कल हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार ने राज्यो से किया गया जीएसटी मुआवजा देने का वादा तोड़ दिया है यह बहुत बड़ी खबर है लेकिन बिक चुका मीडिया इसे दूसरी तरह से पेश कर रहा है....
कल जो हुआ है उसे आप ऐसे समझिए कि किसी कर्जदार से आपको रुपये लेने हो,..... उसने आपकी हर महीने की क़िस्त बांध दी हो....... दो साल तक वह आपको हीलेहवाले कर पैसा देता रहा अब तीसरे साल वो आपको लगातार चार महीने तक मासिक क़िस्त नही दे रहा ओर जब आप रोज तकाजा कर रहे है तो वो बोल रहा है कि पैसे तो मै नही दूँगा!...... तुमको जरूरत हो तो तुम्हे मैं एक बड़े आसामी से उधार दिला देता हूँ लेकिन ब्याज तो तुम्हे ही देना होगा... कल एग्जेक्टली यही हुआ है
साफ और सीधी बात यही है कि केंद्र ने राज्यों को मई, जून, जुलाई और अगस्त यानी चार महीने का मुआवजा देने से इनकार कर दिया है सरकार ने हाल में वित्त मामलों की स्थायी समिति को बताया है कि उसके पास राज्यों को मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं हैं.
अब राज्यो को पैसे तो चाहिए इसलिए उसने दो विकल्प सुझाए है दोनों ही विकल्प मे केंद्र अपनी जिम्मेदारी उठाने से बच रहा है
पहला विकल्प यह है राज्य अपना पूरा GST मुआवजा जो कि 2.35 लाख करोड़ रुपये होता है, RBI से सलाह मशविरा के बाद बाजार से उठाएं (जैसे बाजार में रास्ते पर पड़ा है 2.35 लाख करोड़?)
दूसरा विकल्प यह है कि रिजर्व बैंक की सलाह से राज्यों को एक विशेष विंडो दिया जाए ताकि वो एक तय ब्याज दर पर 97,000 करोड़ रुपये रकम उधार हासिल ले सकें। इस पैसे को पांच साल बाद वापस करे
दोनों ही विकल्प में राज्यो को फाँसी लगने की बात है यह साफ साफ धोखाधड़ी की जा रही है केंद्र के द्वारा ....अगर राज्यो को हो रहे नुकसान का 5 साल तक मुआवजा देने की बात की है तो मुआवजा देने की जिम्मेदारी आपकी है ?.....राज्य उसके लिए उधार क्यो ले ?
सच यह है कि इन्होने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है पहले पूरा टैक्स सिस्टम अपने हाथ मे लेकर आपने सब गुड़ गोबर कर दिया अब जब संभल नही रहा है तो पीठ दिखाकर भाग गए और बोल रहे हैं कि उधार लेकर काम चलाओ
अब वस्तुस्थिति क्या है राज्यो के सामने क्या दिक्कत है वो भी समझ लीजिए.........
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है राज्यों को वैट और उत्पाद शुल्क में 53,000 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। अगर राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) में गिरावट को इसमें जोड़ दिया जाए, तो अप्रैल-जून तिमाही के दौरान राजस्व की कमी बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपए हो जाती है। एसबीआई पेपर का अनुमान है कि 20 राज्यों के सर्वेक्षण में लगभग 3 लाख करोड़ रुपए के राजस्व कमी आई है और केंद्र के राजस्व कमी को जोड़ दिया जाए तो वर्ष 2021 में संयुक्त नुकसान करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए का होगा। राज्यों को कोरोना महामारी से लड़ने और मुकाबला करने में अतिरिक्त 1.7 लाख करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। यदि यह राशि जोड़ी जाती है, तो राज्यों के लिए संचयी राशि लगभग 6.2 लाख करोड़ रुपए होगी।
कोरोना के दौर में मोदी सरकार को राज्यो की अतिरिक्त मदद करनी थीं लेकिन वो तो दूर रहा बल्कि जो रकम देना थी वो भी नही दी जा रही है.......
अब केंद्र ने पूरी तरह से अपने हाथ ऊंचे कर दिए है तो इस अनुमानित 6.2 लाख का भुगतान राज्यो को ही करना होगा तो अब किस आधार पर कहा जा रहा है कि RBI से या बाजार से राज्य ओर कर्ज ले ?.....जबकि राज्य पहले ही घाटे में चल रहे है......... यानी साफ साफ मुल्क की आर्थिक बर्बादी स्पष्ट रूप से दिख रही है .......