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Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
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एक दोस्त ऐसा भी / टिल्लन रिछारिया

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 मेरे हमदम , मेरे दोस्त ! 


हमदम मतलब जो आखिरी दम तक साथ न छोड़ता हो । ऐसे मित्र तो सौभाग्य से मिलते हैं । इस मामले में मैं सौभाग्यशाली रहा रहा हूँ ।...पहली पायदान में करवी के मित्रों में राम प्रसाद और फूलचंद रहे  ।


फूलचंद गुप्त : ये मेरे। सहपाठी रहे ,स्कूल कालेज में साथ रहे । इंटर करने के बाद ये आर एम एस में भर्ती हो गए । मारधाड़ कर ये नोकरी से जल्दी ही मुक्त हो गए । ...व्यवहारिक , कर्मठ , समझदार और दुनियादार फूलचंद ने कुछ दिनों अखबार की हॉकरी भी की साथ साथ  अखबार के लिए खबरें लिखने लगे ,जुनून ऐसा चढ़ा कि सन 1977 में 'चित्रकूटधाम समाचार 'साप्ताहिक का प्रकाशन शुरू कर दिया । मेरा प्रबंध संपादक का पहला अपॉइंटमेंट लेटर आप ही के हस्ताक्षर से मिला है । खबरों की तीखी और गहरी समझ रखने वाले फूलचंद ने कहा अखबार निकालना है । हमने कहा। , कैसे निकलेगा । अब कैसे निकलेगा ये बात नहीं  , निकलेगा तो है ही , कैसे यह सोचो ।...अपने मित्र नर्मदा प्रसाद मिश्र को बताया तो वो सहर्ष राजी हो गए । ...मैं 50 परसेंट दूँगा , 25-25 परसेंट आप दोनों का । मालिक फूलचंद ही रहेंगे ,अखबार में पूरा दखल भी फूलचंद और आपका ही रहेगा । हां , जिम्मेदारी हम पूरी लेते हैं , निकालिये । हर हफ्ते हमारीे सहयोग राशि हमारे मुनीम से ले लीजिए । अखबार शान से निकला । न कोई वाद न विवाद ।


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ये लाइनें मैंने अपनी आने वाली  किताब 'मेरे आसपास के लोग 'के लिए लिखी थी । जब किताब आती तो सबसे ज्यादा खुशी फूलचंद को ही होती । जिंदगी के सफर में अकेले छोड़ कर चले गए  । यादों में हमेशा रहोगे फूलचंद !!!


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