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किस्सा'का नया अंक / हरीश पाठक

 '

बेटी ने संभाला पिता का उत्तराधिकार


   एक सुखद सूचना के साथ आया 'किस्सा'का नया अंक।पिछले 9 साल से  कथाकार शिव कुमार शिव के सम्पादकत्व में नियमित निकल रही यह पत्रिका उनके निधन के बाद भी अपनी निरंतरता को बरकरार रखेगी यह खुश खबर उनकी बिटिया व हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री Anamika Shiv ने ताजे अंक 26 में दी है।'अपनी बात'में उन्होंने साफ-साफ लिखा है,'हम प्रतिबद्ध हैं उनकी आंखों में पले स्वप्न को समृद्ध करने के लिए'यह भी कि 'किस्सा कायम रहेगा'।

     यह दृढ़ता,यह हौसला और यह प्रतिबद्धता जाहिर करती है कि पिता का सपना अब न कमजोर पड़ेगा,न धुंधला।पिता शिव कुमार शिव की यह लाडली बिटिया अपनी सक्रिय रचनात्मकता से इसे शिखर तक ले ही जाएगी।यह उसका प्रस्थान बिंदु है।आगे

 मंगल गान हैं ही।

     यह अंक भी बहुत कुछ कहता है।इस अंक में कुल 9 कहानियाँ हैं जिनमें है तीन वरिष्ठ कथाकार- कृष्णा अग्निहोत्री,सुरेश काँटक व सुषमा मुनींद्र।कालजयी कथाकार चित्रा मुदगल का शिव कुमार शिव से जुड़ा बेहद मार्मिक संस्मरण 'आखिरी संवाद ..'है जो मन और दिल को भिगो देता है।खासकर संस्मरण का अंतिम हिस्सा जब वे कहते हैं,'भाभी मैं जानता हूँ।मैं तुम्हारा दुलारा देवर हूँ।अभी तो बहुत काम करना है।'

       यह कौन जानता था कि यह उनका चित्रा जी से आखिरी संवाद होगा?

       समीक्षा,कविता,रिपोर्ताज और फेसबुक वॉल से जैसे स्तम्भों से सजा यह अंक एक सुविचारित,सुचिंतित और सुव्यवस्थित सम्पादकीय टीम की झलक देता है।यह अंक आश्वस्त करता है कि अनामिका शिव अपनी रचनात्मक ऊर्जा से इसे बेहतर पत्रिका बना देगी-नये और बेमिसाल अंक निकालकर।

       खूब खूब मुबारक हो आपके संपादन में निकला यह पहला अंक।.


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