उस दिन टी.आर.कक्कड़ नार्थ दिल्ली के गुरुतेग बहादुर नगर (जीटीबी नगर) के सरकारी स्कूल में आए तो वे वहां की दिवारों,कमरों,स्कूल के अंदर के बगीचे में लगे पेड़ों को ध्यान से देखने लगे। वे उन सबको को छू रहे थे। ये सब देखकर उन्हें अपने लगभग 65 साल पहले के दिन याद आ रहे थे जब वे यहां के छात्र थे। वे अपने अध्यापकों और साथियों को याद कर रहे थे। वे भावुक हो रहे थे। कक्कड़ साहब रुंधे गले से कुछ बोल पा रहे थे। उस दौर की स्मृतियां किसी चलचित्र की तरह से उनके जेहन में आ-जा रही थीं।
इस दौरान उनका किंग्जवे कैंप बहुत बदल चुका है। अब उसका नाम हो गया है गुरु तेग बहादुर नगर। जिन सड़कों पर कभी-कभी एकाध कार दिखाई देती थी वहां पर कारें ही कारें चल रही हैं। साढ़े छह दशकों के दौरान पाकिस्तान से देश के विभाजन के वक्त आए साढ़े छह साल के टी.आर.कक्कड़ आगे चलकर दिल्ली पुलिस के 1997 में कमिश्नर पद पर पहुंच गए।
वे नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) के भी महानिदेशक रहे। वे जिस ओहदे पर भी रहे वहां पर उन्होंने अपनी खास छाप छोड़ी। दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद पर रहते हुए उन्होंने कभी किसी गुंडे–मवाली के हक में आई सिफारिश को अहमियत नहीं दी। बड़े से बड़े बदमाश उनसे कांपता था।
वे जब करते थे दुकान में नौकरी
टी.आर.कक्कड़ की प्राइमरी तक की पढ़ाई नगर निगम स्कूल, गुरु तेग बहादुर नगर (जीटीबी नगर) में और फिर आगे हायर सेकेंडरी की शिक्षा जीटीबी नगर के सरकारी स्कूल से ही हुई। उन्हें हाल ही में इसी स्कूल में आमंत्रित किया गया था। वे जब यहां पर पढ़ रहे थे तब वे कमला नगर मार्केट की दुकान नंबर 46 में नौकरी भी करते थे। घर की माली हालत बहुत खराब थी।
इसलिए नौकरी करना जरूरी थी। दूसरा कोई विकल्प नहीं था। उन्हें हर रोज एक रुपया पगार के रूप में मिलता था। वे स्कूल के बाद दुकान पर जाते थे। ये 1956 की बातें हैं। कक्कड़ साहब ने कहा कि अपने पुराने स्कूल में आकर बहुत गर्व महसूस हुआ और पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। वे उन कमरों को भी देखने गये जिन में उनकी क्लास लगती थी। वे स्कूल की लाइब्रेयरी और स्कूल बिल्डिंग का नया हिस्सा देखकर खुश हो गये।
किंग्सवे कैंप के आसपास के स्कूलों में एक दौर में पाकिस्तान से आए शरणार्थी परिवारों के बच्चे ही पढ़ा करते थे। शरणार्थियों के लिए सरकार ने इस सारे क्षेत्र में कैंप स्थापित किए थे। उन टेंटों में वे रहा करते थे। जीवन कठोर था पर वक्त गुजर गया।
उन्हीं शरणार्थी परिवारों ने इस दिल्ली को जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में समृद्ध किया। अब तो जीटीबी नगर, विजय नगर, हकीकत नगर वगैरह बहुत समावेशी हो गए हैं। यहां पर यूपी और बिहार के भी सैकड़ों परिवार रहने लगे हैं।
कक्कड़ साहब ने बताया कि उन्होंने स्कूल के बाद भारतीय सेना में नौकरी कर ली। वे पुणे चल गए। वहां रहते हुए पत्राचार से बीए की। वहां पर उनके कुछ साथियों ने उन्हें सिविल सेवा में बैठने की सलाह दी। उन्होंने सलाह को माना और कसकर मेहनत की। कक्कड़ साहब ने पहली बार में ही सिविल सर्विस की परीक्षा को क्रेक कर लिया। वे आईपीएस अफसऱ बन गए।
दरअसल कक्कड़ साहब, दिल्ली विधानसभा के पूर्व सदस्य डॉ हरीश खन्ना और इसी स्कूल के कुछ अन्य पूर्व छात्र स्कूल के 12 वीं क्लास के बच्चों को संबोधित करने आए थे। ये बच्चे अब अपनी बोर्ड की परीक्षा के लिए तैयार हो रहे हैं। डॉ हरीश खन्ना,जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में लंबे समय तक हिन्दी पढ़ाते रहे हैं, भी अपने अपने किशोरावस्था के उस सरकारी स्कूल में जाकर गद्गद नजर आए जहां से उन्होंने हायर सेकेंडरी पास की थी।
दिल्ली पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर टी.आर.कक्कड़ को स्कूल में आमंत्रित किया था स्कूल के प्रिंसिपल श्री एच आर गिलानी ने।vivekshukladelhi@gmail.com
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