Quantcast
Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

तिलका मांझी उर्फ़ जबरा पहाड़िया

$
0
0

 तिलका मांझी (जो जबरा पहाड़िया के नाम से प्रसिद्ध थे ) पहले आदिवासी महानायक योद्धा थे जिन्होंने मंगल पांडे से नब्बे वर्ष पूर्व ही 1784 ई० में अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाए I उन्होंने आदिवासियों को एक सशस्त्र समूह के रूप में संगठित किया I तिलका मांझी का नाम देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद के रूप में लिया जाता है I


भारत में ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने वाले पहले लोकप्रिय आदिविद्रोही तिलका मांझी पहाड़िया समुदाय के वीर आदिवासी थे Iउनका जन्म 11 फ़रवरी 1750 ई. में बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज तहसील में स्थित तिलकपुर ग्राम में एक संथाल परिवार में हुआ था I इनके पिता का नाम ‘सुंदरा मुर्मू’ था I  किशोर जीवन से ही अपने परिवार तथा जाति पर उन्होंने अंग्रेज़ी सत्ता का अत्याचार देखा था I गरीब आदिवासियों की भूमि, कृषि और जंगली वृक्षों पर अंग्रेज़ी शासकों ने कब्जा कर रखा था I आदिवासियों और पहाड़ी सरदारों की लड़ाई अक्सर अंग्रेज़ी सत्ता से होती रहती थी पर पहाड़ी जमींदार वर्ग अंग्रेज़ी सत्ता का खुलकर साथ देता था I यह सब देखकर तिलका मांझी के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा हुआ और उन्होंने उनका विरोध करने का निर्णय लिया I


अंततः एक दिन 1771 में तिलका मांझी ने भागलपुर में ‘बनैचारी जोर’ नामक स्थान से अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह शुरू कर दिया। जंगल, तराई तथा गंगा, ब्रह्मी आदि नदियों की घाटियों में तिलका मांझी अपनी सेना लेकर अंग्रेज़ी सरकार के सैनिक अफसरों के साथ लगातार संघर्ष करते-करते मुंगेर, भागलपुर, संथाल परगना के पर्वतीय इलाकों में छिप-छिप कर लड़ाई लड़ते रहे I  1771 से 1784 तक उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़ी और स्थानीय महाजनों-सामंतों व अंग्रेजी शासकों की नींद उड़ाए रखा I  स्थिति प्रतिकूल देख ब्रिटिश सरकार ने ऑगसत्स क्लीवलैंड को मजिस्ट्रेट बनाकर राजमहल भेजा I क्लीवलैंड ने ब्रिटिश सेना और पुलिस के साथ धावा बोला I पर क्लीव लैंड को तिलका माँझी ने 13 जनवरी, 1784 को अपने तीरों से मार गिराया I इस घटना ने ब्रिटिश अधिकारियों में भय उत्पन्न कर दिया। 


   तिलका मांझी ऐसे प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत को ग़ुलामी से मुक्त कराने के लिए अंग्रेज़ों के विरुद्ध सबसे पहले आवाज़ उठाई थी। 

    ।। विदेशी शासन के विरुद्ध उनका संघर्ष देशभक्तिपूर्ण एवं प्रगतिशील कार्यवाही थी I अपनी निःस्वार्थ देशभक्ति, दुर्जेय साहस और दृढ़ निश्चय द्वारा तिलका ने भारत के स्वतंत्रता इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए 13 जनवरी 1785 को हमें अन्याय अत्याचार शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने की प्रेरणा देते हुए महानायक वीर गति को प्राप्त हुए I

देश के वीर सपूत को शत् शत् नमन 💐


🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿

Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>