सहारा श्री एक खुश दिल , खुश मिज़ाज इंसान ।
1991 का साल। ...दैनिक राष्ट्रीय सहारा के प्रकाशन की ख़बरें दिल्ली एन सी आर की फ़िज़ाओं में सुर्खियों में थीं । तैयारियां जोर शोर पर थीं । सहारा इंडिया और कमलेश्वर जी नाम का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था । ये मेरे दैनिक वीर अर्जुन का दौर था ।...सर्दियों की एक दोपहर अरुण खरे ने बताया कि मैं सहारा इंडिया की एक प्रेस कांफेंस से आ रहा हूँ वे एक बड़ा अखबार ला रहें हैं । कमलेश्वर जी लीड कर रहे हैं । कह रहे हैं कि एक सांस्कृतिक सामाजिक किस्म का अखबार ला रहें हैं ।...अनायास मेरी प्रतिक्रिया निकली की कमलेश्वर जी तो आगाज़ कर के निकल लेंगे , खेलना तो हमें आपको पड़ेगा । कुछ दिन बाद हमारे अभिन्नतम माधवकांत मिश्र ने हमे सेक्टर 11 नोएडा का पता दिया ।यह नहीं बताया कि क्या है ।हिदायत यह दी गई कि जाना तो यह तय करके जाना कि एक दो घंटे धैर्य से प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है मुलाकात के लिए । वहां आप को दिनेश चंद्र श्रीवास्तव जी से मिलना है ।
चहल पहल भरा परिसर। दिनेश चंद्र श्रीवास्तव जी से औपचारिक बातचीत होती है। वे जयव्रत रॉय से मिलाने ले जाते हैं। ...मेरे बॉयोडाटा पे निगाह डालते हुए शिष्टाचार वश बात आगे बढ़ाते हैं , ये यूपी में एक मंत्री रहे हैं ओम प्रकाश रिछारिया , जानते हैं आप। ...बस दूर दूर के भाई साहब समझिये एक दो मुलाकातें हैं। ऐसे ही कुछ और बातों के बाद कहते हैं , कल इसी समय हमारे चेयरमैन साहब से मिलना है आपको।
अगले दिन मैं सहारा इंडिया के प्रबंध निदेशक सुब्रत रॉय से मुखातिब हूं। उत्साह भरा जीवंत व्यक्तित्व , मुस्कुराती आंखे ... तैरते सपने । ...बच सकें तो बचिए इनके मोहक अंदाज़ से।
...रिछारिया जी ये प्रेम क्या होता है।
होता तो बड़ा गाढ़ा है पर आमतौर पर लोग इसे आपसी लेन देन मान लेते हैं। इसमें मान सम्मान ,भावनाएं ,भौतिक सुख सुविधाएं , रिश्ते नाते सब शामिल हैं।
धन दौलत भी। ...
विशेषकर !
ठीक ! चलिए अभियान में शामिल होइए।
दरअसल राष्ट्रीय सहारा का प्रकाशन अपने आप में अभियान ही था। ..भावनात्मक अभियान !
आज सहारा श्री का जन्मदिन है उन्हें अनंत मंगल कामनाएं। सहारा श्री और राष्ट्रीय सहारा की विविधवर्णी कथाओं का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।