गुजरात: 85 की उम्र में कोरोना को हराया, करोड़ों की संपत्ति गांव की बेटियों की पढ़ाई के लिए दी दान
कोरोना वायरस को कई लोगों ने हराया और वापस अपनी पुरानी जिंदगी जीने लगे, लेकिन गुजरात के 85 वर्षीय पूर्व विधायक ने कोरोना से जंग जीतने के बाद अब ऐसा काम शुरू किया है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. पूर्व विधायक ने गांव की बेटियों की शिक्षा और शादी के लिये करोड़ों रुपये का दान किया है.
- अहमदाबाद,
- 01 फरवरी 2021,
- अपडेटेड 8:46 PM IST
- बेटियों की शिक्षा और शादी के लिये दिया दान
- बीमारों के इलाज का भी उठा रहे पूरा खर्च
- रिबाड़ा के पूर्व विधायक ने शुरू की पहल
गुजरात के सौराष्ट्र से रिबाड़ा के पूर्व विधायक महिपत सिंह जाडेजा बापू कोरोना वायरस की चपेट में आ गये थे. 85 वर्षीय पूर्व विधायक कोरोना को हराकर घर वापस लौट आये हैं. इसके बाद उन्होंने ऐसा काम शुरू किया है, जिसकी चोरों ओर खूब चर्चा हो रही है. बेटियों की शिक्षा और शादी के लिये उन्होंने करोड़ों रुपये का दान किया है.
महिपत सिंह जाडेजा बापू का कहना है कि उनकी उम्र 85 वर्ष की है. हाल ही में उन्हें कोरोना हुआ था. उन्होंने मौत को बेहद करीब से देखा है. वे अपने जीवन के इस पड़ाव पर चाहते हैं कि अपनी करोड़ों रुपये की प्रोपर्टी और जमा पूंजी बेटियों के कल्याण और उनकी पढ़ाई में लगा दें. उन्होंने बिना किसी भेदभाव और जाति धर्म के, बेटियों के लिये नेक पहल शुरू कर दी है. उन्होंने एक महीने से लेकर 25 साल तक बेटियों की पढ़ाई और शादी के लिये एक लाख से 25 लाख रुपये तक दिये हैं.
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महिपत सिंह जाडेजा बापू कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं. महिपत सिंह जाडेजा खुद रिबडा के दरबार बापू हैं. उनके पास करोड़ों रुपये की जमीन और प्रोपर्टी है. करोड़ो रुपये दान में देने वाले महिपत सिंह ने कहा कि वे किसी भी कोरोना के मरीज या बीमार की भी मदद करते हैं. दरअसल महिपत सिंह जाडेजा का गांव की बेटियों की शिक्षा और शादी के लिये पैसे दान देने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. दान करते समय वे अपील ये भी कह रहे हैं, कि ये पैसा बेटी की शिक्षा और शादी के लिये है, इसे किसी और कार्य में खर्च मत करना.
रिबाड़ा के पूर्व विधायक महिपत सिंह जडेजा का कहना है मौत से जंग जीतकर लौटा हूं. अब मेरे पास जितनी भी संपत्ति है, वो गांव की बेटियों को दे दी है. यदि कोई व्यक्ति बीमार है, तो उसे भी इलाज के लिये वे पैसा देंगे. उन्होंने कहा कि ये दान नहीं, बल्कि महादान है.