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किसान आंदोलन,जोर बाग का / विवेक शुक्ला


किसान आंदोलन,जोर बाग का / ट्रैक्टर किंग और राज कपूर


लोदी गॉर्डन से चंदेक कदमों की दूरी पर रहा करता था भारत का ट्रैक्टर किंग। उसका नाम था एच.पी. नंदा। आजकल जब राजधानी में किसानों का आंदोलन चल रहा है और वे अपने ट्रैक्टरों के साथ राजधानी में हैं तो नंदा जी की याद आना लाजिमी है। वे लाहौर से पांच हजार रुपए लेकर आए थे दिल्ली में।

 देशके बंटवारे के कारण उन्हें अपने शहर लाहौर को छोड़ना पड़ा था। उन्हें आते ही समझ आ गया था कि आजाद भारत  में कृषि क्षेत्र पर फोकस दिया जाएगा। इसलिए उन्होंने 1948 में एस्कॉर्ट्स एग्रीकल्चर नाम से एक कंपनी फरीदाबाद में स्थापित की। ये ही कंपनी कुछ वर्षों के बाद बनाने लगी एस्कॉर्ट्स  ब्रांड नाम से ट्रैक्टर्स।एस्कॉर्ट्स  ट्रैक्टर शुरू से ही भारत के किसानों की पसंद रहे।

हालांकि नंदा साहब की फैक्ट्री तो फरीदाबाद में थी पर वे बैठते थे कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित सिंधिया हाउस के अपने एस्कॉर्ट्स  हाउस में। उन्होंने  अचानक से 1990 में बिजनेस की दुनिया से संन्यास ले लिया था। फिर उनके पुत्र राजन नंदा और पौत्र निखिल नंदा देखने लगेएस्कॉर्ट्स ग्रुप को। नंदा जी ने ही राजदूत मोटर साइकिल भी लांच की थी। वह भी खूब पसंद की गई थी।


ट्रैक्टर किंग क्या लगते थे राज कपूर के


एस्कॉर्ट्स ग्रुप के फाउंडर  एच.पी. नंदा और बॉलीवुड के शो-मैन राजकपूर समधी थे। नंदा साहब के पुत्र राजन नंदा का विवाह राज कपूर की बड़ी बेटी रीतू से हुआ था। कहते हैं, मुंबई से रोके की रस्म में भी भाग लेने के लिए पूरा कपूर  खानदान आया था। उस जत्थे की सरपरस्ती पृथ्वीराज कपूर जी कर रहे थे। राजन नंदा की शादी में दिल्ली और फरीदाबाद के करीब 500 बाराती मुंबई गए थे। उसके बाद एच.पी. नंदा ने राजधानी में अपने मिलने वालों के लिए एक भव्य रिस्पेशन का भी कार्यक्रम रखा था। उसमें आशा सिंह मस्ताना और सुरेन्द् कौर जैसे पंजाबी लोक गीतकारों ने अपनी गायकी से समां बांध दिया था।


आगे चलकर राजन नंदा और रीतू के पुत्र निखिल का विवाह अमिताभ बच्चन की पुत्री श्वेता बच्चन से हुआ। ये दोनों जोरबाग के उसी घर में रहते हैं जहां पर एच.पी. नंदा सपत्नीक रहा करते थे।


नंदा साहब का 1999 में और राजन नंदा का 2018 में निधन हो गया था।  अब एस्कॉर्ट्स  ग्रुप के चेयरमेन निखिल नंदा ही हैं। नंदा साहब का राजन के अलावा एक पुत्र और भी हैं। उसका नाम अनिल है। वह आमतौर पर मीडिया की सुर्खियों से दूर ही रहता है। कहने वाले कहते हैं कि उसकी अपने परिवार वालों से कभी नहीं बनी।


नंदा,डा.नरेश त्रिहेन और एस्कोर्टस


देश में स्तरीय ट्रैक्टरों का उत्पादन चालू करके एच.पी. नंदा यह साबित कर चुके थे कि वे विजनरी इंसान हैं। वे देश की जरूरतों को समझ रहे थे। इसी क्रम में उन्होंने मशहूर हार्ट सर्जन डा. नरेश त्रिहेन को राजधानी में एस्कॉर्ट्स अस्पताल की स्थापना में आर्थिक मदद की। नंदा साहब की डा.त्रिहेन से 1980 के दशक में मुलाकात हुई थी। उस मुलाकात के बाद एस्कॉर्ट्स अस्पताल चालू करने पर सहमति बनी ।


 सबको पताहै कि एस्कोर्ट्स अस्पताल ने शुरूआती बरसों में स्तरीय सेवाएं मरीजों को दी। हालांकि बाद में उसकी कार्यशैली पर तमाम आरोप भी लगे। वहां पर रोगियों की बेकद्री होने लगी। कुछ साल पहले एस्कोर्ट्स अस्पताल पर फोर्टिस समूह का कब्जा हो गया है।


 दरअसल नंदा साहब की विशेषता थी कि वे अपनी उपलब्धियों को जाहिर नहीं करते थे। उन्होंने 1991 में एक मुलाकात में इस नाचीज लेखक से कहा था कि ये छोटापन होता है अगर इंसान अपनी सफलताओं का बखान करता रहे।

 Vivek Shukla 

लेख आज  2 फरवरी 2021 को नवभारतटाइम्स मेें छपा ।

Picture HP Nanda


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