महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिंदी विवि वर्धा
संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र में आयोजिज साप्ताहिक व्याख्यान
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वर्धा, विजया सिंह/ पंकज सोनी : देश का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला मीडिया आज कॉरपोरेट घरानों के चंगुल में फंस गया है और ये घराने समाचारों को नियंत्रित कर रहे हैं। इससे भारतीय जन का मीडिया से संबंध खत्म हो रहा है, जो आधुनिक पत्रकारिता, पत्रकार एवं भारतीय जन के लिए घातक साबित हो रहा है। उक्त संबोधन वरिष्ठ पत्रकार प्रो. रामशरण जोशी ने दिए। मौका था हिंदी विवि के संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र में आयोजित हफ्ते का मुद्दा कार्यक्रम का। कॉरपोरेट मीडिया, सरोकार और भारतीय जन विषय पर बोलते हुए श्री जोशी ने कहा कि मीडिया में पेड न्यूज और लॉबी पत्रकारिता कॉरपोरेट का ही परिणाम है। उन्होने बताया कि यह समस्या केवल भारत में ही है नहीं बल्कि पिछले दिनों अमेरिका का सबसे पुराना समाचार पत्र वाशिंटन पोस्ट बिक गया जिसको अमेरिका के कारपोरेट घराने ने खरीदा। उन्होने कहा कि हाल ही में प्रिंट मीडिया में एफडीआई को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की बात हो रही है यदि ऐसा हुआ तो मीडिया में कॉरपोरेट घरानों का हस्ताक्षेप और भी बढ़ जाएगा। इससे मीडिया की बची हुयी नैतिकता पर भी खतरा मंडरा सकता है।Image may be NSFW.
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मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अनिल के. राय अंकित ने कहा कि मीडिया और बाजार एक दूसरे के पूरक हैं। मीडिया को बाजार की जरूरत है और बाजार को मीडिया की। दोनो ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं मगर इसका मतलब यह नही कि मीडिया को बाजार बना दे और उससे मोटी रकम कमाने लगें और जन सरोकार को भूल जाए। श्री राय ने कहा कि मीडिया में काम कर रहे लोगों को चाहिए कि वे बाजार के बाद भी लोकतंत्र के चौथे खंभे को जन सरोकार से जोड रखें।
इसी क्रम में विवि के शोधार्थियों-विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। शोधार्थी धीरेन्द्र राय, भवानीशंकर मिश्र, विजया सिंह, हिमांशु वाजपेयी ने कहा कि आज मीडिया पर पूंजीपतियों का नियंत्रंण है और ये लोग मीडिया का अपने लाभ के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इसके परिणारूवरूप मीडिया की साख पर खतरा उत्पन्न हो गया। वहीं शोधार्थी सुनीता भट्ट व छात्र पंकज सोनी ने मीडिया और कारपोरेट को एक साइकिल के दो पहिएं बताते हुए कहा कि किसी भी व्यवसाय को चलाने के लिए जिस तरह पूंजी की जरूरत होती है वैसे मीडिया को भी बाजार की जरूरत है। आज बाजार के बाद भी मीडिया जन सरोकार को बनाए हुए है।
कार्यक्रम के मुख्यअतिथि स्वतंत्र पत्रकार अनामीशरण बबल ने इस विषय पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज मीडिया का बाजारीकरण हो गया है और ये बाजार खबरों पर नियंत्रण रखने लगा। बाजारवाद मीडिया में ही नहीं बल्कि हमारे समाज और घर परिवार में भी हावी हो चुका है। एैसे वक्त में हमें चाहिए कि हम अपनी नैतिकता के साथ कोई समझौता ना कर पूरी ईमानदारी से अपना कार्य करें।
हफते का मुद्दा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार प्रो. रामशरण जोशी ने की एवं मुख्य अतिथि दिल्ली से आए पत्रकार अनामी शरण बबल रहे। कार्यक्रम के अंत में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अनिल के. राय अंकित ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्र्रम का सफल संचालन संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र के असि. प्रो. श्री संदीप वर्मा ने किया। इस मौके पर संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र के असि.प्रो. अख्तर आलम, राजेश लेहकपुरे, संदीप वर्मा, सहित सैकड़ो की तादात में शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रह
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मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अनिल के. राय अंकित ने कहा कि मीडिया और बाजार एक दूसरे के पूरक हैं। मीडिया को बाजार की जरूरत है और बाजार को मीडिया की। दोनो ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं मगर इसका मतलब यह नही कि मीडिया को बाजार बना दे और उससे मोटी रकम कमाने लगें और जन सरोकार को भूल जाए। श्री राय ने कहा कि मीडिया में काम कर रहे लोगों को चाहिए कि वे बाजार के बाद भी लोकतंत्र के चौथे खंभे को जन सरोकार से जोड रखें।
इसी क्रम में विवि के शोधार्थियों-विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। शोधार्थी धीरेन्द्र राय, भवानीशंकर मिश्र, विजया सिंह, हिमांशु वाजपेयी ने कहा कि आज मीडिया पर पूंजीपतियों का नियंत्रंण है और ये लोग मीडिया का अपने लाभ के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इसके परिणारूवरूप मीडिया की साख पर खतरा उत्पन्न हो गया। वहीं शोधार्थी सुनीता भट्ट व छात्र पंकज सोनी ने मीडिया और कारपोरेट को एक साइकिल के दो पहिएं बताते हुए कहा कि किसी भी व्यवसाय को चलाने के लिए जिस तरह पूंजी की जरूरत होती है वैसे मीडिया को भी बाजार की जरूरत है। आज बाजार के बाद भी मीडिया जन सरोकार को बनाए हुए है।
कार्यक्रम के मुख्यअतिथि स्वतंत्र पत्रकार अनामीशरण बबल ने इस विषय पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज मीडिया का बाजारीकरण हो गया है और ये बाजार खबरों पर नियंत्रण रखने लगा। बाजारवाद मीडिया में ही नहीं बल्कि हमारे समाज और घर परिवार में भी हावी हो चुका है। एैसे वक्त में हमें चाहिए कि हम अपनी नैतिकता के साथ कोई समझौता ना कर पूरी ईमानदारी से अपना कार्य करें।
हफते का मुद्दा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार प्रो. रामशरण जोशी ने की एवं मुख्य अतिथि दिल्ली से आए पत्रकार अनामी शरण बबल रहे। कार्यक्रम के अंत में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अनिल के. राय अंकित ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्र्रम का सफल संचालन संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र के असि. प्रो. श्री संदीप वर्मा ने किया। इस मौके पर संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र के असि.प्रो. अख्तर आलम, राजेश लेहकपुरे, संदीप वर्मा, सहित सैकड़ो की तादात में शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रह