माटी के लाल आज़मियों की तलाश में..
दुनिया की सबसे चर्चित भारतीय महिला पत्रकारों में से एक 'राणा अय्यूब'भी आज़मी है..जिसने 'गुजरात फाइल्स'जैसी चर्चित पुस्तक लिख कर तहलका मचा दी..
@ अरविंद सिंह
आजमगढ़ एक खोज़..
राणा अय्यूब का पूरा नाम राणा अय्यूब आज़मी है. वह एक खोजी पत्रकार हैं.आप इनसे प्रेम कर सकते हैं या घृणा कर सकते हैं. आप इन्हें वामपंथी पत्रकार कह सकते हैं. आप इन्हें मोदी की आलोचना करने वाली पत्रकार कह सकते हैं. आप इन्हें सामूहिक बलात्कार की धमकियों को सुनने वाली पत्रकार के रूप में देख और सुन सकतें हैं. लेकिन इसके दूसरी तरफ इन्हें आप डरा और कायर पत्रकार तो बिल्कुल नहीं कह सकते हैं. बल्कि एक दिलेर और सत्य का साक्षात्कार कराने वाली हिम्मती पत्रकार कह सकते हैं, जिसकी चर्चा देश ही नहीं दुनिया भर की मीडिया ने की है. और उनकी यह दिलेरी उसकी माटी का विशेषण है. क्योंकि वह आज़मी है.
राणा अय्यूब एक ऐसी ही महिला पत्रकार हैं, जिनकी सुरक्षा की चिंता सयुंक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने जताई और सरकार से इनकी सुरक्षा के लिए ध्यान आकृष्ट कराया है.इसका कारण है उनकी सन् 2002 के गुजरात दंगे पर आधारित चर्चित किताब 'गुजरात फाइल्स : एनटामी आफ ए कवर अप'.
वह पहले तहलका समाचार पत्र समूह के लिए एक पत्रकार के रूप में काम कर चुकी है, और अब एक स्वतंत्र स्तंभकार हैं. इसके मुख्य संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप की हैंडलिंग के खिलाफ नवंबर 2013 में राणा अय्यब ने तहलका से इस्तीफा दे दिया था.वह नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार की आलोचना करती आ रही है।
गुजरात के फर्जी मुठभेड़ों की अय्यूब की जांच आउटलुक पत्रिका ने दुनिया भर में 'बीस महानतम पत्रिका कहानियों'में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है. Rana ayyub वॉशिंगटन पोस्ट में लिखे लेख में सफुरा जरागन का बचाव किया था । जिसके कारण इन पर क्रिमिनल केस फाइल हुआ था.
राणा अय्यूब ने बीबीसी संवाददाता मानसी दास को बताया था कि उन्हें धमकियां तो हमेशा से मिली हैं लेकिन पहले धमकियों का सिलसिला ऑनलाइन माध्यमों पर चलता था लेकिन बीते कुछ वक़्त से अब उन्हें फ़ोन पर भी जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं.
पुरस्कार और मान्यता :
अक्टूबर 2011 में, राणा अय्यूब ने पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए संस्कृति पुरस्कार प्राप्त किया।
अभिनेत्री ऋचा चडा ने दावा किया है कि उसने राणा अय्यूब, जो उसकी दोस्त भी है, से 2016 में फिल्म चाक एन डस्टर में एक पत्रकार की भूमिका के लिए प्रेरणा ली है.
पुस्तक :-
गुजरात फाइलज़: ऐनाटॉमी ऑफ ए कवर अप में, अयूब ने गुजरात के कई नौकरशाहों और पुलिस अफसरों की छुपा रिकॉर्डिंग डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए रिकॉर्डिंग की। 2002 के गुजरात दंगों और पुलिस मुठभेड़ हत्याओं पर नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों के विचारों को उजागर करने के लिए एक गुप्त जांच के दौरान रिकॉर्डिंग की गई थी। वो अपने को अमेरिकी फिल्म संस्थान की छात्र मैथिली त्यागी, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मान्यताओं के लिए एक वैचारिक संबंध रखने वाली है, के रूप में प्रस्तुत कर रही थी। इसने उन्हें रिकॉर्डिंग करने में सक्षम बनाया।