एक नजर / नेहरू पटेल
नेहरू और पटेल के रिश्तों को बेहतर तरीके से समझना है तो नीरजा सिंह की संपादित किताब पढ़ सकते हैं। उन्होंने 1930 से 1955 के बीच दोनों के बीच पत्राचार और कुछ दस्तावेजों को जस का तस धर दिया है। नेशनल बुक ट्रस्ट से यह किताब अंग्रेज़ी और हिन्दी में छपी है। NEHRU-PATEL Agreement within Differences.
6 जनवरी 1948 को नेहरू ने गांधी को एक ख़त लिखा था। " It is true that there are not only temperamental differences between Sardar and me but also are differences in approach in regard to economic and communal matters. These differences have persisted for a large number of years, ever since we worked together in the Congress. Nevertheless, in spite of these differences, there was obviously a very great deal in common in addition to mutual respect and affection and, broadly speaking, the same national political aim of freedom. Because of this we functioned together during all these years and did our utmost to adapt ourselves to each other. If the Congress came to a decision, we accepted it, though there might have a differences in implementing it."
नेहरू पटेल के साथ अपने संबंधों को लेकर ईमानदार थे। आज जो लोग नेहरू को गाली दे रहे हैं उनकी पार्टी में एक संस्थापक नेता हैं, आडवाणी, जो पहले पटेल के समान लौह पुरुष कहलाते थे, आज उनकी दुर्गति सब जानते हैं। उनके और प्रधानमंत्री के बीच क्या रिश्ता है, इसकी कोई झलक नहीं है। सब कुछ कैमरे के लिए नौटंकी है। लगता है अब अपना नाम भी नहीं बोल पाते हैं। ऐसी हालत कर दी है आडवाणी की। ऐसी जमात संबंधों में अंतर को क्या समझेगी। नेहरू में इतना तो था कि अलग अलग सोचते हुए साथ साथ चलने की बात करते थे। पटेल को जब नेहरू ने कैबिनेट में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा तो 2 अगस्त 1947 को पटेल ने नेहरू को जो लिखा वो इस तरह से है
" Our attachment and affection for each other and our comradeship for an unbroken period of nearly 30 years admit of no formalities. My services will be at your disposal, I hope, for the rest of my life and you will have unquestioned loyalty and devotion from me in the cause for which no man in India has sacrificed as much as you have done.Our combination is unbreakable and therein lies our strength."
जिन लोगों ने पटेल पर दावेदारी की वो उनकी उपयोगिता मूर्ति से ज़्यादा नहीं समझ सके। जिन्हें इतिहास में दिलचस्पी हैं वो इसे पढ़ें। जिस सरदार का ज़िक्र देश को जोड़ने में आया, उस सरदार का ज़िक्र पटेल वोटबैंक के लिए हो रहा है। shesh narain singh ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि नेहरू ने पटेल की बेटी को लोक सभा और बाद में राज्य सभा में भेजा। उनके बेटे को भी लोक सभा में भेजा। यह सब हिसाब गिनाने का नहीं है मगर व्हाट्स अप यूनिवर्सटी से बचिए। नेहरू और पटेल के बीच संबंध कितने गहरे रहे होंगे कि दोनों निर्भिकता से एक दूसरे से अलग राय भी रखते थे। आई टी सेल के गुंडों को न तो नेहरू से नफ़रत है और न ही सरदार पटेल से प्यार। आप ग़ौर से देखिए वो सरदार को भी ख़त्म कर रहे हैं, नेहरू को भी ख़त्म कर रहे हैं। एक असंभव से काम में अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं। इसलिए पढ़िए। दोनों को अलग अलग बताने में भी कोई हर्ज़ नहीं है मगर अफवाहों के आधार पर नहीं।
--विनय वर्मा
विनोद कोचर