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दो मई का इंतज़ार / वीरेन्द सेंगर


 दो मई का इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है अब ... आप सभी राजनेता जीत चुके है ... क्यूंकि जनता हार चुकी है ...  आपकी जीत के गवाह हैं ये बन्द पड़े बाजार ये लाशों से भरे श्मशान ... जाइए जीत का जश्न मना लीजिए ..  लोकतंत्र में तंत्र का बचा रहना  ज्यादा ज़रूरी है चाहे "लोक"बचे ना बचे ... लाखों की रैलियां कर कर के लोकप्रियता दिखाना ज्यादा जरूरी था चाहे लोग बीमार हो जाएं ... वाकई इस देश में सिर्फ चुनाव जरूरी है ... रैलियां जरूरी है ...  बधाई हो आप सभी एक बार फिर इस जनता को मूर्ख बनाने में सफल हुए .... इसके लिए आप सभी दलों के राजनेताओं को हार्दिक बधाइयां ...


 आप को शायद अंदाजा भी ना हो ... की आप की इस दो मई की चिंता ने ना जाने कितनो की दो जून की रोटी को संकट में डाल दिया है !!! 


और हां  इंसानों की लाशों के ऊपर बिछी इन कुर्सियों पर बैठ कर एक ट्वीट ज़रूर कर दीजियेगा .. दो गज दूरी मास्क है जरूरी !!!


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