आज महेन्द्र सिंह धौनी का जन्म दिन है। भारतीय क्रिकेट टीम में नायक तो बहुत हुए, लेकिन महानायक कुछ ही खिलाड़ी बन पाये। इन महानायकों की छोटी सी कतार में धौनी को आसानी से देखा जा सकता है। नायकत्व का गुण धौनी में बचपन से था, लेकिन यह तब निखर कर सामने आया जब उन्हें 2007 के टी-20 विश्व कप में भारत की टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला।
इस नयी और युवा टीम ने, जिससे किसी को कोई उम्मीद नहीं थी, वैसा ही करिश्मा कर दिखाया जैसा 1983 के एक दिवसीय विश्व कप में कपिल देव की टीम ने कर दिखलाया था। यहां यह ध्यान देने की बात है कि धौनी की विश्व विजयी टीम में एक भी दिग्गज खिलाड़ी नहीं था, जबकि कपिल देव की टीम में कई स्थापित खिलाड़ी थे, जिनसे कुछ तो उम्मीद थी ही। इस दृष्टि से देखे तो अगर कपिल देव की टीम की जीत उभरते भारत की नयी पहचान और बिना रुके, बिना थके पहाड़ चढ़ जाने के जज्बे और आत्मविश्वास की जीत थी तो धौनी की टीम की जीत नये बन रहे भारत के बल-वीर्य और सफलता के शिखर पर पहुंचने की जिद भरी उड़ान थी। यह उड़ान आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट के इतिहास को नया मोड़़ और नयी त्वरा देने वाली थी।
देखा जाए तो धौनी का भारतीय टीम में आगमन जितना रोमांचक था उतनी ही उपलब्धियां से भरी उनकी कप्तानी का दौर रहा।उनके नेतृत्व में भारतीय टीम न केवल टी-20 विश्व कप विजेता बनी बल्कि टेस्ट में नम्बर वन भी बनी। फिर चैम्पियन ट्राफी और वन-डे विश्व कप जीत कर विश्व क्रिकेट में भारत के दिग्विजय अभियान को पूरा किया।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपने डेढ़ दशकों के सफर में धौनी ने भारतीय क्रिकेट को वह सब कुछ दिया जो एक क्रिकेट टीम अपने खिलाड़ी से अपेक्षा रखती है। वह एक अच्छे नेतृत्वकर्ता, बेहतर बल्लेबाज, श्रेष्ठ विकेटकीपर और विनम्र इंसान के रूप में अपनी अलग छवि गढ़ने में भी सफल रहे।
वस्तुत: भारतीय टीम में आने के बाद धौनी की प्रतिभा सचिन तेन्दुलकर ,सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के सम्पर्क में आ कर परवान चढ़ी।धौनी ने कप्तान के रूप में अपने वरिष्ठ सहधर्मियों से मार्गदर्शन तो प्राप्त किया, लेकिन क्रिकेट की खुद की अपनी शैली से स्वयं को कभी अलग नहीं किया।चाहे बल्लेबाजी हो या कप्तानी, उन्होंने अपने प्रदर्शन और फैसलों से सब को चौंकाया।
लीक से हट कर सोचने,खेलने और फैसले लेने के हौसलों के कारण ही उन्होंने अपने खेल सफर में सफलतओं के एक के बाद एक कई कीर्तिमान स्थापित किये। आईसीसी की प्रतियोगिताओं में सफलता उनकी बड़ी उपलब्धियों की कहानी खुद कहती है। पिछले एक दशक में भारतीय टीम एक नये आत्म विश्वास से लैस हुई है और एक विजेता के रूप में खुद को प्रतिष्ठित किया है। इसमें धौनी का बड़ा योगदान रहा है।
धौनी क्रिकेट की परम्परा में नहीं बंधते,वह उन्मुक्त रहना चाहते हैं, जिसकी इजाजत क्रिकेट नहीं देता।फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि वह सम्पूर्ण क्रिकेटर नहीं हैं।बल्कि यह कहना ज्यादा संगत होगा कि उनसे एकाकार हो कर क्रिकेट सम्पूर्ण होता है।वस्तुतः भारत की नयी युवा टीम को गढ़ने में और टीम इंडिया को बुलन्दियों तक पहुंचाने में धौनी की उल्लेखनीय भूमिका और योगदान उन्हें भारत के सफल क्रिकेट कप्तानों की कतार में सबसे आगे खड़ा करने के लिए पर्याप्त है। धौनी को जन्म दिन की शुभकामनाएं।