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Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
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कम्युनिकेशन' /विजय भास्कर

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 'कम्युनिकेशन'


हिंदी पत्रकारिता पर अंग्रेजी में पहली किताब

       विजय भास्कर हिंदी के उन चुनिंदा पत्रकारों में हैं जो जब भी कुछ करते हैं वह लीक से हट कर होता है।अलग,अप्रतिम और अद्वितीय करना व आत्मप्रचार से दूर रहना उनकी पहचान है।उनकी एक पहचान देश के प्रतिष्ठित विज्ञान लेखक की भी है।वे अरसे तक 'नवभारत टाइम्स', 'प्रभात खबर','आज'व दैनिक 'हिंदुस्तान'से सम्बद्ध रहे हैं।

       इस बार फिर उन्होंने लीक से हटकर एक बड़ा काम किया है।उन्होंने 'कम्युनिकेशन'नाम की एक बृहद पुस्तक लिखी है जिसमें हिंदी अखबारों का 200 सालों का इतिहास दर्ज है। 1780 से 1980 तक के हिंदी अखबारों की विस्तृत,सारगर्भित और तथ्यगत जानकारी देनेवाली यह जरूरी किताब अंग्रेजी में हैं।यह भी कि यह हिंदी पत्रकारिता पर अंग्रेजी में आयी  पहली किताब है।

     संचार के उदगम, उसकी वैज्ञानिकता,उसका विकास और एक अखबार में उसकी परिणति से शुरू हो कर यह किताब यह स्पष्ट करती है कि किस तरह एक हिंदी अखबार जनआकांक्षा व जनआक्रोश की अभिव्यक्ति के साथ कैसे जनाधिकार के भी प्रतीक हैं।

     हिंदी पत्रकारिता पर लिखी इस जरूरी किताब में देश के पहले अखबार 'हिकी गजट'के संस्थापक,संपादक जेम्स ऑगस्ट हिकी का सफरनामा,भारतीय अखबारों पर ब्रिटिश सरकार की बंदिशें, बतौर पत्रकार महात्मा गांधी की भूमिका,आजादी के संघर्ष में अखबारों की सजगता, सक्रियता और समर्पण का इतिहास, प्रेस आयोग की सिफारिशें और उनका हश्र जैसे कई अध्याय इस किताब में शामिल हैं।

        एक जरूरी और विस्तृत जानकारी भी यह किताब देती है ।1780 से 1947 के बीच प्रकाशित लगभग 150 अखबारों की एक तालिका भी इसमें दी है जिसमें  अखबार का नाम,उसके संस्थापक,पहले संपादक,आवृत्ति व प्रकाशन का स्थान भी दिया गया है।यह सब आज दुर्लभ है।

      ...और दुर्लभ है वह इच्छाशक्ति जो लकदक विश्वास के साथ हिंदी के एक बड़े पत्रकार को यह सब करने और लिखने का हौसला देती है।

         विजय भास्कर ने बहुत मेहनत,लगन, समर्पण और दृढ़ता से यह किया।शब्द विरोधी इस मौसम में यह एक लंबी लकीर है।

        इसी लंबी लकीर पर चमकती रहे उनकी यश गाथा।

हरीश पाठक 


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