हू इज ग्रेटेस्ट आफ देम आल
चमरौधे जूते, कलफदार कुर्ते और चूडीदार मे सजे बांकेलाल ने आज फिर उम्मीदों से भरकर पूछा।
हर साल, हर दिन, हर शाम वे आइने से पूछते आए थे।
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आईना उन्हे निराश ही करता था। पर आज तमाम इवेन्टस की चमकदार लाइट्स, और कैमरे पर किए एक्शन पर, एंकरों की तारीफ से दिल प्रफुल्लित था।
तो आइने से भी पूछना बनता था।
आईना बोलता नहीं था। सवाल करते ही, कुहासे के बीच से ग्रेटेस्ट की छवि उभरती। अचकन, गांधी टोपी मे मुस्कुराता वो दुष्ट, इस बार विश्व के नेताओं से कंधे रगडता दिखा।
बांकेलाल, पैर पटकते हुए कमरे से निकल गया।
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अब बांके ने एक प्लेन खरीदा। पूरी दुनिया का चक्कर लगाया, सारे नेताओ से चिपक चिपक फोटो खिचवाऐ। तमाम स्टेडियम भर दिये, खूब मजमा लगा। बांके है इंडिया का गहना...
मीडिया शानदार तस्वीरो से भर गया। बांके खुश हुआ। फिर आईने तक पहुंचा। मिरर मिरर ऑन द वाल, हू इज ग्रेटेस्ट आफ देम आल
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कोट मे गुलाब और मुंह मे होल्डर के संग सिगरेट फंसाए, वही छवि उभरी। इस बार किसी जगह "आधुनिक भारत के मंदिर"का उद्धघाटन कर रहा था।
मलमास था। लेकिन बांके को चैन कहां। दौडकर एक मंदिर का शिलान्यास किया। लगे हाथ, नेहरू के बनाए मंदिर भी बेच डाले।
न रहे बांस, न बजे बांसुरी।
लौटकर आया।
मिरर मिरर ऑन द वाल,
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इस बार नेहरू आजादी के आंदोलन मे लगे थे। अंग्रेजो की जेल में बैठे थे। जेल वाला ईशु स्किप किया। लेकिन दूसरा मामला फिट था। बांके दौड़ा, बांग्लादेश की मुक्तिवाहीनी का एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट ले आया।
मिरर मिरर ऑन द वाल .??
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इस बार नेहरू चीन से लड़ रहे थे। बांके हार मानने वाला नही था। आखें लाल की, दौड़ा दौड़ा डोकलाम गया।वहीं से दौड़कर लद्दाख गया।
वहां क्या हुआ, किसी को नही पता। लेकिन कुछ दिन गायब रहने के बाद बांके चीखता हुआ दिखाई दिया..
"ना कोई आया है, न कोई घुसा है, ना कोई आया है, न कोई घुसा है ना कोई आया है, न कोई घुसा है"
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और फिर बेतहाशा भागता हुआ कमरे मे गया,आइना उठाया और फर्श पर दे मारा। चकनाचूर आइने के टुकड़े फर्श पर बिखर गए।
उन सवा सौ करोड़ टुकड़ों मे, सवा सौ करोड़ नेहरू, उठे
और ठठाकर हंसने लगे।
मिरर मिरर आन द फलोर ...
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सौ: Manish Singh Reborn आभार सहित