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सुभाष चंद्र बोस के एमिली शेंकल को लिखे प्रेम पत्र*

प्रस्तुति - आलोक यात्री 


"माय डार्लिंग,                                 

समय आने पर हिमपर्वत भी पिघलता है, ऐसा भाव मेरे अंदर अभी है। मैं तुमसे कितना प्रेम करता हूं, ये बताने के लिए कुछ लिखने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूं। जैसा कि हम एक-दूसरे को आपस में कहते हैं, माय डार्लिंग, तुम मेरे दिल की रानी हो। लेकिन क्या तुम मुझसे प्यार करती हो। मुझे नहीं मालूम कि भविष्य में क्या होगा? हो सकता है पूरा जीवन जेल में बिताना पड़े, मुझे गोली मार दी जाए या मुझे फाँसी पर लटका दिया जाए, हो सकता है मैं तुम्हें कभी देख नहीं पाऊँ, हो सकता है कि कभी पत्र नहीं लिख पाऊँ लेकिन भरोसा करो, तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी, मेरी सोच और मेरे सपनों में रहोगी। अगर हम इस जीवन में नहीं मिले तो अगले जीवन में मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुम्हारे अंदर की औरत को प्यार करता हूँ, तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ, तुम पहली औरत हो जिससे मैंने प्यार किया।"


  (पत्र के अंत में सुभाष चंद्र बोस ने इस पत्र को नष्ट करने का अनुरोध भी किया था, लेकिन एमिली ने इस पत्र को संभाल कर रखा )


अप्रैल या मई, 1937 में एमिली को लिखा एक और पत्र - 


 "पिछले कुछ दिनों से तुम्हें लिखने को सोच रहा था। लेकिन तुम समझ सकती हो कि मेरे लिए तुम्हारे बारे में अपने मनोभावों को लिखना कितना मुश्किल था। मैं तुम्हें केवल ये बताना चाहता हूं कि जैसा मैं पहले था, वैसा ही अब भी हूँ। एक भी दिन ऐसा नहीं बीता है, जब मैंने तुम्हारे बारे में नहीं सोचा था। तुम हमेशा मेरे साथ हो। मैं किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता। मैं तुम्हें ये भी नहीं बता सकता कि इन महीनों में मैं कितना दुखी रहा, अकेलापन महसूस किया। केवल एक चीज़ मुझे ख़ुश रख सकती है, लेकिन मैं नहीं जानता कि क्या ये संभव होगा? इसके बाद भी दिन रात मैं इसके बारे में सोच रहा हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि मुझे सही रास्ता दिखाएँ।"


एक और पत्र -


"तुमने भारत के बारे में कुछ किताबें मंगाई हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इन किताबों को तुम्हें देने का कोई मतलब है। तुम्हारे पास जो किताबें हैं, वो भी तुमने नहीं पढ़ी हैं। 

जब तक तुम गंभीर नहीं होगी तब तक पढ़ने में तुम्हारी दिलचस्पी नहीं होगी। विएना में तुम्हारे पास कितने ही विषयों की किताबें जमा हो गई हों पर मुझे मालूम है तुमने उन सबको पलटकर नहीं देखा होगा."


( सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के पोते सुगत बोस ने सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर 'हिज़ मैजेस्टी अपोनेंट- सुभाष चंद्र बोस एंड इंडियाज स्ट्रगल अगेंस्ट एंपायर'किताब से )

कुछ लोग इस प्रेम को कृत्रिम प्रेम कहानी कहते हैं।


(तस्वीरें/ सामग्री : सुश्री निर्देश निधि की वाॅल‌ से साभार 🙏🙏🙏)


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