घोर आर्थिक युग में भी ऐसे नायकों से दुनिया खुबसूरत सी लगने लगती है.
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, न्याय के उस प्रहरी की, जिसने जीवन में मानवता की सच्ची सेवा और न्याय की स्थापना का व्रत लिया है. यह व्रत उसका खुद से और समाज की सेवा के लिए है. कल पटना हाईकोर्ट जिन वजहों से सुर्खियों में रहा उसमें प्रमुख कारण बालीबुड अभिनेता और बिहार का पुत्र सुशांत सिंह राजपूत की आत्माहत्या और हत्या के बीच उलझी गुत्थी को लेकर एक युवा एडवोकेट पवन प्रकाश पाठक का जनहित में लेटर पीटशन ( पत्र याचिका) का दाखिल करने की सामाजिक जिम्मेदारी और न्याय की गरिमा की स्थापना. सुप्रीमकोर्ट के इस युवा अधिवक्ता ने जनहित में पत्र याचिका दाखिल कर चीफ जस्टिस से मांग की, कि इस जांच को बिहार पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस से निकाल कर CBI को स्थानांतरित कर दिया जाएं, जिससे इस रहस्य से पर्दा उठ सके कि आखिर एक शानदार अभिनेता की हत्या हुई थी, या उसने आत्महत्या की थी. एडवोकेट पवन प्रकाश ने अपनी याचिका में यह दलील दी है कि चूंकि इस मामले में दो अलग राज्यों की पुलिस जांच कर रहीं है, इस लिए दोनों के बीच तालमेल और सामंजस्य की कमी होगी, और इसलिए इससे पुलिस जांच, तथ्यों का सही मूल्यांकन नहीं कर सकतीं है. मनी लॉन्डरिंग से लेकर अन्य ऐसे मामले जो कानून की नज़र में पेंचिदगी पैदा कर सकते हैं. और जिन्हें स्टेट पुलिस उस बारीकी से अध्ययन नहीं कर सकती हैं.इस लिए इस आधार पर न्याय की गरिमा की स्थापना और सुशांत राजपूत के फैन और परिवार के साथ न्याय हो सके, इसके लिए उन्होंने सीबीआई जांच की वकालत की है. पवन प्रकाश का कहना है कि यदि चीफ जस्टिस इसे स्वीकार कर लेते हैं, जिसकी पूरी संभावना है. तो अगले सप्ताह तक इस मामले में वर्चुअल हियरिंग के बाद निर्णय आ सकता है. यदि ऐसा हुआ तो इससे केवल सुशांत सिंह राजपूत के मौत की गुत्थी ही नहीं सुलझेगी बल्कि उनके परिजनों और फैन्स के साथ न्याय भी हो सकेगा.
Wasim Akram Kabeer UP गिरीश पंकज Vineet Singh Rishu Vivek Pandey Praveen Singh Ashutosh Dwivedi Rungta Ashutosh