Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

परम संतोषी विश्व चैंपियन/ विवेक शुक्ला

 अशोक दीवान मार्च का महीना आते ही साल 1975 में चले जाते हैं। उस साल की 15 मार्च उनके और भारतीय हॉकी के लिए किसी सपने से कम नहीं थी।


 उस दिन भारत-पाकिस्तान का विश्व कप हॉकी चौंपियनशिप का फाइनल मैच मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर के मर्डेका स्टेडियम में खेला गया था। उन्हें मैच वाले दिन कप्तान अजितपाल सिंह ने बता दिया था कि उन्हें आज फाइनल मैच खेलना है। अशोक दीवान तब लगभग 20 साल के थे।

 उन्हें अपने कप्तान की बात को सुनकर कुछ पलों के लिए यकीन ही नहीं हुआ। विश्व कप का फाइनल खेलना कोई सामान्य बात तो नहीं थी। फिर वे टीम के पहले गोल कीपर भी नहीं थे। पहले गोलकीपर लेशले फर्नांडीज थे।


अशोक दीवान को अच्छी तरह से पता था पाकिस्तान की टीम में इस्लाउद्दीन, अख्तर रसूल,शहनाज शेख, समीउल्लाह जैसे मारक आक्रामक फारवर्ड हैं। ये किसी भी टीम की रक्षा पंक्ति को भेदने की काबिलियत रखते थे। उन्हें फाइनल मैच में खेलने का मौका उनके सेमी फाइनल में मलेशिया टीम के खिलाफ  जुझारू प्रदर्शन के कारण ही मिला था।

 उस मैच में अशोक दीवान और असलम शेऱ खान को खेल के अंतिम क्षणों में मैदान में उतारा गया था। तब भारत 1-2 के अंतर से मैच में पिछड़ रहा था। इन्होंने खेल का रुख बदल दिया था। 

पहले असलम शेर खान, फिर हरचरण सिंह के गोल और अशोक दीवान ने जिस तरह से मलेशिया के हमलों को रोका था वह अब भारतीय हॉकी के सुनहरे दौर का हिस्सा हैं।

खैर,दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में फाइनल मैच शुरू हुआ। दर्शकों में मलेशिया में बसे हजारों भारतवंशी भी थे। अशोक दीवान अपने साथी खिलाड़ियों के साथ विश्वास से लबरेज थे। फाइनल जीतने के इरादे से भारतीय टीम मैदान में उतरी थी।

 दिल्ली यूनिवर्सिटी और  उत्तर रेलवे की टीम से खेलते हुए अपनी क्षमताओं से हॉकी के शैदाइयों को प्रभावित कर चुके अशोक दीवान ने मन ही मन फैसला कर लिया कि फाइनल में पाकिस्तान को सफल नहीं होने देंगे। 

उनके इस्पाती जज्बों से भारतीय टीम मैनेजमेंट वाकिफ भी था। पर पाकिस्तान ने मैच शुरू होने के कुछ देर के बाद एक गोल करके बढ़त बना ली। लेकिन, उसके बाद अशोक दीवान ने पाकिस्तान के लगातार हमलों को निरस्त किया। वे गोल पोस्ट के आगे चट्टान बनकर खड़े हो गए। इस बीच, भारत की तरफ से सुरजीत सिंह ने बराबरी का और अशोक कुमार ने दूसरा गोल करके भारत को बढ़त दिलवा दी थी। यह बढ़त अंत तक बनी रही।

 तो इस तरह भारत हॉकी विश्व कप जीत पाया। भारतीय टीम सिंगापुर होते हुए भारत वापस आई। विश्व विजेता टीम का सारे भारत में स्वागत हुआ। 


सरकार ने विजयी टीम के खिलाड़ियों को पेट्रोल पंप देने की पेशकश की। अजितपाल सिंह ने सादिक नगर में और असलम शेऱ खान ने पंखा रोड में पेट्रोल पंप लिए।


 पर अशोक दीवान ने पेट्रोल पंप लेने के बारे में सोचा ही नहीं। अशोक दीवान कहते हैं कि मुझे तो पता ही नहीं था कि पेट्रोल पंप कैसे लेते हैं। मेरे घर वालों ने भी पेट्रोल पंप लेने के बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया।

 उन्हें तो रत्तीभर भी अफसोस नहीं कि वे पेट्रोल पंप नहीं ले सके। एक विश्व चैंपियन का परम संतोषी होना हैरान भी करता है। सच में अब उनके जैसे सीधे-सरल मनुष्यों की प्रजाति विलुप्त हो रही है।

Vivek Shukla 

Navbharatimes 18 March 2021



Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>