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कोरोना काल में कायाकल्प

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 आइये इनसे सीखें!-- शिक्षकों के भगीरथ प्रयासों नें कोरोना काल में बदल डाली स्कूल की तस्वीर, गुणवत्ता परक शिक्षा का केंद्र है पहाड़ का ये सरकारी विद्यालय...


ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!


भले ही पूरा देश विगत 6 महीनों से कोरोना वाइरस के संकट से जूझ रहा हो और लोग अपनें अपनें घरों में कैद होकर रह गयें हो, वहीं दूसरी ओर कोरोना काल मे मध्य हिमालय में स्थापित 119 साल पुराना सरकारी विद्यालय लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहा है। इस विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के भगीरथ प्रयासों नें कोरोना काल में विद्यालय की तस्वीर ही बदल कर रख दी है जिसको देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो रहा है। जितना खूबसूरत गांव उतना ही खूबसूरत विद्यालय। यह विद्यालय लोगों को सरकारी विद्यालयों के प्रति विश्वास और भरोसा दिलाता है।


गौरतलब है कि चमोली जनपद के नारायणबगड ब्लाॅक के कडाकोट पट्टी में 1901 में स्थापित राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय चोपता इन दिनों लोगों के मध्य चर्चा का विषय बना हुआ है। ये विद्यालय आज हर विधा में शहरों के नामी विद्यालयों से मीलों आगे है। गुणवत्ता परक शिक्षा से लेकर अत्याधुनिक सुविधाओं का केंद्र है ये विद्यालय। नारायणबगड ब्लाॅक मुख्यालय से 26 किमी की दूरी पर स्थित है ये विद्यालय। स्कूल में कार्यरत शिक्षक नरेंद्र भंडारी (प्रभारी प्रधानाचार्य), परमानंद सती, गजपाल नेगी, अंजलि रतूड़ी और विद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष यशवंत रावत के भगीरथ प्रयासों नें विद्यालय की तस्वीर बदल कर रख दी है। बेहतरीन पेंटिंग से इन दिनों विद्यालय की दीवारें रंग और कूची से जगमग हो रखी है और एक दूसरे से गुफ्तगु करती हुई नजर आ रही है। विद्यालय की दीवारों को देखकर हर कोई अचंभित है। विगत 119 सालों से ये विद्यालय उत्तरी कडाकोट पट्टी का शिक्षा का केंद्र रहा है। 2016 में इस विद्यालय को आदर्श विद्यालय का दर्जा मिला। जिसके बाद इस विद्यालय को शहरों में स्थापित विद्यालय की तरह गुणवत्ता परक शिक्षा का केंद्र बनाने और संवारने का जिम्मा यहाँ के शिक्षकों और स्थानीय ग्रामीणों नें बीडा उठाया।


यहाँ छात्रों मिलता है गुणवत्ता परक 'आखर ज्ञान'  प्रदेश स्तर पर छात्रों नें लहराया परचम..


विद्यालय में छात्र छात्राओं को गुणवत्ता परक शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से सामूहिक प्रयासों से विद्यालय कोष की स्थापना की गयी है जिसमें शिक्षक और अभिभावक अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देते हैं। विद्यालय में अध्ययनरत सभी छात्र छात्राओं को निशुल्क स्कूल ड्रेस वितरित की जाती है। विद्यालय में ड्रैस कोड लागू है। सप्ताह के लिए अलग-अलग रंग की चार ड्रैस तय है। दो दिन बच्चे ग्रे कलर का ब्लेजर, दो दिन हाउस ड्रैस, एक दिन स्पोर्ट्स ड्रैस व एक दिन ट्रैक शूट में विद्यालय आते हैं। इसके अलावा हर बच्चे को परिचय पत्र भी दिया गया है। विद्यालय में कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है जबकि स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर के माध्यम से अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, पर्यावरण आदि विषयों का ज्ञान बांटा जाता है। सभी के लिए हर दिन एक स्मार्ट क्लास लेना अनिवार्य है।  जिसकी परिणति ये हुई की इस विद्यालय से अभी तक 11 बच्चे नवोदय विद्यालय एवं दो बालिकाएं हिम ज्योति स्कूल देहरादून में पढ़ रही है। पिछले साल विद्यालय के छात्रों का प्रदेश स्तर पर गणित ओलंपियाड, सामान्य ज्ञान एवं निबंध आदि के लिए चयन हुआ था। विद्यालय में आधुनिक सुविधाओं से युक्त किचन, छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग टॉयलेट, पीने के पानी के टैंक जिसमें कई टोटियां लगाई गई हैं। बच्चों को दोपहर भोजन के लिए डाइनिंग टेबल की सुविधा है। विद्यालय में प्रतिदिन छह अलग-अलग राज्यों की भाषाओं में प्रार्थना होती है। विद्यालय की प्रगति को देखकर विद्यालय को चुनिंदा विद्यालयों की सूची में स्थान मिला, और उसे शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालय रूपांतरण के लिए फंड जारी हुआ। इसी फंड और निजी प्रयासों से एकत्रित की गयी धनराशि का सदुपयोग करके स्कूल में रंग रोगन करवाया गया। जिसकी प्रशंसा आज पूरे देश में हो रही है। विद्यालय पर किस प्रकार की चित्रकारी हो के लिए भी इंटरनेट के माध्यम से चित्रकार की खोज की गई, और आगरा से अनुज कुमार को इस कार्य के लिए बुलाया गया, जिन्होंने रंग और कूची से विद्यालय की तस्वीर ही बदल कर रख दी। 


चोपता गांव के सामाजिक सरोकारों से जुड़े युवा और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन गोपेश्वर में बतौर काॅर्डीनेटर कार्यरत जगमोहन चोपता कहते हैं कि कोविडकाल में यूं बनठन कर खड़ा है आशाओं से भरपूर एक प्यारा सा स्कूल। कह रहा हो जैसे कि मैं तो तैयार हूं भई कहां हैं हमारे बच्चे, स्कूल की घण्टी, शिक्षक-शिक्षिकाएं, भोजनमाताएं। इक दम सा क्यूट! जब सब तरफ कोविड-कोविड चल रहा है ऐसे में माॅडल स्कूल चोपता के शिक्षक साथी अपनी धुन में लगे थे इसको सजाने के लिये। देखकर ही मजा आ रहा है। स्कूल में भरपूर पुस्तकालय है, प्रोजेक्टर है, बैठने की शानदार व्यवस्था है, सभी विषयों के अध्यापक हैं तो अब तो सच में हो गया माॅडल स्कूल। अब बच्चों के सीखने-सिखाने की प्रक्रियाओं को और बेहतर करने की बारी है। 


वास्तव में देखा जाए तो शिक्षकों की मेहनत रंग लाई है। आज ये विद्यालय एक मिसाल है यदि दृढ संकल्प और इच्छा शक्ति हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं हैं। पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र के आदर्श स्कूलों में यह स्कूल जनपद चमोली में ही नहीं अपितु प्रदेश में भी अव्वल होगा। यहां के शिक्षकों की मेहनत रंग लाई है। ये विद्यालय अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणास्रोत है। सभी को इस विद्यालय से सीखने की दरकार है। विद्यालय को नयी पहचान दिलाने के लिए सभी शिक्षकों और स्थानीय ग्रामीणों को बहुत बहुत बधाइयाँ। आशा और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय आनें वाले समय में उत्तराखंड का हर विद्यालय आदर्श विद्यालय चोपता की तरह होगा।


(साभार संजय चौहान भाई की वाल से)


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