Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

आज आदिवासी दिवस है/ उदय वर्मा

 आज आदिवासी दिवस है। इस दिवस का संदेश आदिवासियों को समग्र विकास की मुख्यधारा से जोड़ना था, लेकिन यह संकल्प वहीं के वहीं खड़ा है, जहां से आदिवासी दिवस मनाने की घोषणा हुई थी।


 यह जरूर है कि आदिवासियों के एक छाटे हिस्से ने अपने लिए तरक्की के नये पुल बना लिए हैं और वे सम्पन्नता से भरा ऐश का जीवन भी जी रहे हैं, लेकिन इस समुदाय का बड़ा हिस्सा मुख्यधारा से दूर छिटका संघर्षपूर्ण जीवन जी रहा है।


अगर सिर्फ झारखंड की बात की जाए तो इस राज्य की स्थापन आदिवासियों के विविध आयामी विकास के नाम पर हुयी थी। सोचा गया था कि झारखंड के लोग अपने तरीके से यहां के संसाधनों का इस्तमाल कर अपना विकास कर  सकेंगे, लेकिन पिछले दो दशकों में यहां विकास कम और विकास का पाखंड ज्यादा हुआ है।


पिछले बीस वर्षों में राज्य में आदिवासी और ग्रामीण विकास की अनगिनत योजनाएं बनी, लेकिन इन योजनाओं का कितना लाभ आदिवासी आबादी तक पहुंचा यह सब को मालूम है।


बिहार के जमाने में झारखंड आन्दोलनकारियों की शिकायत होती थी कि बिहार में मैदानी इलाकों से उभरा नेतृत्व झारखंड के पठारी इलाकों का ख्याल नहीं रखता और वह इस क्षेत्र के दोहन का नया-नया तरीका विकसित करता रहता है। देखा जाए तो झारखंड बनने के बाद भी इस मानसिकता में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। इसलिए  आदिवासी दिवस को बदलाव का वाहक बनाने की जरूरत है ताकि आदिवासियों के समग्र विकास के लिए बड़े रास्ते न सही लेकिन छोटी-छोटी पगड़़ंड़ियां बनायी जा सके। 


सभी को आदिवासी दिवस पर बधाई,मंगलकामनाएं।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>