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हिंदी के बिना देश का विकास संभव नहीं- त्रिवेदी



25, September 2012
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DINKAR
नई दिल्ली।हिंदीसाहित्य के प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर उन्हें याद कियागया और इस मौके पर कुछ रचनाकारों को सम्मानित किया गया। मशहूर पर्यावरणविदऔर ग्लोबल युनिवर्सिटी (नगालैंड) के कुलपति प्रियरंजन त्रिवेदी ने कहा किहिंदी के विकास के बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हिंदीकी वजह से ही देश के पहचान है और वह हमें एक सूत्र में बंधती है। त्रिवेदीइंद्रप्रस्थ इंडिया इंटरनेशल के तत्वधान में आयोजित राष्ट्र कवि रामधारीसिंह दिनकर जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षापद्धिति ठीक नहीं है जिसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है। उन्होंने कहा किपर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है और इसे हर स्तर पर ठीक करनाहोगा, तभी हम राष्ट्रकवि दिनकर के उन सपनों को पूरा कर पाएंगे, जो सपनाउन्होंने देखा था। संस्था के महासचिव अंजनी कुमार राजू ने कहा कि हमेंदिनकर के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी, जिन्होंने हिंदी का परचम हमेशा बुलंदरखा। आज हम हिंदी को भूलते जा रहे हैं जबकि हिंदी हमें बेहतर ढंग सेसंप्रेषित करती है। राजू ने अफसोस जताया कि राजनीति से जुड़े लोग दिनकरजयंती को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं।

उन्होंने कहा कि एक केंद्रीय मंत्रीको जब हमने आयोजन के लिए न्योता तो उन्होंने कहा कि समारोह में हम हिंदीमें बात करेंगे तो हम दक्षिण के जिस प्रदेश से आते हैं, वहां हमारा विरोधहोगा। राजू ने दिनकर की रचनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि जरूरत इस बात कीहै साहित्य के जरिए फिर से क्रांति लाई जाए। संस्था के अध्यक्ष डॉ जी पी एसकौशिक ने कहा कि दिनकर जी की रचनाएं हमें बेहतर समाज बनाने के लिए प्रेरितकरती हैं। उन्होंने बताया कि हम यह कार्यक्रम और भव्य तरीके से मनानाचाहते ते और इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से समय मांगागया था लेकिन वर्तमान राजनीतिक हलचल की वजह से राष्ट्रपति भवन से जो संदेशमिला उसमें कहा गया कि अक्तूबर या नवंबर की कोई तारीख आपको दी दाएगी। कौशिकने कहा कि हम दो महीने बाद दिनकर जी को याद करने के बहाने जुटेंगे और भव्यकार्यक्रम करेंगे। इस मौके पर सांसद प्रदीप सिंह, अधिवक्ता रामनगीना सिंहऔर निशलेश ने भी दिनकर के साहित्यिक योगदान पर अपनी बात रखी। इस मौके परअनिल सुलभ, फजल इमाम मल्लिक, डा. कौशलेंद्र नारायण, रविकांत सिंह को दिनकरसाहत्यि रत्न सम्मान से नवाजा गया। समाजसेवा के क्षेत्र में जहांगीर, रणजीतकुमार और ओमप्रकाश ठाकुर को सम्मानित किया गया।

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