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मोबाइल चलाओ। सस्ती कर दी गई है। भक्ति रस में डूबे रहो। डाटा फ्री है। जो विरोध करे उसके पीछे पड़ जाओ। रोजगार की बात मत करो, क्योंकि बेरोजगारी 2014 से नहीं आई। पहले से है।
वंदे भारत की बात करो।
बुलेट ट्रेन की मत पूछो।
पहले कितने घर बना दिये ?
ये मत पूछो, आगे आठ लाख बनेंगे बस ये सुनो।
5 ट्रिलियन इकोनॉमी की हवाबाजी करने वाले से कब होगी, मत पूछो।
किसानो की आय 2022 में दोगुनी होनी थी, कितनी हुई, मत पूछो।
2 करोड़ रोजगार का वादा जुमला था, मगर सच 60 लाख रोजगार देंगे, सच मानो।
किसानो के खाते में पैसे जायेंगे, ये मुफ्तखोरी नहीं। गरीबों को अन्न मुफ्त मिलेगा, ये मुफ्तखोरी नहीं। केजरीवाल देगा तो वो मुफ्तखोरी है। ये देंगे तो भारत माता का प्रसाद समझो।
बजट बने है साल का। पहले साल क्या किया? क्या नहीं कर सके? उसके हिसाब का... मगर ये पहले पांच साल का बजट बताने वाली सरकार थी अब 25 साल में क्या करेगी वो बतान लग रई... भाई यो के है?
पहले रेल बजट को खत्म किया। अब आम बजट भी खत्म सा हो गया। ऐसा लगा जैसे कोई चुनावी सभा में भाषण चल रहा हो। वित्त मंत्री ने भी ये नहीं बताया कि अनुमानित खर्चा है 38 लाख करोड़। कमाई है लगभग 23 लाख करोड़, तो ये बाकी की 15 लाख करोड़ कहाँ से लाया जायेगा? कैसे इंतजाम होगा?
मध्यमवर्गी जनता का खून पीकर रेवड़ी बाँटने वाली सरकार ने फिर देश के इस अधिसंख्य तबके को ठेंगा दिखाया। पिछले साल भूल गए तो अगले साल टैक्स भर दो, इसका प्रावधान जरूर किया है। तो भरते रहो। भर भर के मरते रहो।