रामदेव ने हिला दी भाजपा की राजनीति / आलोक तोमर
बाबा रामदेव
हालांकि उत्तर प्रदेश के बस्ती शहर में लोगों को योग करवा रहे हैं मगर उत्तराखंड
में उनके नाम को ले कर तूफान मचा हुआ है। सब पूछ रहे हैं कि क्या भूतपूर्व
मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूडी या उनके किसी मंत्री ने वाकई रामदेव की पतंजलि पीठ
से दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी?
बहराइच की एक योग कक्षा में रामदेव ने अचानक
यह धमाका कर दिया और उसके बाद जो लहरे उठ रही ह,ैं उसका मजा ले रहे हैं। हालत तो
भुवन चंद्र खंडूडी की खराब है क्योंकि सब के निशाने पर वे ही है और मुख्यमंत्री
रमेश पोखरियाल निशंक ने तो एक तरह से ऐलान ही कर दिया है कि जिस दिन बाबा रामदेव
नाम बताएंगे, वे उस मंत्री या मुख्यमंत्री या दोनों के खिलाफ
कार्रवाई कर डालेंगे।
बेचारे खंडूडी के दिन वैसे ही खराब चल रहे
है। अकारण उन्हें हटा दिया गया और जिनकी कतई उम्मीद नहीं थी उन रमेश पोखरियाल
निशंक को शपथ दिलवा दी गई। खंडूडी खुद अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के चक्कर में
थे लेकिन वहां भी उनकी नहीं चलती दिखाई पड़ी। रामदेव का कहा हुआ इसलिए महत्वपूर्ण
है कि वे भारतीय जनता पार्टी के काफी करीब माने जाते हैं। लाल कृष्ण आडवाणी के
कहने पर भूतपूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज भी उनके आश्रम में रह आए हैं।
भुवन चंद्र खंडूड़ी ने सफाई दी कि स्वामी
रामदेव ने किसी मंत्री द्वारा उनसे दो करोड़ की रिश्वत मांगने की कभी कोई शिकायत
नहीं की। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव को रिश्वत मांगने वाले मंत्री का नाम के
साथ ही यह भी बताना चाहिए कि उन्होंने किस मुख्यमंत्री से कब इसकी शिकायत की। मगर
बाबा के आरोपों का शोर इतना ज्यादा है कि खंडूडी की बात ही कोई नहीं सुन रहा।
वर्तमान मंत्रिमंडल में रामदेव के न्यास से जुड़े दो मंत्री हैं मगर वे भी खामोश
हैं और इससे खंडूडी की मुसीबत और बढ़ती जा रही है।
एक तरफ कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुयरप्पा
के जमीन घोटाले, दूसरे अर्जुन मुंडा की सरकार बनने के पीछे नागपुर के एक भाजपा समर्थक और
अब तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य व्यापारी अजय संचेती का नाम मुंबई के आदर्श
इमारत घोटाले में आ जाने से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी रामदेव की इस योग मुद्रा
का सामना करने में और ज्यादा परेशान हो गई है।
स्वामी रामदेव के बयान से गुरुवार को शुरू
हुई सियासी हलचल और तेज हो गई। उत्ताराखंड में कांग्रेस और बसपा समेत समूचे विपक्ष
द्वारा स्वामी रामदेव से रिश्वत की डिमांड करने वाले मंत्री के नाम के खुलासे की
मांग के बाद शुक्रवार को भाजपा ने भी स्वामी रामदेव से यही मांग कर डाली।
मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने तो स्वामी रामदेव को यहां तक आश्वस्त किया
कि नाम के खुलासे के बाद सरकार उचित कार्रवाई करेगी। एक तरह से अब इस विवादास्पद
मामले में गेंद स्वामी रामदेव के ही पाले में आ गई है।
उत्ताराखंड के एक मंत्री द्वारा दो वर्ष
पहले रिश्वत में दो करोड़ रुपये मांगने के बयान पर स्वामी रामदेव अडिग हैं और
शुक्रवार को उन्होंने इसे फिर दोहराया। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार हालिया कुछ समय
में भ्रष्टाचार के मामलों से घिरी रही है लिहाजा कांग्रेस ने बाबा के बयान को
लपकने में कोई देरी नहीं की और शुक्रवार को सड़कों पर उतर गई। कई जगह पुतले फूंके
गए, विरोध
प्रदर्शन हुए। कांग्रेस के इस हमलावर रुख के बाद सूबे में सत्ताारूढ़ भाजपा को भी
स्टैंड लेना पड़ा। शुक्रवार शाम पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने मीडिया के
समक्ष अपनी बात रखी और स्वामी रामदेव से मंत्री के नाम के खुलासे का आग्रह किया।
देर शाम नई दिल्ली से एक कार्यक्रम में भाग
लेकर लौटे मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल ने भी स्वामी रामदेव से यही आग्रह कर
डाला। डेटलाइन इंडिया से बातचीत में डा. निशंक ने कहा कि स्वामी रामदेव रिश्वत
मांगने वाले मंत्री का नाम बताएं तो सरकार उचित कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि
इस तरह के आरोपों से विकास के पथ पर अग्रसर उत्ताराखंड की छवि पर विपरीत असर पड़
रहा है और यह उचित नहीं। दरअसल, भाजपा अब तक कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मामलों में बैकफुट
पर धकेलने में कामयाब नजर आ रही थी लेकिन पहले कर्नाटक में मुख्यमंत्री
येदुयुरप्पा पर लगे आरोप और इसके तत्काल बाद स्वामी रामदेव के दो साल पुराने मामले
में उत्तााराखंड की भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करने से परिस्थितियां बदल गई
हैं।
अब पूरा मामला स्वामी रामदेव पर आकर टिक गया
है। हालांकि फिलहाल तो राज्य सरकार पर संकट जैसी कोई स्थिति नहीं दिख रही लेकिन
इतना जरूर है कि अगले कुछ दिन सियासी गतिविधियों के लिहाज से खासे सरगर्म रहेंगे।
स्वामी रामदेव के उत्ताराखंड के एक मंत्री
पर दो साल पूर्व रिश्वत मांगने के आरोप के बाद शुक्रवार को श्री खंडूड़ी ने प्रेस
कांफ्रेंस की। कुछ टीवी चैनलों पर प्रसारित स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के
बयानों का उल्लेख करते हुए श्री खंडूड़ी ने कहा कि इनसे ऐसा लगता है कि यह घटना
उनके मुख्यमंत्रित्व काल की भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस कारण वह अपनी
स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।
उन्होंने साफ लफ्जों में कहा कि स्वामी
रामदेव ने कभी उनसे किसी मंत्री के दो करोड़ रुपये मांगने की शिकायत नहीं की।
उन्होंने स्वामी रामदेव से अनुरोध किया कि वे उस मंत्री का नाम और घटना की तिथि
बताएं। साथ ही यह भी कि,
क्या उन्होंने दो करोड़ की रिश्वत दी और उन्होंने कब और किस
मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की।
श्री खंडूड़ी ने कहा कि वह हमेशा भ्रष्टाचार
के विरोधी रहे हैं। लोकसभा सदस्य, केंद्र में मंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री रहते हुए
सदैव पारदर्शिता के पक्षधर रहे। श्री खंडूड़ी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद से
हटने के बाद उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि वह एक जिम्मेदार राजनैतिक
कार्यकर्ता हैं और इस नाते वह सभी चीजों को सार्वजनिक करने के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन इसे उनकी कमजोरी न
समझा जाए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रकरणों से राज्य की छवि पर विपरीत असर
पड़ रहा है लिहाजा राज्य में ऐसे जितने भी मुद्दे उठ रहे हैं उनकी किसी उच्च व
स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराकर दोषियों को दंडित किया जाए।
बाबा रामदेव बयान प्रकरण ने सूबे में
कांग्रेस को अहम मुद्दा थमा दिया तो इसके मूल में कहीं न कहीं सत्ताारूढ़ भाजपा के
अंतर्विरोध भी जिम्मेदार कहे जा सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की
प्रेस कांफ्रेंस में दिए गए बयान से भी इसकी पुष्टि होती है।
दरअसल, राजनैतिक अस्थिरता इस दस साल की आयु के राज्य की नियति सी
बन गई है। राज्य की पहली अंतरिम भाजपा सरकार से अस्थिरता का जो दौर शुरू हुआ वह
राज्य की पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार के बाद भाजपा की निर्वाचित सरकार के दूसरे
मुख्यमंत्री तक बदस्तूर चला आ रहा है। मार्च 2007 में जब
खंडूड़ी की उत्ताराखंड के मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी हुई थी तो उनका नेता विधायक दल
के रूप में चुना जाना भी कम हंगामेदार नहीं रहा।
तमाम अंतर्विरोध के बीच खंडूड़ी ने सवा दो
साल काटे मगर फिर पार्टी की अंदरूनी उठापटक ने उन्हें सत्ताा से बेदखल कर दिया। अब
भाजपा आलाकमान ने कमान दी डा। रमेश पोखरियाल निशंक को मगर उन्हें भी शुरुआत से ही
अपनों के ही विरोध से दो-चार होना पड़ा। डा। निशंक के लगभग डेढ़ साल के कार्यकाल में
भी उन्हीं के पार्टी के लोगों ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से उनकी घेराबंदी करने का
कोई मौका नहीं चूका।
प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल
रहा है, इसकी
पुष्टि पूर्व सीएम श्री खंडूड़ी की शुक्रवार की प्रेस कांफ्रेंस में भी हुई। श्री
खंडूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उनकी छवि धूमिल करने के प्रयास
लगातार होते रहे हैं। यही नहीं उन्होंने आगे जोड़ा कि भ्रष्टाचार के मामले लगातार
उजागर होने से राज्य की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है और इनकी उच्च एवं स्वतंत्र
एजेंसी से जांच कराई जाए।स्वामी रामदेव के बयान से सियासी हलकों में भूचाल सा है
लेकिन इस सबके बावजूद कुछ सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब अब भी स्पष्ट नहीं हो पा रहे
हैं।
किस मंत्री ने रिश्वत मांगी और किस
मुख्यमंत्री के पास स्वामी रामदेव ने शिकायत की, यह तो यक्ष प्रश्न है ही, इसके अलावा यह भी किसी अबूझ पहेली से कम नहीं कि रिश्वत मांगी किस चीज के
लिए गई। स्वामी रामदेव के शुक्रवार को मीडिया में आए बयान के अनुसार जमीन के लैंड
यूज बदलने के नाम पर यह डिमांड की गई लेकिन दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भुवन
चंद्र खंडूड़ी की प्रेस कांफ्रेंस में जो हैंड आउट बटवाया गया उसमें जिक्र किया गया
कि विभिन्न प्रकार की दवाइयां आदि सामग्री बनवाने के लिए अलग-अलग लाइसेंस की जरूरत
पड़ती है, रिश्वत इसकी ऐवज में मांगी गई। दूसरी तरफ, आचार्य बालकृष्ण ने इस संबंध में आज कहा, पतंजलि
योगपीठ एक संस्थान है, जिसमें पतंजलि विवि, फूड पार्क सहित कई चीजें शामिल है। सरकार के सहयोग से कई अहम कार्य होते
हैं। ऐसे में किसी कार्य के एवज में दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी गई।