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सदाशिव राव साठे की याद में / विवेक शुक्ला

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साठे जी ने बनाईं दिल्ली और  मुंबई में बेजोड़ प्रतिमाएं


महात्मा गांधी की देश और राजधानी में संभवत: पहली आदमकद प्रतिमा चांदनी चौक के टाउन हॉल के बाहर 1952 में लगी थी। उस नौ फीट ऊंची मूरत को बनाया था महान मूर्तिशिल्पी सदाशिव राव साठे। वे उस समय 28 साल के ही थे। इस मूर्ति में भाव और गति का कमाल का संगम देखने को मिलता है। इसे आप कुछ पल रूककर अवश्य देखते है।


 साठे जी ने एक बार कहा था कि उन्हें यकीन नहीं हुआ थ जब भारत सरकार ने उन्हें राजधानी में स्थापित होने वाली गांधी जी की प्रतिमा को बनाने का जिम्मा सौंपा। उन्होंने इसके बाद देश-विदेश में सैकड़ों आदमकद और धड़ प्रतिमाएं बनाई थीं। पर वे मानते थे कि उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति टाउन हाल के बाहर लगी गांधी जी की मूर्ति ही है।  उन्हीं सदाशिव राव साठे का बीते सोमवार को मुंबई में निधन हो गया है। वे 95 साल के थे। अटल विहारी वाजपेयी उनके अनन्य  प्रशंसको में थे । 


 किसने नहीं निहारा होगा उनकी बनाई मूर्तियों को


गांधीजी की मूरत बनाने के बाद सदाशिव राव साठे राजधानी के विभिन्न स्थानों पर लगी महापुरुषों की मूर्तियों की रचना करते रहे। कनॉट प्लेस से जो सड़क मिन्टो रोड की तरफ जाती है, वहां पर ही छत्रपति शिवाजी महाराज की सन 1972 में आदमकद प्रतिमा की स्थापना करके दिल्ली ने भारत के वीर सपूत के प्रति अपने गहरे सम्मान के भाव को प्रदर्शित किया था। इस मूर्ति को भी साठे जी ने तैयार किया था। इस अश्वारोही प्रतिमा को किसने मुग्ध होकर न निहारा होगा।


 छत्रपति शिवाजी का घोड़ा  एक पैर पर खड़ा है। हवा में प्रतिमा तभी रहेगी जब संतुलन के लिए पूंछ को मजबूत छड़ से गाड़ दिया जाए, यह बात सदाशिव साठे जैसे कलाकार ही समझ सकते थे।“ उन्होंने मुंबई में गेट छत्र पति शिवाजी की कई मूर्तियों की रचना की. 


स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा"जैसा प्रेरक नारा देने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की राजधानी के सबसे व्यस्त चौराहे तिलक ब्रिज पर लगी 12 फीट ऊंची प्रतिमा को भी सदाशिवराव साठे ने ही तैयार किया था। इसे करीब से देखकर लगता है कि मानों वे राजधानी पर पैनी नजर रख रहे हों। ये प्रतिमा बेहद जीवंत लगती है।


 नेताजी और साठे


सदाशिवराव साठे ने ही सुभाष मैदान में स्थापित नेताजी सुभाषचंद्र बोस और उनके साथियों की लाजवाब आदमकद प्रतिमा बनाई थी। पुरानी दिल्ली वालों के लिए सुबह-शाम घूमने का एकमात्र स्तरीय पार्क सुभाष पार्क ही है। इसे पहले एडवर्ड पार्क कहा जाता था। 


इधर नेoता जी की अपने  साथियों के साथी लगी आदमकदम मूर्ति का अनावरण 23 जनवरी, 1975 को उनके जन्म दिन पर तब के उप राष्ट्रपति बी.डी.जत्ती ने किया था। उस अवसर पर सदाशिव साठे जी भी मौजूद थे। देश के नायकों की 'लार्जर दैन लाइफ 'फौलादी प्रतिमाओं को चट्टान या पहाड़ के शीर्ष पर खड़ा देखना 


साठे जी को बहुत अच्छा लगता था बनिस्बत किसी चारदीवारी के अंदर बनी इमारत में। जिस दिन नेताजी की मूर्ति का सुभाष पार्क  में अनावरण हुआ था उस दिन सुभाष पार्क खचाखच पुरानी दिल्ली वालों से भरा हुआ था। मानो सारी पुरानी दिल्ली उन लम्हों की गवाह बनना चाहती थी। दरियागंज के हैप्पी स्कूल, जैन स्कूल, डीएवी स्कूल वगैरह के सैकड़ों बच्चें भी सुभाष पार्क  में मौजूद थे। Vivekshukladelhi@gmail.com 


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