#जोधपुर के हवाई अड्डे का नाम #महाराजा_ऊमेदसिंहजी के नाम पर किये जाने की अपील करे - उनके 119 जयन्ति वर्ष पर यही सच्ची श्रधांजलि होगी ।
भारतीय वायु सेना के प्रथम हिंदुस्तानी एयर वाईस मार्शल थे महाराजा ऊमेद सिंह जी जोधपुर महाराजा को मारवाड़ मे हवाई अड्डो का निर्माता कहते हैं ।
बड़े दुर्भाग्य कि बात हैं की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं लेकिन जोधपुर के हवाई अड्डे को अब भी अपने निर्माता के नाम को ग्रहण करने के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा ।
नेपाल त्रिपुरा मैसूर उदयपुर मुम्बई दिल्ली आदि अनेक स्थानो के हवाई अड्डों के नाम आज़ादी के बाद रखे गये जो शायद उन लोगों ने बनाए भी नहीं थे ।
लेकिन देश में एक मात्र जोधपुर महाराजा ऊमेदसिंहजी हैं जो स्वयं विमान चालक 24 हवाई पट्टियों के निर्माता तथा जोधपुर जैसे अपने समय के अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माता थे ।
महाराजा ने 1924-25 में जोधपुर ओर उत्तरलाई ( बाड़मेर ) का हवाई अड्डा बनवाया जो आज भी भारतीय वायु सेना के प्रमुख हवाई अड्डे माने जाते है ।
जोधपुर के हवाई अड्डे पर महाराजा ने लगभग एक लाख छतीस हज़ार आठ सौ तीस रुपये ख़र्च किए तथा उत्तरलाई पर उस समय नौ हज़ार छः सौ दस रुपए ख़र्च हुए ।
जोधपुर हवाई अड्डा 1936 तक अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन चुका था , इस वर्ष 761 हवाई जहाज़ों का आवागमन हुवा ।
महाराजा ऊमेद सिंह जी को श्रेय जाता है की उन्होंने ही पहल करते हुवे “जोधपुर फ्लाइगं क्लब “की 1931 में स्थापना की । सप्ताह में छः दिन क्लब से हवाईजहाज उड़ान भरते थे ।
एरियल पिकनिक भी होती थी 10 रुपए में जोधपुर शहर का हवाई भ्रमण भी कराया जाता था । इससे मारवाड़ के दर्शनीय स्थानो पर पर्यटन भी बढ़ने लगा था । 1947 तक जोधपुर रियासत ने हवाई क्षेत्र पर एक करोड़ चार लाख दस हज़ार दो सो बत्तीस रुपए व्यय किए थे ।
महाराजा ऊमेद सिंह जी को 23 जून 1931 में “ एयर कमोड़ोर “ तथा 1945-46 में “एयर वाइस मार्शल “ का पद ब्रिटिश सरकर ने प्रदान किया था।
वे प्रथम भारतीय थे जिन्होंने वायु सेवा व सेना के क्षेत्र में बहुमुखी कार्य किया । उनके जैसा कोई नहीं लेकिन उन्हें भी अपने स्वम के बनाए जोधपुर हवाई अड्डे पर भी उनकी स्मृतियों को मिटा दिया गया ।
जोधपुर हवाई अड्डे का नामकरण महाराजा ऊमेदसिंह जी के नाम पर नहीं किया जाना हमारे जन प्रतिनिधियों की मानसिकता को भी दर्शाता हैं ।
आज उनकी 119 जयन्ती पर हम सब को प्रण करना चाहिये कि हम सब मिलकर सरकार पर दबाव बनाये ताकि राज्य सरकार शीघ्र विधान सभा में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजे ।
केन्द्र में राजस्थान के पच्चीस एम. पी . हैं कई तो बड़े मंत्री भी हैं हम उनसे भी यही आशा रखते हैं की वे भी इस विषय को गम्भीरता से लेकर कार्य को पूर्ण करने में अपनी सहभागिता का परिचय दे ।