अगर आपको मृत्यु डरा रही है तो आप मेडिकल के लायक नहीं है😒
जिस देश में खाये पीये पढ़े घूमें फिरे मौज करे और उस देश पर विपत्ति आई तो मृत्यू के डर से भाग निकले ...... जैसे कुछ लोगों ने कोरोना महामारी के समय अपने दरवाजे बंद कर दिए थे .... ये सबसे बड़ी कायरता है 😒
18,000 MBBS छात्रों में से कितने हैं जो यूक्रेन की सेना में भर्ती होकर Emmergency Medical Care देने में मदद कर रहे हैं.....
जिस देश ने आपको मेडिकल डिग्री दी उसे बुरे वक्त में छोड़कर भागना वीरता नहीं है कायरता है !
कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि यूक्रेन फ्री में नही पढ़ा रहा, फ्री में तो आपको भारत के मेडिकल कॉलेज में भी प्रवेश नहीं मिलता है, एक चिकित्सा छात्र का प्रथम धर्म क्या है ?
उन्हें मेडिसिन की बेसिक जानकारी है, वह लोग घायल सैनिक, Civilian की मरहम पट्टी, IV Drip, सहित पेनकिलर, एंटीबायोटिक दे सकते है, हेल्थ कैम्प्स पर बमबारी नहीं होती है, यह अंतरराष्ट्रीय कानून है, इस प्रतिकूल समय में यूक्रेन की जनता का विश्वास जीतें,
उस देश ने अपने हिस्से की 18,000 मेडिकल सीट्स आपके बच्चों को दी हैं, क्या आप कभी कल्पना कर सकते है कि आपके देश के मेडिकल कॉलेज की 18,000 MBBS, MD सीट्स आप अमेरिका, यूरोप, रशिया, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान के बच्चों के लिए छोड़ सकते हैं !
उस देश मे रहकर आप डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर रहे है, जहाँ भारत के प्राइवेट कॉलेज आपसे 1 करोड़ रुपए MBBS कोर्स की फीस वसूल रहे है वहीं आपको यूक्रेन 15-20 लाख में MBBS कोर्स करा रहा है, वहाँ आपके साथ नस्लीय भेदभाव नहीं होता, वह लोग आपके बच्चों का ख्याल रखते है,
सोचिए 18,000 में से 18 MBBS छात्र भी अगर Army Medical corp जॉइन कर उस देश को बुरे वक्त में मदद करें तो भारत का सीना गर्व से फूल जाएगा