दिल्ली के भी नायक शिवाजी
छत्रपति शिवाजी को दिल्ली भी अपने नायक के रूप में देखती है। हालांकि वे कभी यहां नहीं आए थे। वे दिल्ली के करीब आगरा तक ही आए थे। यहां पर बसा मराठी समाज शिवाजी महाराज की जयंती के करीब आते ही उत्साहित हो जाता है। आज उनकी जयंती है ।
दिल्ली में शिवाजी की विभिन्न प्रतिमाएं और अर्धप्रतिमाएं लंबे से समय से स्थापित हैं। कनॉट प्लेस से जो सड़क मिन्टो रोड की तरफ जाती है, वहां पर ही छत्रपति शिवाजी महाराज की सन 1972 में आदमकद प्रतिमा की स्थापना करके दिल्ली ने छत्रपति शिवाजी के प्रति अपने गहरे सम्मान के भाव को प्रदर्शित किया था। इसे पुणे के मूर्तिकार और चित्रकार श्री चितेले ने तैयार किया था। इस श्रेष्ठ प्रतिमा में गति व भाव का शानदार समन्वय मिलता है।
गौर करें कि जिस वर्ष इस प्रतिमा की स्थापना हुई थी, उसी वर्ष लेडी हार्डिंग स्टेडियम का नाम शिवाजी स्टेडियम रख दिया गया था। अब तो मिंटो ब्रिज का नाम भी शिवाजी ब्रिज कर दिया है।
एक धर्मनिरपेक्ष राजा की छवि रखने वाले शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा 28 अप्रैल,2003 को संसद भवन में भी स्थापित हुई थी। इस 18 फीट ऊंची तांबे की मूर्ति को प्रख्यात मूर्तिकार राम सुतार ने तैयार किया था। ये संसद भवन के गेट नंबर तीन पर रखी गई है। इसके ठीक सामने लोकसभा अध्यक्ष का कार्यालय भी है। इसका जिस दिन अनावरण हुआ उस दिन महाराष्ट्र के लगभग सारे सांसद और यहां पर बसे मराठी समाज के बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे।
महात्मा गांधी की अनेक और सरदार पटेल की बेजोड़ ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ प्रतिमा बनाने वाले राम सुतार ने शिवाजी महाराज अर्धप्रतिमा की एक अर्ध प्रतिमा को भी तैयार किया है। ये कुतुब इन्स्टिटूशनल एरिया में स्थित श्री छत्रपति शिवाजी महाराज भवन में स्थापित है।
इसी तरह से एक अर्ध प्रतिमा दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिवाजी कॉलेज में भी स्थापित है। शिवाजी कॉलेज सन 1961 में महाराष्ट्र से संबंध रखने वाले पंजाब राव देशमुख के प्रयासों से चालू हुआ था। वे नेहरु सरकार में मंत्री थे। उनकी दिल्ली के चिड़ियाघर को स्थापित करने में भी अहम भूमिका रही थी।
राजधानी के मराठी समाज के नूतन मराठी स्कूल और कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित महाराष्ट्र सदन में भी शिवाजी महाराज की अर्धप्रतिमाएं
स्थापित है।