*पुदीना से सरल सफल कारगर उपचार |*/ कृष्ण मेहता
*🌹घरेलू चिकित्सा के महानायक 'अग्रज तुल्य गुरु श्री गोविंद शरण प्रसाद जी 9958148111'🌹के ज्ञान को संग्रहित कर आप सभी के बीच 'मैं दीपक आर्य व परम् मित्र अरुण आर्य'आप सभी से विनती करता हूँ आज व अभी से श्री राजीव दीक्षित जी को सुनना प्रारम्भ करें व अपने जीवन को धन्य बनायें व राष्ट्र हित में इस ज्ञान को अवश्य पढ़ें व औरों में बाँटें।🌹*
*भारत के लगभग सभी प्रदेशों में पोदीना उगाया जाता है। पोदीने में अधिक तेज खुशबू होती है। पोदीने की चटनी अच्छी बनती है। पोदीने का उपयोग कढ़ी में और काढ़ा बनाने में किया जाता है। दाल-साग आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यदि हरा व ताजा पोदीना उपलब्ध न हो तो उसके पत्तों को सुखाकर उपयोग में लाया जा सकता है। पोदीने में से रस निकाला जाता है। पोदीने की जड़ को जमीन में बोकर पोदीने की उत्त्पति की जाती है। पोदीना किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। घरों के बाहर लॉन में, बड़े गमलों में पोदीने को उगा सकते हैं। पोदीने के पत्तों से भीनी-भीनी सुगंध आती है।*
*पुदीना के गुण :- पोदीना भारी, मधुर, रुचिकारी, मलमूत्ररोधक, कफ, खांसी, नशा को दूर करने वाला तथा भूख को बढ़ाने वाला है। यह हैजा, संग्रहणी (अधिक दस्त का आना), अतिसार (दस्त), कृमि (कीड़े) तथा पुराने बुखार को दूर करने वाला होता है। यह मन को प्रसन्न करता है, हृदय और गुर्दे के दोषों को दूर करता है, हिचकियों को रोकता है, बादी को समाप्त करता है, पेशाब और पसीना लाता है, बच्चा होने में सहायता करता है, इसके सूंघने से बेहोशी दूर हो जाती है। पोदीना अजीर्ण (अपच), मुंह की बदबू, गैस की तकलीफ, हिचकी, बुखार, पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, जुकाम, खांसी आदि रोगों में लाभदायक होता है। पोदीना का प्रयोग अर्क (रस) सूप, पेय के रूप में किया जाता है। यह चेहरे के सौंदर्य को बढ़ाने वाला, त्वचा की गर्मी दूर करने वाला, रोगों के कीटाणुओं को नष्ट करने वाला और दिल को ठंडक पहुंचाने वाला है। यह जहरीले कीड़ों के काटने पर और प्रसूति ज्वर में भी लाभकारी होता है।*
*सेवन की मात्रा : 6 ग्राम पोदीने का सेवन कर सकते हैं। पोदीने के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तेल में 1 से 3 बूंद तक ले सकते हैं।*
*जब पुदीने का चूर्ण उपयोग करना पड़े तो लगभग 6 ग्राम , अगर रस उपलब्ध हो तो 10 से 20 ml तक व अगर पुदीने का तेल उपलब्ध हो तो 1बून्द से 3 बून्द तक ले सकते हैं।*
*•गले की सभी समस्याओं से बचाव हेतु सेवन करें पुदीने के इस योग को:- 5-5 ग्राम पोदीना सत्व, लोहबान और अजवायन सत्व, 5 ग्राम कपूर, 5 ग्राम हींग चूर्ण, 5 ग्राम हल्दी चूर्ण को 25 ग्राम शहद में मिलाकर एक साफ शीशी में भरकर रख लें, फिर पान के पत्ते में चूना-कत्था लगाकर शीशी में से 4 बूंदे इस पत्ते में डालकर खाने से गले के सभी रोग (सूजन,जलन,चुभन,दर्द,खुजली,छाले,रसौलि, आवाज,टॉन्सिल,इत्यादि) नस्ट होता है।*
*गले की समस्या में आप अभी दो दो चुटकी हल्दी,कालीमिर्च या 6 7 पुदीना के पत्ते या धनिया या एक चुटकी फिटकिरी को एक कप पानी मे उबालकर गरारे करें व पियें 3 4 बार करें खट्टे व ठंडे का पूर्णतः परहेज रखें।*
*•निम्नरक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) हेतु 50 ग्राम पोदीने को पीसकर उसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक, हरा धनिया और कालीमिर्च को डालकर चटनी के रूप में सेवन करना चाहिए।*
*•गठिया के रोगी (मूत्रावरोध के कारण) को पोदीने का काढ़ा बनाकर पीलाने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग में नस्ट होता है।*
*•पुदीना के रस को शहद के साथ पन्द्रह दिनों तक सुबह शाम सेवन करने से पीलिया रोग नस्ट होता है*
*•शराब के अंदर पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे, झांई सब मिट जाते हैं और चेहरा भी चमक उठता है।*
*•हरे पोदीने को पीसकर कम से कम 20 मिनट तक चेहरे व त्वचा पर लगाने से चेहरे व त्वचा की गर्मी समाप्त हो गर्मी से उतपन्न रोग भी नस्ट हो जाती है।*