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ब्रजकिशोर प्रसाद जी के बारे में / मुकेश प्रत्यूष

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 ब्रजकिशोर प्रसाद अपने समय के महत्वपूर्ण वकील तथा    बंगाल, बिहार और उड़ीसा संयुक्त प्रांत  विधान परिषद के पहले  मनोनीत सदस्य  और  इम्पीरियल काउंसिल के एकमात्र गैर-सरकारी सदस्य थे। 


1920 में महात्मा गांधी के आह्वान पर  वकालत छोड़ कर वे सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हो गए। सदाकत आश्रम और बिहार विद्यापीठ का संचालन किया। असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने 1921 में  बिहार विद्यापीठ को  राष्ट्रीय महाविद्यालय के रूप में स्थापित करवाया और बृज किशोर बाबू को उप कुलपति नियुक्त किया था। 


ब्रजकिशोर प्रसाद की दो पुत्रियां थीं -  प्रभावती और विद्यावती।  प्रभावतीजी का विवाह लोकनायक जयप्रकाश नारायण से हुआ था और विद्यापतिजी का भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के जेष्ठ पुत्र मृत्युंजय प्रसाद  से। 


बृज किशोर बाबू के निधन के बाद  सामाजिक, सांस्कृतिक,  आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर विशेष रूप से बिहार के ग्रामीण विकास की समस्याओं का अध्ययन और प्रकाशन हो सके इस उद्देश्य से जयप्रकाश नारायण ने बृजकिशोर भवन का निर्माण करवाया।    6 मई 1955 को डॉ राजेंद्र प्रसाद ने ब्रजकिशोर स्मारक भवन की नींव रखी  और 14 जनवरी 1974 को आचार्य जे. बी. कृपलानी ने इसका उद्घाटन किया था।  


इस प्रतिष्ठान के द्वारा  प्रतिवर्ष  सामाजिक, सांस्कृतिक,  आर्थिक और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सक्रिय दो व्यक्तियों को ब्रजकिशोर सम्मान प्रदान किया जाता है । 


इस वर्ष ब्रजकिशोर स्मारक समिति ने यह सम्मान मुझे देने का निर्णय लिया है। मैं इसके लिए  समिति के प्रति आभार  प्रकट  करता हूं। 


यह मेरे लिए  खुशी की बात  है लेकिन  पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों  के कारण सम्मान समारोह  के दिन मेरा  पटना पहुंच पाना संभव नहीं हो पा रहा। उस दिन  मैं  देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में रहूंगा।   स्वयं उपस्थित होकर इस सम्मान को ग्रहण नहीं कर पाने का  दुख मुझे रहेगा।


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