Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

क्रांतिवीर जयदेव कपूर को लाल सलाम

असेंबली बम धमाके की योजना बनाने वाले भगत सिंह के साथी जयदेव कपूर को पुण्य स्मरण दिवस पर क्रांतिकारी सलाम 


24 अक्टूबर 1908 - 19 सितंबर 1994


60 दिन तक भूखे रहे जयदेव कपूर, रोजाना खाते से 30 बेंत


स्वतंत्रता संग्राम में हरदोई के सेनानियों की अहम भूमिका रही। हरदोई के एक नहीं दर्जनों सेनानियों ने अंग्रेजों से टक्कर लेकर उन्हें पराजित किया था। उन्हीं सेनानियों में जयदेव कपूर भी अग्रणी भूमिका में थे। उन्होंने कालापानी यानी अंडमान में सबसे अधिक यातना झेली थी। वह 60 दिन भूखे रहे। उन्हें रोजाना 30 बेंत की सजा दी जाती थी। शहर के मंगलीपुरवा में उनका आज भी आवास है, हालांकि अधिकांश लोगों ने उनके त्याग और तपस्या को भुला दिया।


शाहाबाद में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पिता शालिगराम कपूर व मां गंगा देवी के पुत्र जयदेव कपूर का जन्म  1908 में हुआ था। बाद में उनका परिवार हरदोई शहर के मंगलीपुरवा में रहने लगा। जयदेव कपूर ने 1925 में हाईस्कूल, फिर डीएवी कालेज कानपुर से इंटर, बनारस ¨हदू विश्वविद्यालय काशी से बीएससी की पढ़ाई की और इंजीनिय¨रग कालेज बनारस के छात्र रहे। सन 1926 में डीएवी कालेज में रहते हुए ¨हदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में प्रवेश मिला और भगत ¨सह, चंद्रशेखर आजाद, जैसे सरीखों का सानिध्य मिला और आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। जब चौरीचौरा कांड हो गया तो असहयोग आंदोलन समाप्त करने की घोषणा से जागृत जनता में उथल-पुथल मच रही थी। क्रांतिकारी संगठनों ने सरदार भगत ¨सह, चंद्रशेखर आजाद, पं. राम प्रसाद बिस्मिल आदि के नेतृत्व में अंग्रेजी शासन में दहशत फैलाने का कार्य जारी रखा। इसी संगठन में हरदोई जनपद के शिव वर्मा, जयदेव कपूर, काशी भाई आदि जुटे रहे। काकोरी कांड, लाहौर षड्यंत्र केस, दिल्ली असेंबली बम कांड, सहारनपुर फैक्ट्री, बम केस तथा सैंडर्स मर्डर केस में इन लोगों की भूमिका रही। सन 1928 में पकड़े जाने पर 1946 तक विभिन्न जेलों में तथा अंडमान निकोबार में कालापानी में जयदेव कपूर व शिव वर्मा रहे। रुदामऊ के सीपी पांडेय तथा काशी भाई ने दिल्ली बम कांड में 10-10 वर्ष की सजा काटी। क्रांतिकारी में भी यह जनपद पीछे नहीं रहा। इन क्रांतिकारियों ने अनेक यातनाएं झेलीं। अंडमान में जयदेव कपूर को नित्य 30 बेंत मारे जाते थे। कपूर ने वहां 60 दिन की भूख हड़ताल भी की थी, जिससे शासन हिल गया था। 17 वर्ष बाद जब भारत स्वतंत्र होने को हुआ तो जेल से छूट कर हरदोई लौटे। 19 सितंबर 1994 को उनका मंगलीपुरवा स्थित आवास पर निधन हो गया।


विद्यालय में बांटे थे पुरस्कार : क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जयदेव कपूर का सानिध्य पाए अधिवक्ता अभयशंकर गौड़ बताते हैं कि उन्होंने उनके साथ काफी समय बिताया। 15 अगस्त 1994 को क्रांतिकारी जयदेव कपूर 15 अगस्त 1994 को उनके स्कूल स्प्रिंग डेल्स स्कूल स्टेशन रोड पर पुस्कार वितरण करने आए थे और अपने हाथों बच्चों को पुरस्कृत किया था।


#ऐलान_ए_इंकलाब


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles