मेरिडियन होटल के करीब ही है 20 जनपथ का सरकारी बंगला। ईएमएस नम्बुदरीपाद 1978 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की जालंधर कांग्रेस के बाद पार्टी के महासचिव बने तो उन्हें पार्टी ने 20 जनपथ की कोठी दी रहने और काम करने के लिए। वे 20 जनपथ में तब तक रहे जबतक वे पार्टी के महासचिव के तौर पर दिल्ली में रहे। जब हरकिशन सिंह सुरजीत महासचिव बने तब ईएमएस त्रिवेंद्रम चले गए। ईएमएस के रूटीन को देखा जाता तो वह कभी बुजुर्ग नहीं हुए। उन्हें अर्थराइटिस की बीमारी थी लेकिन वह ज़ल्दी उठनेवालों में से थे। सुबह पांच बजे उठ जाते। प्रातःकाल की सैर के साथ वह साइकिल से व्यायाम करनेवालों मे से थे । उसके बाद वे अख़बार पढ़ते, नाश्ता लेते और ठीक आठ बजे पार्टी दफ़्तर जो पटेल चौक के समीप 14,अशोक रोड पर था जाने के लिए तैयार हो जाते।
अपने कप खुद धोते थे
ईएमएस को चलने में कठिनाई थी। लेकिन चाहे घर 20 जनपथ में या चाहे दफ़्तर 14, अशोक रोड में वे चाय पीने के बाद कप धोने के लिए दो कमरे को पारकर किचेन रूम तक पहुँच जाते जबकि कई कॉमरेड चाय का कप जमा करते जाते और एक ही बार धोने को उठते। वे कम्युनिस्ट होते हुए भी राजनीति में गाधी जी की तरह एक सादा जीवन जिए, सारी ज़मीन ज़ायदाद पार्टी को दान कर दी। भारत की राजनीति में यह बहुत बड़ी बात मानी जाती है।
जब ईएमएस 20जनपथ में थे तब पत्रकार अप्पुकुट्टन ने मलयालम में उनके जीवन पर , "अनजाने ईएमएस"नामक पुस्तक लिखी थी। किताब मे देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1940 में ईएमएस के भूमिगत होने की तुलना "गौतम बुद्ध द्वारा सोते हुए राहुल और यशोधरा को छोड़कर"जाने से की है ।
किसके आशीर्वाद से कौन सा स्कूल खुला
ईएमएस ने राजधानी के पहले केरल स्कूल का 1957 में उदघाटन किया था। यह कस्तूरबा गांधी मार्ग के पास कैनिंग रोड में है। दरअसल ईएमएस और केरल के एक अन्य नेता ए.के.गोपालन के प्रयासों और आशीर्वाद से यह स्थापित हुआ था। राजधानी में केरल के मलायली समाज के लिए स्कूल खोलने का विचार ई एम स ने ही दिया था। वे सच में जननेता थे। वे विश्व की पहली लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई मार्क्सवादी सरकार के मुख्यमंत्री थे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का शायद ही कोई असरदार नेता हो जो कभी लुटियन दिल्ली की तीन कोठियों में रहा या गया ना हो। ये हैं 4,अशोक रोड, 12,विंडसर प्लेस और 20, जनपथ। इन सबमें माकपा के कभी ना कभी बड़े नेता रहे। 4,अशोक रोड तो 1952 से 2014 तक पार्टी के पास रही। ये सब कोठियां एक दूसरे के करीब ही हैं। 1952 में यह कॉमरेड ए.के. गोपालन को मिली थी।
माकपा के दिग्गज नेता कॉमरेड एस.ए. डांगे भी उसमें रहे थे। सीपीएम जब विभाजित होकर अलग पार्टी बनी तो 4,अशोक रोड में ही उसका केंद्रीय कमेटी का मुख्यालय बना था तब फिर गोपालन आ गए थे। माकपा से लंबे समय तक जुड़े हुए भगवान प्रसाद सिन्हा जी बताते हैं कि 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद 20,जनपथ, कॉमरेड सुशीला गोपालन को आवंटित हुई। और 1978 के जालंधर पार्टी कांग्रेस के बाद कॉमरेड ईएमएस नंबूदिरीपाद कॉमरेड पी सुंदरैया की ज़गह पार्टी के महासचिव निर्वाचित हुए तब उन्हें 20 जनपथ की कोठी पार्टी के तरफ से रहने और काम करने के लिए के लिए उपलब्ध कराई गई।