राजेन्द्र नगर में उपचुनाव की सरगर्मियों को महसूस किया जा सकता है। आप, भाजपा, कांग्रेस के वर्कर घर-घर जा रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इधर कुछ रोड शो करन हैं।
अगर देखा जाए तो राजेन्द्र नगर इस तरह का एरिया है, जिससे राजधानी में रहने वाले लगभग हरेक संपन्न पंजाबी और सिंधी का कोई न कोई संबंध निकल आता है। इसकी एक पहचान ये भी रही है कि जनसंघ के शिखर नेता बलराज मधोक लगभग छह दशकों तक यहां पर रहे। वे दावा करते थे कि उन्होंने ही लोकसभा में 1968 में सबसे पहले मांग की थी कि हिन्दुओं को राम जन्म भूमि सौंप दी जाए।
उन्होंने 1960 के दशक में गौहत्या विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व किया था। आप,भाजपा और कांग्रेस के वर्कर मधोक साहब के घर के आसपास भी कैंपेन में जुटे हुए हैं। हमने कुछ नौजवान कार्यकर्ताओं से पूछा कि ‘क्या वे मधोक साहब के बारे में जानते हैं?’ लगभग सभी का कहना था कि ‘हमने नाम नहीं सुना है।’ एकाध ने सोचते हुए कहा कि ‘वे भाजपा के नेता थे।’ मधोक साहब कभी भाजपा में नहीं रहे थे। वे जनसंघ के संस्थापकों में से थे। आमतौर पर किसी की ना सुनने वाले मधोक साहब प्रखर वक्ता थे। मधोक साहब दिल्ली और देश की सियासत में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाते थे। आप उनसे सहमत हों या ना हों, पर आप उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते थे।
वे साउथ दिल्ली सीट से लोकसभा के लिए 1961 और 1967 में चुने गए थे। वे जनसंघ के पहले सम्मेलन की चर्चा करना नहीं भूलते थे। कनॉट प्लेस से सटे राजा बाजार के रघुमल आर्य कन्या विद्लाय में 21 अक्तूबर,1951 को जनसंघ का पहला सम्मेलन हुआ था। उसमें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जनसंघ का अध्यक्ष और बलराज मधोक को राष्ट्रीय सचिव चुना गया।
मधोक साहब ने ही जनसंघ का संविधान लिखा था। सम्मेलन में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और फिर बलराज मधोक ने गर्मागर्म भाषणों में नेहरु सरकार की ‘जन विरोधी नीतियों’ पर हल्ला बोला था। तब ही देश में गौ-हत्या पर रोक लगाने की मांग भी की गई थी।
जाहिर है, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि जनसंघ आगे चलकर अपने नए भाजपा नामक संस्करण में देश पर राज करेगी। जनसंघ की स्थापना बैठक के लिए रघुमल कन्या विद्यालय को इसलिए चुना गया था क्योंकि इसका हॉल काफी बड़ा है। ये नई दिल्ली में कन्याओं के पहले स्कूलों में से एक माना जा सकता है। इसकी स्थापना 1944 में हुई थी। दिल्ली के 1970 के दशक में मेयर रहे लाला हंसराज गुप्ता के पिता लाला रघुमल गुप्ता के नाम पर इस स्कूल का नाम रखा गया था।
हंसराज गुप्ता के नाम पर एक सड़क ग्रेटर कैलाश में है। उनके पुत्र राजेन्द्र गुप्त मदनलाल खुराना की कैबिनेट में मंत्री थे।
बहरहाल, बलराज मधोक की विचारधारा हिन्दू राष्ट्र के इर्दगिर्द घूमती थी। मधोक साहब का नाम उप चुनावों में किसी भी रूप में नहीं आ रहा है। ये वक्त की वक्त बातें हैं। आप जब राजेन्द्र नगर की शंकर रोड मार्केट से बाहर आते हैं, तो इधर की मशहूर ग्रैंड बेकरी का बोर्ड भी दिखाई नहीं देता। इसके लजीज केक,मीठे-नमकीन बिस्कुट,रस्क, पेस्ट्रजी वगैरह का स्वाद लेते हुए दिल्ली की कई पीढ़ियां बढ़ी हुई थीं। ना जाने कितने बच्चों के बर्थ डे केक ग्रेंड बेकरीज से खरीदे गए थे।
ग्रैंड बेकरी को पेशावर से आए एक रिफ्यूजी परिवार ने खोला था। इधर लाहौर, पेशावर और रावलपिंडी से आए परिवारों की भरमार है। इस बीच, दिल्ली का क्रिस्चियन समाज भी पसंद करता था ग्रैंड बेकरी से क्रिसमस केक बनवाना। पर जैसे राजेन्द्र नगर मधोक साहब को भूल सा गया है, वैसे ही उसने न्यू ग्रैंड बेकरी के बिना भी रहना सीख लिया है।