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कितने गाँधी ?

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 कितने गांधीजी  


देश में किसिम-किसिम के गांधीजी हैं


हर किसी के पास 


उसके अपने गांधी हैें 


 


मेरी दादी मेरे दादाजी को गांधीजी 


सिर्फ इसलिए कहती थी कि वे सीधे थे


वे हर किसी की बात मान लेते थे


उन्हें कोई भी बेवकूफ बना सकता था


तो गांधी होने का एक मतलब यह भी है 


थोड़ा गम खा लेने 


थोड़ा संतोष कर लेने


अपनी जिद छोड़ कोई हल निकाल लेने की


सलाह देने वालों को गांधी संबोधन


 गाली की तरह मिलता है


और यह सुनने को मिलता है कि 


ज्यादा गांधी बनने की कोशिश मत करो


हालांकि कई बार पूरी सहानुभूति के साथ 


भी कहा जाता है 


बेचारा गांधीजी है 


मतलब थका-हारा असफल आदमी


गांधी एक बड़ा तमाशा भी है अपने देश में


कोई चतुर बूढ़ा गांधीजी की नकल करता हुआ


न जाने कितनी सहूलियतें और सम्मान


हासिल कर लेता है


कभी-कभार जब वह अनशन का खेल खेलता है 


लाखों की भीड़ उमड़ पड़ती है


हिल जाती है सत्ता थोड़ी देर के लिए 


तो गांधी एक खेल भी है


जिसे खेले बगैर राजदंड हासिल करना 


अब भी कठिन है


यही बात चुभती है हत्यारों को


 


वे कोई नया खेल खोज नहीं पा रहे


उनके अपने तमाशे फेल हो रहे 


वे गांधीजी की जान ले लेने के बाद भी


उन्हें खत्म नहीं कर पा रहे। 


2.


हत्यारों को लगा था 


कि सच को अगवा कर लेने 


और झूठ को मुकुट पहना देने से


गांधी खत्म हो जाएंगे 


लेकिन फिर भी मिट नहीं रहा 


उनका वजूद 


हत्यारों ने गांधी की मूर्ति से बड़ी मूर्ति बनाई


उनका प्राण लेने वाले की


उसे सच्चा देशभक्त घोषित किया


उसकी जयंती धूमधाम से मनाई


फिर भी कोई असर नहीं हुआ


कहीं न कहीं से गांधीजी प्रकट 


हो जा रहे हैं


 


एक दिन अचानक कुछ औरतों ने


अपने बंधनों को झाले के साथ बुहार कर फेंक दिया


जो कभी घर की दहलीज नहीं लांघ पाती थीं


वे पहुंच गईं चौराहे पर 


 


वे भी वैष्णव जन का हिस्सा थीं 


उनकी पीड़ा में पराई पीर शामिल थी


उन्होंने देश को अपनी आंखों में बसा रखा था


उन्हें मंजूर नहीं था कि कोई 


उनके और उनके वतन के बीच आए 


उन्होंने मिलकर उनके खिलाफ मोर्चा बांधा


जो देशभक्ति को पिघले शीशे की तरह


लोगों के कानों में उड़ेल देने पर आमादा थे। 


   


3.


गांधी के देश से बहुत दूर 


एक लड़की ने अचानक तय किया कि 


वह हवा, पानी और आकाश को 


जहर से बचाएगी


वह पृथ्वी की खोई 


 हरीतिमा वापस ला कर रहेगी


वह घर से निकली और 


स्कूल न जाकर सड़क पर खड़ी हो गई 


वह अकेली ही गुहार लगाने लगी


वे पेंड़ों के लिए न्याय मांगने लगी


वह राष्ट्राध्यक्षों से सवाल करने लगी


गांधी के देश में एक बीमार वृद्धा ने जब टीवी पर 


उस लड़की को बोलते सुना 


उसकी आंखें छलछला आईं 


उसकी झुर्रियों में कंपकंपाहट हुई


उसने दोनों हाथ जोड़े हवा में  


उस वृद्धा ने देखा था गांधीजी को 


नोआखाली की गलियों में भटकते


जब वह खुद बच्ची थी।  


4.


दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क


 के कुछ कमजोर लोग 


अक्सर सड़कों पर उतरते थे नारे लगाते हुए


वे कहते थे मनुष्यता का रंग एक है


उन सबको उनकी चमड़ी के रंग से न पहचाना जाए


वे त्वचा के रंग से नागरिकों को पहचानने वाली 


हर व्यवस्था का विरोध करते थे


उन्होंने गांधीजी को किताबों में पढ़ा था


वे कहीं से भी गांधी या उनके शिष्यों की तरह


 नहीं लगते थे


पर सविनय अवज्ञा उनके खून में घुली हुई थी 


5. 


जिस तरह कुछ लोग गांधीजी को खत्म करने


पर तुले हैं


उसी तरह कुछ लोग गांधीजी को बचाने में लगे हैं


वे चाहते हैं कि गांधीजी का चश्मा सुरक्षित रहे


उनकी घड़ी में कोई खराबी न आ जाए


उऩका चरखा कहीं टूट न जाए


वे चाहते हैं कि चमक बनी रहे खादी की


मैली न हो उनकी टोपी 


वे परेशान हो उठते हैं


कि गांधीजी का सामान कहीं गलत


 हाथों में न चला जाए


कई बार वे चिल्लाते हैं-


बापू का अपमान हो रहा है


 शायद ही किसी ने सुना हो उन्हें 


बापू के हत्यारों के खिलाफ बोलते हुए। 


  


6.


लोगों को झूठ से घेरा जा रहा है


अफवाहों से घेरा जा रहा है


फतवों-फरमानों से घेरा जा रहा है


ताकत मुंह से आग छोड़ती हुई 


बार-बार चली आ रही ठीक सामने 


एक निहत्था कमजोर आदमी सोचता है 


अगर दो रोटी और नमक बराबर इज्जत भी


छीन ली जाए उससे तो वह क्या करेगा


नहीं वह चुप नहीं रहेगा


वह अपने निहत्थेपन  


और अपनी भूख को ही 


अपनी ताकत बनाकर खड़ा होगा


लाठियों, बंदूकों और अश्रु गैस के गोलों के खिलाफ


वह नहीं जानता इसे सत्याग्रह कहा जाता है


वह सिर्फ गांँधी बाबा को जानता है।  


……………...


(पटना से निकलने वाली साहित्यिक पत्रिका 'मगध'के प्रवेशांक में प्रकाशित)


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