1. किसान पर सरकार का अभिमान खेतों में कंपोस्ट खाद सा बिखर गया। सारी फुटानी धरी रह गयी। मीडिया में सरकारी चिंटू किसानों को किसान मानने लगे। पहले उन्हें खालिस्तानी, पाकिस्तानी न जाने क्या क्या कहा गया। भाँति भाँति के तोहमत मढ़े गए। किसानों की हांडी हर दिन आरोपों को पकाती, लंगर के सहभोज में डकार ली जाती। हर कुप्रयास फेल हुए। उपचुनावों में हारे। आगे भारी हार दिखी तो पीएम मोदी अवतरित हुए। अपने झोले में तीनों कानून वापिस रख लेने की घोषणा की।
कानून वापसी का राजनीतिक फ़ायदा अब टीम भाजपा अपने पक्ष में भुनाने जुट गई है। बिखरे कंपोस्ट खाद से वोटों की फसल कैसे लह लहाये उसकी जुगत शुरू हो गई है।
2. आर्यन खान ड्रग्स मामले में हाईकोर्ट ने आर्यन को क्लीन चिट दिया। बरी किया। देश को ऐसे कूड़ा कानून पर कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। आर्यन के पास न ड्रग्स पकड़ा गया, न उसका कोई मेडिकल किया गया था फिर भी 25 दिनों की जेल और मीडिया में हर दिन भौं भौं... सोचिये आर्यन और उसके युवा साथी पर क्याबीती होगी? उनके परिजनों पर कैसी आफत टूटी होगी?
अब वानखेड़े पर आफत टूटनी तय है। जिस तरह से नारकोटिक्स के इस जोनल डिरेक्टर ने केस को हैंडल किया, विभाग ने भी गलत माना। उसे जाँच से ही अलग नहीं किया गया बल्कि ये भी आदेश दिया गया कि किसी भी केस की जाँच भविष्य में वो दिल्ली की सहमति लेकर करेंगे ! मतलब सीधा है, वानखेड़े को उनके विभाग ने बर्फ पे लगा दिया है। उनके किये की सजा की शुरुआत हो चुकी है।
रही सही कसर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक पूरी कर रहे हैं। ऐसी ऐसी जानकारी साझा कर रहे हैं की वानखेड़े की जाति, धर्म, नौकरी घर परिवार मकान,दुकान सब विवादों में है। नवाब मलिक के खुलासे पर सीएम उद्धव ठाकरे ने "Good Going"की संज्ञा दी। मतलब सीधा है, राज्य सरकार नवाब मलिक को वानखेड़े का बही खाता उपलब्ध करवा रही है। अगर, ऐसा है तो केंद्र सरकार वानखेड़े को मुंबई हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद सस्पेंड करे, न करे... राज्य की उद्धव सरकार देर सबेर वानखेड़े को नापेगी!!!