मे डे बुकस्टोर (May Day Book Store) में आइए / संजय कुंदन
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दिल्ली को दलालों का शहर, प्रतिभा की कब्र और सत्ता के खिलाड़ियों का शहर और न जाने क्या-क्या कहा जाता रहा है, पर यह प्रतिरोध का भी शहर है। विचारहीनता की आँधी चलती रहती है, पर यहाँ विचारों की लौ कभी बुझती नहीं। उसकी ऊष्मा कभी ख़त्म नहीं होती। यहाँ अनेक कोने, ठीहे, अड्डे हैं, जहाँ बौद्धिक-सांस्कृतिक लड़ाई लड़ने वालों को नई ऊर्जा मिलती है। ऐसी ही एक जगह है- मे डे बुकस्टोर। यह महज किताबों की एक दुकान नहीं है, यह संवाद और विमर्श का एक केंद्र है। दुनिया भर के प्रगतिशील-जनपक्षधर विचारों को संजोने और उसे नये सिरे से प्रकाशित-प्रसारित करने का दायित्व इसने संभाला है। यही नहीं शोषित-पीड़ितों के पक्ष में और एक बेहतर दुनिया के निर्माण के उद्देश्य को लेकर जो भी लेखन चल रहा है, उसे प्रकाश में लाना और ख़ासकर नयी पीढ़ी तक पहुँचाना भी इसका लक्ष्य है। यह पुस्तक-केंद्र यूँ तो लेफ्टवर्ड बुक्स और वाम प्रकाशन का है, पर इसमें अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की किताबें भी उपलब्ध हैं। लेफ्टवर्ड-वाम ने तकनीक और साज-सज्जा में चल रहे तमाम प्रयोगों को अपनाते हुए भी किताबों का मूल्य कम रखने पर जोर दिया है।
यहां कार्ल मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन, फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा पर लिखा हुआ और ख़ुद उनका लेखन उपलब्ध है। वहीं ग्रामशी से लेकर गेल ओम्वेट तक और राहुल सांकृत्यायन से लेकर एज़ाज अहमद तक के विचार मिलेंगे। भगत सिंह, जवाबर लाल नेहरू, बाबा साहब आंबेडकर, राहुल सांकृत्यायन, पेरियार, सहजानंद सरस्वती का वैचारिक लेखन भी है। इसके अलावा हिंदी के चुनिंदा उपन्यास, कविता संग्रह और नाटक भी हैं। समकालीन विषयों और जनांदोलनों पर सहज भाषा में देश भर के जाने-माने लेखकों-विचारकों-पत्रकारों द्वारा लिखे गयी अनेक किताबें हैं या उनके लेखों के संकलन हैं। अगर आप देश और दुनिया को अपने नज़रिये से देखना चाहते हैं तो ये किताबें आपकी मदद करेंगी।
इसका पता हैः
2254/ 2ए, शादी खामपुर,
न्यू रंजीत नगर, नई दिल्ली-110008
यहाँ पहुँचना एकदम आसान है। मेट्रो की ब्लू लाइन पर बैठिए और शादीपुर उतरिये। फिर स्टेशन के पीछे सत्यम सिनेमा के साथ वली सड़क से चलते हुए यहाँ तक पहुँच सकते हैं। नहीं तो रिक्शे वाले को कहिये कि बयासी नंबर चलो। वह दस रुपये में ठीक इसके सामने उतार देगा।
इसी स्टोर से जुड़ा है-स्टूडियो सफ़दर, जहाँ नाटक होते हैं। इसी के भवन में जननाट्य मंच का दफ़्तर है। यहीं लेफ्टवर्ड बुक्स और वाम प्रकाशन के लोग काम करते हैं। यहाँ गोष्ठियाँ और अन्य आयोजन होते रहते हैं। हो सकता है आप आयें तो यहाँ आपको साहित्य, रंगमंच और सिनेमा के कुछ नामी चेहरे अचानक दिख जायें।
मे डे बुकस्टोर में आने वाले को ग्राहक नहीं माना जाता, उसे एक व्यापक सामाजिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक आंदोलन का एक योद्धा समझा जाता है।
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