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अक्षरधाम मन्दिर को डिज़ाइनर विक्रम लाल नहीं रहे

38 साल की उम्र में किया था अक्षरधाम मन्दिर को डिज़ाइन , नहीं रहे विक्रम लाल

नई दिल्ली। राजधानी में पिछ्ले बीसेक वर्षो मेें जो खास लैंडमार्क सामने आये उनमें अक्षरधाम मंदिर भी है । इसका परिसर भारत के किसी भी हिंदू मंदिर से बड़ा माना जाता है ।  इसके डिज़ाइनर विक्रम लाल का ब्रुसेल्स में विगत 27 दिसंबर को निधन हो गया। वे 58 साल के थे।  


अक्षर धाम मन्दिर का श्री गणेश 2005 में हो गया था। इसे बनने मेँ करीब 5 साल लगे थे। तो सिर्फ 38 साल की उम्र मेँ ही विक्रम लाल ने इतने विशिष्ट प्रोजेक्ट को सम्भाल लिया था।


विक्रम लाल ने ही पटना के बुद्ध स्मृति पार्क को भी डिज़ाइन किया था। वे मूल रूप से पटना के रहने वाले थे। वे दिल्ली के  स्कूल ऑफ़ प्लानिंग ऐण्ड आर्किटेक्चर ( एस पी ए) में विज़िटिंग प्रोफेसर भी थे।  वे एसपीए के अलावा भी दुनिया भर के प्रमुख के कॉलेजो में लगातार क्लास लिया करते थे। उनका हिन्दू और बुद्ध architecture पर गहरा अधिकार था।


 अगर अक्षर धाम मन्दिर के वास्तु शिल्प की बात करें तो  विक्रम लाल ने  इसमें भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता  को खूब सूरती से दर्शाया है।  यह करीब 100 एकड़ की भूमि पर फैला हुआ है। वे इसके निर्माण के समय लगातार हजारों कारीगरों और स्वयंसेवकों के साथ काम कर रहे थे। उनकी देख रेख में ही इस मंदिर में देवी- देवताओं, ऋषियों, साधुओ आदि की मूर्तियां लगी थीं। आपको विक्रम लाल जैसे मनीषी कम ही मिलेंगे। वे अक्षर धाम मन्दिर के  डिज़ाइन को बनाने में अनेक विद्वानों को भी क्रेडिट देते थे।


विक्रम लाल को चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ़  architecture (सीसीए) के  सबसे योग्य पूर्व छात्रों में से माना जाता था। वे सीसीए के बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी भी गये थे। सीसीए के फाऊंडर प्रिंसिपल डॉक्टर एसएस भट्टी ने बताया कि विक्रम लाल सिर्फ वास्तुकार  ही नहीं थे। वे शिक्षक, लेखक और चिंतक भी थे। उनकी चित्र कारी और भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी गहरी दिल चस्पी थी। वे इन सब विषयों का गहराई से अध्ययन करते थे।


विक्रम लाल राजधानी में गुजरे 1987 से ही अपनी architect फ़र्म भी चला रहे थे। पर उनका लक्षय अधिक से अधिक प्रोजेक्ट लेना या पैसा कमाना नहीं होता था। वे अपने मन के प्रोजेक्ट लेते थे और फिर उन पर अपनी शर्तो पर काम करते थे। लेकिन वे नए और बेहतर विचारों का हमेशा सम्मान करते थे। उनका हरेक प्रोजेक्ट मिसाल बनता था। वे किसी प्रोजेक्ट को पाने की कोशिश भी नहीं करते थे। उनके पास स्तरीय काम अपने आप आते थे।


विक्रम लाल ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक “ दी गोल्डन लैंडस में  बुद्ध मन्दिरों , विहारों और बुद्ध धर्म से जुडे प्राचीन स्मारकों पर गहन चर्चा की है । इस किताब का भारत में विमोचन दलाई लामा ने किया था। इसका लंदन, ब्रुसेल्स और सिंगापुर में भी विमोचन हुआ था। वे भारत में बुद्ध वास्तु कला से प्रभावित इमारतों पर भी एक किताब करना चाहते थे।


 बहरहाल एडवर्ड लुटियन ( राष्ट्रपति भवन और संसद भवन) , हर बर्ट बेकर ( साउथ और नार्थ ब्लॉक ), जे.सी .चौधरी (आईआईटी), सी के कुक रेजा ( जे एन यू) जैसे वास्तुकारों की तरह विक्रम लाल भी अक्षर धाम का डिज़ाइन बनाकर दिल्ली के इतिहास में अमर हो गये हैं ।

30 दिसंबर 2020

Vivek Shukla


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