ये कौन है पर्यावरणविद् और गांधीवादी/
सुंदरलाल बहुगुणा,बिड़ला हाउस. 29 जनवरी,1948
प्रख्यात पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन के जनक सुंदरलाल बहुगुणा जी का आज 9 जनवरी को 94वां जन्म दिन है। सुंदरलाल बहुगुणा बचपन से ही गांधी जी के विचारों से प्रेरित और प्रभावित थे।
वे 1947 में लाहौर से दिल्ली आए तो हरिजन सेवक संघ में ही रहने लगे। वे वहां से रोज गांधी जी की शाम को बिड़ला हाउस में होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने पहुंच जाते। राजधानी में सर्वधर्म प्रार्थना सभाएं महात्मा गांधी की पहल पर शुरू हुईं थीं।
गांधी जी की 30 जनवरी 1948 को हत्या से एक दिन पहले महान गायिका एम.एस.सुब्बालक्ष्मी ने भी बापू के प्रिय भजन बिड़ला हाउस में गाए थे। उस दिन नौजवान सुंदरलाल बहुगुणा भी वहां पर थे। उन्हें 30 जनवरी को भी प्रार्थना सभा में भाग लेना था पर वे किसी कारणवश उस मनहूस दिन वहां पर नहीं पहुंच सके थे। उन्हें इस बात का हमेशा अफसोस रहा कि वे30 जनवरी 1948 को बिड़ला हाउस में नहीं थे।
सुंदरलाल बहुगुणा देश के विभाजन के बाद लाहौर से दिल्ली आए थे। वे यहां पर हरिजन सेवक संघ में ठहरे थे। वे तब तक सिखों की तरह से पगड़ी पहनने लगे थे। प्रस्तुत चित्र 1946 के आसपास का है। दरअसल स्वाधीनता संग्राम में क़ैद झेलने के बाद वह आगे की पढ़ाई करने लाहौर चले गए । तब पुलिस उन्हें वहां भी ढूंढते जा पहुंची।ऐसे में लायलपुर जिले के सिखों वाल नामक गाँव के एक सम्पन्न किसान सरदार घुला सिंह ने अपना दत्तक पुत्र बना उन्हें अपने घर मे छुपा दिया।तब वे सरदार मांन सिंह बन कर वर्षों उस परिवार में रहे।
सरदार पटेल ने क्या जिम्मेदारी दी थी बहुगुणा को
महात्मा गांधी ठीक से सुंदरलाल बहुगुणा को जानने लगे थे। चूंकि वे बिड़ला हाउस में आया जाया करते थे तो उनकी मुलाकात सरदार वल्लभ भाई पटेल से भी हो गई।
सरदार पटेल उनकी तीक्ष्ण बुद्धि से प्रभावित थे। सरदार पटेल ने बहुगुणा जी को जिम्मेदारी सौंपी कि वे टिहरी गढ़वाल के राजा से बात करें ताकि वे अपनी रियासत का भारत में विलय तुरंत कर लें। इस तरह से बहुत ही कम उम्र में बहुगुणा जी टिहरी के राजा से अपनी रियासत को भारत में मिलाने के सवाल पर बात कर रहे थे।
उन्होंने ही टिहरी गढ़वाल राज परिवार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया था। वे दिल्ली में भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल के1, औरंगजेब रोड ( अब एपीजे अब्दुल कलाम रोड) के आवास पर लगातार आ जाया करते थे। बहुगुणा जी विवाह के बाद जब सपत्नीक दिल्ली आए तो राजघाट के पास काका साहब कालेलकर के पास ही ठहरे।
इस बीच, आपको भगवान दास रोड पर मिलेगा टिहरी गढ़वाल हाउस। ये टिहरी गढ़वाल के पूर्व राज परिवार का निजी आवास है। । ये देश की आजादी से पहले ही बन गया था। तब गोरे विभिन्न रियासतों को नई दिल्ली में अपने भवन बनाने के लिए भूमि आवंटित कर रहे थे। इसमें लंबे समय तक टिहरी के राजा और सांसद मानवेन्द्र शाह रहते रहे। वे आठ बार लोकसभा सदस्य रहे थे। vivek Shukla, Navbharatimes
नोट- सुंदरलाल बहुगुणा जी से मेरी पहली मुलाकात 17 मार्च,1987 को हिन्दुस्तान टाइम्स हाउस की सीढ़ियों में हुई थी।वे मेरे आगे-आगे सीढ़ियां चढ़ रहे थे। मुझे लगा कि शायद उनसे मिलता-जुलता कोई शख्स होगा। बहुगुणा जी यहां पर क्या करेंगे। पर मैंने दफ्तर की लाइब्रेयरी के पास खादी वस्त्र पहने बहुगुणा को रोका। पूछा, आप बहुगुणा जी हैं? मुस्कराते हुए उनका जवाब मिला, जी, मैं ही हूं।
दरअसल बहुगुणा जी हिन्दुस्तान टाइम्स के तमाम प्रकाशनों के लिए लिखते थे। अंग्रेजी-हिन्दी में खबरें भी भेजते थे। उनकी हिन्दुस्तान टाइम्स में नियुक्ति बापू के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी ने 1948 में की थी। तब देवदास जी हिन्दुस्तान टाइम्स के एडिटर थे। दोनों अच्छे मित्र थे।
बहुगुणा जी ने मेरी किताब Gandhi’s Delhi की Foreword भी लिखी है।