पता नहीं हममें से कितने लोग ने अदिति अशोक का नाम सुना है। बेंगलुरु की यह लड़की दुनिया में 200वें नंबर की महिला गोल्फ खिलाड़ी है। दुर्भाग्यवश भारत में गोल्फ को लोकप्रियता नहीं मिल सकी है। आज हम अदिति की चर्चा कर रहे हैं तो इसलिए कि वह भारत के लिए तोक्यों ओलिंपिक में एक और पदक लाने से बाल-बाल रह गई। उसकी इस उपलब्धि को सराहने के लिए पहले हमें गोल्फ के बारे में कुछ तो जान लेना होगा।
गोल्फ बहुत ही बड़े मैदान पर खेला जाता है। कभी-कभी तो यह 150 एकड़ तक में फैला हुआ होता है। पूरे मैदान में सवा चार-चार इंच के 18 छेद बने होते हैं और एक-एक कर के इन सब में गेंद पिलाना होता है। गेंद को आगे ले जाने या सरकाने के लिए जो स्टिक का प्रयोग होता है, उसे आप हाकी की तरह का मान सकते हैं। हालांकि इस खेल में एक नहीं अनेक तरह के स्टिक होते हैं जिनका उपयोग अलग-अलग मौके पर किया जाता है। गेंद को जोर से मार कर दूर तक पहुंचाने के लिए एक तरह की स्टिक होती है तो उसे हल्के से सरका कर छेद में पिलाने के लिए अलग तरह की स्टिक। खेल को चुनौतीपूर्ण बनाने के लिए मैदान में जहां-तहां रेत-बालू या पानी से भरे गढ्ढे भी बनाए गए होते हैं। गेंद इनमें फंस जाए तो उसे निकालने के लिए ज्यादा प्रयास करने की जरूरत होती है। इसके लिए स्टिक भी अलग प्रकार का ही होता है।
खेल की शुरुआत टी-प्वाइंट से होती है और फिर जिस छेद में गेंद पिलाई गई हो, वहां से अगली छेद की तरफ बढ़ना होता है। बिना उस छेद में गेंद पिलाए अगली छेद की तरफ नहीं बढ़ा जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि कोई कहीं से कहीं बढ़ जा सकता है। हरेक छेद का क्रम निर्धारित होता है और खिलाड़ी को उसी क्रम में बढ़ना होता है। हरेक छेद में गेंद पिलाने के लिए कितने प्रयास पर्याप्त होंगे, यह भी पूर्व निर्धारित होता है। खिलाड़ी को कम से कम प्रयास में गेंद पिलाना होता है और यही उसकी योग्यता होती है। यानी जो जितने कम प्रयासों में सारी की सारी छेदों में गेंद पिला देता है, वही खेल का विजेता होता है। निर्धारित प्रयासों में गेंद पिलाए जाने को पार कहते हैं। निर्धारित प्रयासों से एक अधिक प्रयास में गेंद पिलाने को बूगी कहते हैं। उससे भी एक ज्यादा प्रयास को डबल बूगी कहा जाता है। इसी तरह निर्धारित प्रयास से एक कम में गेंद पिलाए जाने को बर्डी कहते हैं जबकि दो कम में गेंद पिलाए जाने को ईगल कहते हैं। जाहिर है कि बर्डी और ईगल को अच्छा माना जाता है तथा बूगी को खराब।
अब इस पैमाने पर देखते हैं कि अदिति का प्रदर्शन कहां रहा। ओलिंपिक में गोल्फ का खेल चार चक्रों का होता है और ह चक्र में खिलाड़ी को सभी 18 छेदों में गेंद पिलानी होती है। कल तीसरे चक्र की समाप्ति पर अदिति अशोक दूसरे स्थान पर थी और उसके प्रदर्शन को देखते हुए उसे पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उससे ऊपर तब अमेरिका की नेली कोर्डी ही थी, जो गोल्फ में दुनिया की पहले नंबर की महिला खिलाड़ी है। दूसरे चक्र में अदिति ने पाँच बर्डी तथा तेरह पार के साथ अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। इससे पिछले दिन भी उसने पाँच ही बर्डी पाए थे, पर एक बूगी भी पा बैठी थी। तीसरे चक्र में उसे बूगी तो दो मिले थे, पर शेष खिलाड़ियों का प्रदर्शन उम्दा नहीं रहा था और इसलिए अपने पाँच बर्डी की बदौलत वह दूसरे नेंबर पर टिकी रही थी। फिर से याद दिला दें कि बर्डी यानी निर्धारित प्रयास से एक कम में और बूगी यानी निर्धारित से एक अधिक प्रयास में गेंद को छेद में डाल पाने में सफलता।
अब आखिरी दिन की बात करें। दिन की शुरुआत हुई तो जापान की इनामी और न्यूजीलैंड की लिड्या दोनों ही उससे पीछे थीं। पर नौ छेदों तक पहुंचते-पहुंचते यानी आधे खेल के बाद बाजी किसी भी तरफ जाती दिखाई देने लगी थी। इस समय तक अदिति ने नौ छेदों में गेंद पिलाने के लिए तीन बार तो कम प्रयास में सफलता पाई थी, जबकि एक बार उसे अधिक प्रयास करना पड़ा था। इसी दरम्यान जापान की खिलाड़ी ने पाँच बर्डी पाए थे। हालांकि उसके साथ एक बूगी भी था। उधर लिड्या ने भी पाँच ही बर्डी हासिल किए थे, पर उसके मत्थे कोई बूगी नहीं था। अब पासा किसी भी तरफ जा सकता था और पहले तान स्थान पर खिलाड़ियों के नाम बार बार बदलने लगे थे।
यही वह मौका था जब अदिति पर दबाव बढ़ गया और दो बार सिर्फ दो बार ही वह निर्धारित प्रयास से कम में गेंद पिला सकी, जबकि उसे एक बूगी भी मिल गया। घबराहट में लिड्या भी रही और उसने एक के बाद बूगी पा ली। आखिरी के आठ छेदों में से तीन में उसे बूगी हासिल हुआ, लेकिन शेष पाँच में से चार में बर्डी लेने में सफल रही। दूसरी ओर इनामी आठ में से पाँच छेदों में निर्धारित से एक कम में गेंद पिला ले गई और केवल एक में ही उसे निर्धार्त प्रयास से एक अधिक में गेंद पिलाने की जरूरत हुई।
अपने इन प्रदर्शनों के साथ जापान तथा न्यूजीलैंड की खिलाड़ी संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर थी जबकि भारत की अदिति तीसरे स्थान पर। हालांकि गोल्फ में संयुक्त रूप से पदक देने का कोई प्रावधान नहीं है इसलिए दूसरे तथा तीसरे स्थान के लिए इनामी और लिड्या के बीच रस्साकशी हुई, जिसमें इनामी ने ईनाम पा लिया और इस तरह अदिति चौथे स्थान पर रह गई। हालांकि मार्के की बात है कि अगर उसने दो प्रयास कम में अपना खेल पूरा कर लिया होता तो वह स्वर्ण पदक की हकदार होती और सिर्फ और सिर्फ एक प्रयास ही और कम हो जाते तो रजत या कांस्य पदक उसकी झोली में होता। बहरहाल, उसने अपने कौशल से एक ऐसे खेल में हम सब की रुचि जगा दी है, जिसे देश में कम लोग ही जानते-समझते हैं। और यह कोई छोटी बात नहीं है।