दुनिया कितनी ख़ूबसूरत है इनसे सीखें / महेंद्र प्रताप
केन्या के सुप्रसिद्ध धावक अबेल मुताई खेल प्रतियोगिता के अंतिम राउंड में दौड़ते वक्त अंतिम लाइन से एक मीटर दूर रह गये थे। उनके सभी प्रतिस्पर्धी पीछे थे। अबेल ने स्वर्ण पदक लगभग जीत ही लिया था, इतने में कुछ गलतफहमी के कारण वे अंतिम रेखा समझकर एक मीटर पहले ही रुक गए। उनके पीछे आने वाले स्पेन के इव्हान फर्नांडिस ने देखा अंतिम रेखा समझ नहीं आने की वजह से वह पहले ही रुक गए। उन्होंने चिल्लाकर अबेल को आगे जाने के लिए कहा। लेकिन स्पेनिश नहीं समझने की वजह से वह नहीं हिले।आखिर में इव्हान ने उसे धकेलकर अंतिम रेखा तक पहुंचा दिया। इस कारण अबेल का प्रथम तथा इव्हान का दूसरा स्थान आया।
पत्रकारों ने इव्हान से पूछा, तुमने ऐसा क्यों किया ? मौका मिलने के बावजूद तुमने प्रथम क्रमांक क्यों गंवाया ?
इव्हान ने कहा मेरा सपना है हम एक दिन ऐसी मानवजाति बनाएंगे जो एक दूसरे को मदद करेगी न कि उसकी भूल से फायदा उठाएगी। और मैंने प्रथम स्थान नहीं गंवाया।"
पत्रकार ने फिर कहा लेकिन तुमने केनियन प्रतिस्पर्धी को धकेलकर आगे लाया।
इसपर इव्हान ने कहा वह प्रथम था ही। यह प्रतियोगिता उसी की थी।
पत्रकार ने फिर कहा, लेकिन तुम स्वर्ण पदक जीत सकते थे।
इव्हान ने कहा, उस जीतने का क्या अर्थ होता। मेरे पदक को सम्मान मिलता ? मेरी मां ने फिर मुझे क्या कहा होता ?
संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आगे जाते हैं। मैंने अगली पीढ़ी को क्या दिया होता ? दूसरों की दुर्बलता या अज्ञान का फायदा न उठाते हुए उनको मदद करने की सीख मेरी मां ने मुझे दी है।
...और यह दूसरी कहानी
टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की हाई जम्प फाइनल में इटली के जियानमारको ताम्बरी का सामना क़तर के मुताज़ इसा बर्शिम से हुआ। दोनों ने 2.37 मीटर की छलांग लगाई और बराबरी पर रहे। उसके बाद ओलंपिक अधिकारियों ने उनमें से प्रत्येक को तीन और प्रयास दिए, लेकिन वे 2.37 मीटर से अधिक तक नहीं पहुंच पाए।
उन दोनों को एक और प्रयास दिया गया, लेकिन उसी वक़्त टाम्पबेरी पैर में गंभीर चोट के कारण अंतिम प्रयास से पीछे हट गए। यह वह क्षण था जब मुताज़ बरशिम के सामने कोई दूसरा विरोधी नहीं था औऱ उस पल वह आसानी से अकेले सोने के क़रीब पहुंच सकते थे!
लेकिन बर्शिम के दिमाग में कुछ घूम रहा था औऱ फ़िर कुछ सोचकर उसने एक अधिकारी से पूछा, "अगर मैं भी अंतिम प्रयास से पीछे हट जाऊं तो क्या हम दोनों के बीच गोल्ड मैडल साझा किया जा सकता है?"
कुछ देर बाद एक आधिकारी जाँच कर पुष्टि करता है और कहता है "हाँ बेशक गोल्ड आप दोनों के बीच साझा किया जाएगा"।
बर्शिम के पास और ज्यादा सोचने के लिए कुछ नहीं था । उसने आखिरी प्रयास से हटने की घोषणा की।
यह देख इटली का प्रतिद्वन्दी ताम्बरी दौड़ा और मुताज़ बरसीम को गले लगा कर चिल्लाया ! दोनों भावुक होकर रोने लगे ।
लोगों ने जो देखा वह खेलों में प्यार का एक बड़ा हिस्सा था जो दिलों को छूता है। यह अवर्णनीय खेल भावना को प्रकट करता है जो धर्मों, रंगों और सीमाओं को अप्रासंगिक बना देता है !!!
इसी दुनिया मे लोग सुख दुख साझा करने से डरते है और कुछ महान लोग गोल्ड मेडल तक साझा कर रहे हैं।
इंसानका किरदार किसी भी मैडल से बड़ा है।