युसूफ मेहर अली को सलाम 🙏
अब नाम बताएँ,तो पूछेंगे यह कौन हैं।अंग्रेज़ों "भारत छोड़ो"और "साईमन गो बैक"की सबसे पहले आवाज़ देने वाले यूसुफ मेहर अली हैं।आज ही के दिन दुनिया से रुखसत हुए थे।।।जाते जाते हमारे देश की नीव को इतना मज़बूत कर गए की बहुत से सालों तक हम उन सबकी मेहनत के मज़े लेते रहे।उनकी रखी बुनियाद ही हमे विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र में बदल पाई,बना पाई।
मैं तो गाँधी के हाथ की उस कुरेशिया की तीली को देख रहा हूँ,जिसने लीडर्स की पूरी एक फूलों से लदी बेल बुन डाली थी । ऐसे लोग थे,जो अपना सब मिटाकर कुछ बनाने में लगे थे । जो खुद को तबाह करके भारत की बुनियाद रख रहे थे । यह अजीब लोग थे या हम अजीब लोग हैं । वह हमारे लिए अपनी जिंदगियां टुकड़े टुकड़े करके बर्बाद कर रहे थे,हम इन्हें कोसने में खुद टुकड़े टुकड़े हुए जा रहें हैं । यूसुफ मेहर अली को पढ़ना,हम तो कहते हैं कि एक भी नेता उठाओ उस आज़ादी का,जिसपर गाँधी की छाप हो,वह आज भी इतनी रौशनी खुद में समेटे है, जितने से नई नस्ल हमेशा चमकेगी ।
मैं नही कहता यूसुफ मेहर को कोई याद करे या इनके बारे में पढ़े।इन्ही क्या किसी के भी बारे में मत पढ़ें।यह आज़ादी की लड़ाई में सब कुछ मिटा चुके लोग हैं जो खुद कभी नही मिटेंगे।इसलिए याद कीजिये या न कीजिये।हर दौर में कोई न कोई सिरफिरा आएगा जो इनका ज़िक्र करता रहेगा।उसकी भी कोई नही सुनेगा।वह खुद में खुश रहेगा की उसने यूसुफ मेहर के दिल में झाँका और यूसुफ ने उससे बात तो की।।आज पुण्यतिथि पर यूसुफ मेहर अली को फिर दस्तक दी है, वह जानते हैं कि अब उनकी जरूरत पहले से ज़्यादा है, मगर यह भी जानते हैं कि यह अब कभी नही आ सकते,वह बस इस दौर में।किसी को यूसुफ मेहर अली बनते देखना चाहते हैं... उठो,खड़े हो,प्रेम करो और सेवा करते करते मिट जाओ
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