की स्थापना का प्रस्तावित मूल उद्देश्य, जो मैंने महसूस किया :-
1-देश और दुनिया के विभिन्न भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं के प्रवेशांक,पुरातन और नई प्रतियों का संकलन कर संग्रहालय बना उसका अध्ययन केन्द्र के रूप में विकास, जिससे पत्रकारिता के मूल चरित्र और आधुनिक उद्देश्य की पहचान हो सके और नई पीढ़ियों तक यह ज्ञान पहुँच सके.
2-भारतीय पत्रकारिता का इतिहास, उसकी परिस्थितियों का अध्ययन, उसकी सहयात्री, सहयोगी पत्रों की कहानी और विस्तृत अध्ययन.
3- स्वतंत्रता संग्राम में क्रांति पथ पर चलने वाले पत्रों की खोज, पहचान, ब्रिटिश दमन और संघर्ष गाथाओं पर शोधवृत्त तैयार करना, जिससे शोधार्थियों को लाभ मिल सके.
4-भारतीय पत्रकारिता विशेष तौर पर आंचलिक पत्रकारिता की मूल प्रवृत्तिओं, उद्देश्यों, परिस्थितियों, लोक से जुड़ाव और प्रभाव का विषद और विस्तृत अध्ययन.
5- एक ऐसे संग्रहालय की परिकल्पना और स्थापना जिसमें केवल पत्रकारिता से जुड़े प्रतीक- चिह्न और उसका इतिहास ही उपलब्ध न हो बल्कि देशभर की आंचलिक, और लोक विधाओं से जुड़ी संस्कृतियों के प्रतीक- चिन्ह, उसके विकास यात्रा के चिन्ह, विशेष तौर पर पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार(पूर्वी-पट्टी) की आंचलिक धरोहरों और लोक- प्रवृत्तियों का संकलन तथा प्रदर्शन के साथ शोधदृष्टि.
6- आंचलिक और लोक विधाओं, लोक कलाओं, लोक साहित्य, लोक संगीत, लोक-संस्कृतियों और उसकी विकास यात्राओं का संकलन, अध्ययन
7- लोक विधाओं और आंचलिक पत्रकारिता पर शोधकर्ताओं को रिसर्च फैलोशिप प्रदान करना .
नोट- यह एक परिकल्पना और ड्रीम प्रोजेक्ट भर है, जो आप के सुझाव, सहयोग- समर्थन और समर्पण से न केवल मूर्त रूप ले सकता है बल्कि नये परिवेश का सृजन भी कर सकता है.
तो देशभर के विद्वानों, शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों, चांसलरों, वाइस चांसलरों, लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों, लोक विधाओं के प्रतिनिधियों से अपील है कि इस उद्देश्य में अपने महत्वपूर्ण विचार, सहयोग जरूर दें.. जिससे एक पुरातन और आधुनिक विशेषताओं से युक्त एकेडमी/ संस्थान की परिकल्पना पूर्ण हो सकें. खांका खींचा जा सके. साथ ही इसके स्थापना और संचालन में सहयोग कहाँ से मिल सकता है. इस पर भी मार्गदर्शन करें.