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रांची वाले ( श्री लंकेश के सेनापति )अकंपन का उत्कर्ष या अभिशाप? / अनामी शरण बबल

हालांकि यह कहना काफ़ी खतरनाक हैं इसके बावजूद मेरे सामने तीसरे व्यक्ति का पूरा बायोडाटा पड़ा हैं जो आसमान की उच्चाई छूते छूते वही रांची की गलियों में ही सिमट कर रह गये. रांची एक्सप्रेस के संस्थापक संपादक बलवीर दत्त और कार्टूनिस्ट मोनी के बाद बैंक से रिटायर हुए मुरारी लाल गुप्ता(@(0MLG) भी एक आसमानी सितारा जिसे हॉलिवुड से सिनेमा के कई ऑफर मिलने के और रामायण की बेशुमार सफलता पर मांग के बावजूद बैंक खातों में ही डूब कर झारखण्ड का लाल (MlG) चला मुरारी हीरो बनने की बजाय / हीरो बनकर लौट आया घर मुरारी.  एक नये मुहाबरे क़ो चरितार्थ कर दिखाया. 


जी हाँ रामानंद सागर के रामायण में रावण के सेनापति अकंपन की भूमिका करने वाले छह फुट चार इंची लम्बू  पतलू मुरारी लाल गुप्ता (MLG ) का तलवार नुमा इतालियन  मुंछो  पर रामानंद सागर इस कदर मोहित हुए कि मुरारी क़ो देखते ही ऐसा लगा मानो कोई खजाना मिल गया हो. बकौल मुरारी जी कमरे में प्रवेश करते ही रामानंद सागर उछल पड़े और मिल गया मिल गया मुझे मेरा सेनापति अकंपन मिल गया  मिल गया. रामानंद सागर क़ो बच्चों की तरह पुलकित होते देख  सेट पर मेला सा लग गया और ज्यादातर लोग यह नहीं समझ पा रहें थे कि सागर साहब क़ो क्या मिल गया. पूरे माहौल क़ो देख कर रांची वाले बैंकर मुरारी के चेहरे पर भी रंग आ जा रहें थे. मुरारी जी उन पलो क़ो याद करते हुए मानो आज भी कहीं खो जाते हैं. वे कहते हैं कि तब तक रामानंद जी मेरे पास आ गये और मेरी लम्बाई चौडाई कद काठी क़ो मापते हुए सीधे कहते हैं कहा छिप गया था अकंपन. रावण के सेनापति की तुम वही तस्वीर हो जिसकी मैंने कल्पना की थी. सहज़ सामान्य मुलाक़ात क़ो कैमरे में कैप्चर किया जा रहा था और देखते ही देखते रांची का यह लम्बू पतलू बैंकर मुरारी लाल गुप्ता अगले ही पल बिना किसी सोर्स पैरवी के लंकेश रावण के सेनापति अकंपन की भूमिका के लिए अनुबंधित हो गये.


: रामायण में लंकेश की विराट छवि के समक्ष  कोई व्यक्तित्व ठहर नहीं पाता था मगर रावण क़ो सीता हरण के लिए उकसाने का काम अकंपन की रही हैं इस बाबत मुरारी लाल ने बताया की रुप बदल कर रावण की बहन राम लक्ष्मण  क़ो लुभाने में लगी थी जिस पे आज़ीज़  होकर सूर्पनखा की नाक क़ो लक्ष्मण ने काट डाली.


यह खबर सुनकर चिंतित रावण क़ो तब अकंपनl ने ही अयोध्या नरेश राम क़ो शर्मसार करने के लिए उनकी पत्नी सीता क़ो अपहरण करने का सुझाव दिया. बकौल अकंपन उर्फ़ मुरारी ने बताया की पहले पहल तो रावण ने इस प्रस्ताव क़ो नकार दिया अनैतिक भी कहा मगर सूर्पनखा की हालत और सारे दरबारियों ने अकंपन के इस सुझाव क़ो सही माना की लंकेश क़ो कुछ करना होगा क्योंकि यह आन बान और शान पर हमला हैं. सेनापति अकंपन की सलाह के बाद ही सीता हरण की योजना बनी और राम रावण युद्ध की नींव पड़ी


रामायण धारावाहिक के सम्भवत: 41 एपिसोड में अकंपन का जलवा रहा हैं. राम भरोसे बिना सिफारिश के रामायण तक पहुंचने का संयोग भी काफ़ी दिलचस्प हैं शायद इनके किसी मित्र ने इनकी तस्वीर और कद काठी की रुप रेखा रामानंद सागर तक  पहुंचाई थी जिसको देखते ही बिग सागर का दिल आ गया और मुरारी लाल गुप्ता क़ो फ़ौरन मुंबई के पास किसी स्टूडियो में आकर मिलने का फरमान सुनाया गया. तो इस तरह बैंक से कुछ दिनों की छुट्टी लेकर  माननीय MLG मुंबई  पहुंच कर रामायण के पात्र बन गये.  कई महीनों के अवकाश के बाद जब रामायण की लोकप्रियता बढ़ी तो जनाब MLG दर्जन भर देशी विदेशी निर्माताओं के ऑफर क़ो अपने बैंक के लॉकर  में बंद करके  काम धाम में बिजी हो गये. दर्जनों अखबारों में अलग अंदाज के खलनायकी की भूमिकाओ की चर्चा होती रही मगर MLG की  नो दिलचस्पी के चलते रांची का यह स्टार लंदन  अमरीका करांची तक जाने की बजाय बिक्रम बेताल के  बैतलवा की तरह रांची में आकर सिमट गये.


: दर्जन भर रामायण धारावाहिक बन जाने के बाद भी रामानंद सागर के रामायण की आज भी पूछ हैं जबकि युवा दर्शकों के लिए धीरे धीरे ऐतिहासिक पात्र बनकर मुरारी रांची या झारखंड में समय काटने के लिए अक्सर सक्रिय भी रहते हैं.  रांची आने से पहले मैं MLG क़ो नहीं जानता था तभी रांची एक्सप्रेस के पत्रकार विशु ( नाम की याद रिचार्ज नहीं हो रही हैं मगर शायद सहकर्मी का नाम यही हैं. ) मिलनसार खुशमिजाज विशु ने ऑफिस में गाहेँ बेगाहेँ आमे वाले MLG के बारे में बताया तो मेरी जिज्ञासा मिलने की हुई मैंने विशु से अगली दफा आने पर मिलवाने का आग्रह क्या किया की उन्होंने फटाका से मोबाइल निकाल कर MlG क़ो ऑफिस आने का न्योता दे दिया और बमुश्किल पांच मिनट के अंदर रामायण में श्री लंकेश के सेनापति अकंपन मेरे सामने थे. 60 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद पतले दुबले मेंटेन रहने वाले मुछड़ मुरारी जी से बातों का जो दौर चला वो रांची प्रवास के बाद भी आज तक जारी हैं. इनका नाम भले ही MLG हो पर खुद क़ो अकंपन ही कहलवाना पसंद हैं.  उस चौराहे का नाम तो याद नहीं मगर पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के मन्त्रीमंडल में शायद शहरी विकास मंत्री CP का सरकारी आवास भी MLG के घर के ठीक सामने हैं जिसका नाम MLG ने अकंपन रखा हैं.

 रिटायरमेंट के बाद भी इनका भविष्य रांची ही हैं आज भी यदा कदा कुछ विज्ञापन के ऑफर आते हैं तो MR. इंडिया के कुछ ऐड भी इनके नाम हैं  समय गुजर जाने के बाद मलाल इनको भी हैं की तमाम दोस्तों के दवाब के बाद भी अपना ठिकाना मुंबई नहीं किया. रांची एक्सप्रेस के साथ इनका इस कदर गहरा नाता रहा कि RE के मालिक CEO  अध्यक्ष सुधांशु सुमन इनको हमेशा सेनापति ही सम्बोधित करते हैं. उनके आग्रह पर MLG तिरंगा अभियान के तहत झारखण्ड के दर्जनों शहरों में घूम घूम कर ग्रामीण विकासrn उत्थान  के लिए जन जागरण मुहिम में शिरकत की.

MLG के साथ रांची की गलियों सड़को पर जब भी मौका मिला तो खूब घुमा. सहज़ सरल सर्व सुलभ सहृदय  संवेदनशील MLG के संग की यादें आज भी मन क़ो ख़ुशी का अहसास कराता हैं.  हमारा रिश्ता आज भी जिंदा हैं  मगर अब बातें कम होती हैं और रांची छोड़ने के बा द फिर मिलना नहीं हो सका और विशु से भी मिलना या बातें न  हो सकी हैं मग़र जाने अनजाने में ही उन्होंने एक बढ़िया दोस्त क़ो मेरी झोली में डाल कर  एक अहसान अवश्य कर दिया हैं.तो रांची के इस वरदान या अभिशाप क़ो लेकर आप लोग क्या सोचते हैं?


अनामी शरण बबल

8076124377


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