आईना
--------
शाम की चाय की चुस्की लेते पत्नी ने पति से --"अजी क्या बात है काफी दिनों से आपके जिगरी दोस्त विवेक जी नहीं आये हैं ? "
पति ने अनसुनी कर दी पर पत्नी मानने वाली कहाँ थी । फिर से पूछ बैठी ।
तब पति ---- "वो काफी दिनों से मुझे कहता था कि मैं तुम्हारी तरह दोस्त नहीं हूँ कि सबकी बातों में हाँ में हाँ मिला दूं । मैं तो सबको आईना दिखा कर सुधार देता हूँ । सच्चा दोस्त वही होता है जो कमियाँ दिखा कर उसे सुधार दे । "
"मुझे बहुत अफसोस होने लगा कि मैं अच्छा दोस्त नहीं हूँ । फिर एक दिन मैंने भी अपनी दोस्ती धर्म निभाई और उसका आईना उसकी तरफ घुमा दी बस तभी से । "
पूनम झा
कोटा राजस्थान