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नरगिस जी के बारे मे कुछ दिलचस्प जानकारियां

 नरगिस जी जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियां

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3 मई, 1981 को नरगिस जी ने दुनिया को अलविदा कहा था . कैंसर की बीमारी थी. नरगिस राज्यसभा के लिए नॉमिनेट और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं. नरगिस की एक्टिंग का जलवा यूं समझिए कि 1968 में उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला. नरगिस के बचपन का नाम फातिमा राशिद था. करियर की शुरुआत तलाश-ए-हक फिल्म में बतौर चाइल्ड एक्टर की. उम्र थी महज 6 साल.


पहली बार नरगिस को लीड रोल मिला 1942 में. फिल्म का नाम था तमन्ना. लेकिन नरगिस को जिस फिल्म की वजह से लोग आज भी याद करते हैं वो है मदर इंडिया. ऑस्कर में फॉरेन लेंगुएज कैटेगिरी में चुनी जाने वाली पांच फिल्मों में मदर इंडिया चुनी गई. उस साल का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था मदर इंडिया को.


नरगिस और राज कपूर की मुलाकात एकदम फिल्मी अंदाज में हुई थी. राजकपूर किसी फिल्म के सिलसिले में नरगिस की मां से मिलने गए थे. जद्दनबाई घर पर नहीं थीं. नरगिस उस समय पकौड़ियां तल रही थीं. जब नरगिस ने दरवाजा खोला तो उनके हाथों में बेसन लगा हुआ था, जो नरगिस के गाल पर भी लग गया था. राजकपूर को नरगिस का यह भोलापन भा गया.


नरगिस से पहली बार मिलते वक्त राज कपूर ने खुद को इंट्रो पृथ्वीराज कपूर के बेटे के रूप में दिया. लेकिन नरगिस राज कपूर को फिल्मों में देख चुकी थीं. राज कपूर को नरगिस के साथ अपनी पहली मुलाकात जिंदगी भर याद रही. इस असल किस्से को राजकपूर ने बॉबी फिल्म के एक सीन में हूबहू उतार दिया.


राज कपूर और नरगिस दोनों की पहली फिल्म आग थी. दोनों ने साथ में 16 फिल्में कीं. ज्यादातर फिल्मों को दर्शकों ने खूब पसंद किया. 9 सालों तक पर्दे पर राज-नरगिस की ये जोड़ी हिट बनी रही.


मुहब्बत के दुश्मन हर दौर में थे. नरगिस की मां जद्दनबाई को अपनी बेटी नरगिस की मुहब्बत रास नहीं आई. इसकी वजह से बरसात फिल्म के जो सीन कश्मीर में शूट किए जाने थे, उन्हें खंडाला और महाबलेश्वर में ही शूट करना पड़ा.


आवारा फिल्म की शूटिंग के दौरान एक गाने को फिल्माने के लिए ही राजकपूर ने 8 लाख रुपये खर्च कर दिए. जबकि पूरी फिल्म पर तब तक 12 लाख रुपये ही खर्च हुए थे. कहते हैं इसकी वजह से जब फिल्म ओवरबजट हो गई तो नरगिस ने अपने गहने बेचकर राज कपूर की मदद की. नरगिस का राजकपूर के लिए प्यार ही था कि फिल्म को सफल बनाने के लिए नरगिस ने उस जमाने में बिकिनी पहनी. रूस, चीन और अफ्रीकी देशों में भी फिल्म खूब चली.


नरगिस और राजकपूर शादी करना चाहते थे. पर राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर इसके सख्त खिलाफ थे. नरगिस और राजकपूर के बीच इतनी मुहब्बत थी कि नरगिस महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री मोरारजी देसाई से इसलिए मिलने चली गईं थीं, ताकि राजकपूर से शादी का कोई कानूनी रास्ता निकल सके.


नरगिस के भाई अख्तर हुसैन ने एक बार उनसे कहा कि राजकपूर लगातार हीरो पर केंद्रित फ़िल्में बनाकर उनका गलत फायदा उठा रहे हैं. धीरे-धीरे गलतफहमियां बढ़ीं और दोनों के रिश्ते में दरार पड़ने लगी. राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए. लोगों ने वहां नरगिस को राजकपूर की बीवी समझ. चारों तरफ बस राजकपूर की ही पूछ थी. इससे दोनों के बीच इगो की तकरार हुई जो इतनी बढ़ी कि यात्रा आधी छोड़कर नरगिस इंडिया लौट आईं. हालांकि वादा था तो नरगिस ने ‘जागते रहो’ की शूटिंग पूरी की. लेकिन RK स्टूडियो बैनर के साथ ये नरगिस की आखिरी फिल्म थी.


इसके बाद जब नरगिस ने 1957 में महबूब खान की मदर इंडिया साइन की तो राजकपूर को बताया तक नहीं. मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई. सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया. मार्च, 1958 में दोनों की शादी हो गई. दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता. साल 1981 में 3 मई को नरगिस दुनिया छोड़ गईं !!


अविनाश विवेक


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